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छियालेख और गर्ब्यांग के पास हादसों को दावत दे रही बॉर्डर की लाइफ लाइन, ईटीवी भारत ने लिया जायजा

चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क से यातायात भले ही सुचारू हो गया हो, लेकिन अभी भी कई मुश्किलें यहां मुंह बाए खड़ी है. इस रोड पर आवाजाही करना खतरे से खाली नहीं है. बावजूद इसके स्थानीय लोग और भारतीय सेना इसी रास्ते से आवागमन करती है.

बॉर्डर की लाइफ लाइन
बॉर्डर की लाइफ लाइन
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Published : Nov 4, 2021, 1:06 PM IST

Updated : Nov 4, 2021, 5:00 PM IST

पिथौरागढ़: चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क से यातायात भले ही सुचारू हो गया हो, लेकिन ये सड़क कई जगहों पर हादसों को दावत दे रही है. खासकर छियालेख और गर्ब्यांग के पास सफर करना चुनौतियों से भरा है. ईटीवी भारत संवाददाता ने सामरिक नजीरिये से अहम इस सड़क का जायजा लिया. इस सड़क पर एक नहीं बल्कि दर्जनों ऐसे डेंजर जोन हैं, जहां किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है.

छियालेख और गर्ब्यांग के पास हादसों को दावत दे रही बॉर्डर की लाइफ लाइन बूंदी से छियालेख तक 10 किलोमीटर के सफर में कुल 32 सर्पीले बैंड हैं. इस रास्ते में 610 मीटर की चढ़ाई पार करनी होती है. वहीं कुछ बैंड इतने खतरनाक है कि यहां थोड़ी सी चूक होने पर गाड़ी हजारों फीट गहरी खाई में समा सकती हैं. यही नहीं गर्ब्यांग गांव के पास लगातार जमीन धंसने से कई जगहों पर मार्ग काफी खतरनाक साबित हो रहा है. यहां आये दिन गाड़ियां फंस रही हैं. यही नहीं बीते दिनों यहां एक वाहन असंतुलित होकर खाई में जा गिरा, हालांकि इस हादसे में वाहन में सवार लोग बाल-बाल बचे गए थे.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.

पढ़ें- महादेव की धरती पर 'शिव महोत्सव', चीन सीमा पर गूंजेंगे 5100 शंख

सामरिक नजरिये से अहम लिपुलेख बॉर्डर रोड इस इलाके में बसे लोगों के साथ ही यहां तैनात सेना के जवानों के लिए भी लाइफ लाइन का काम करती है. साथ ही बॉर्डर इलाकों में पर्यटन की दृष्टि से भी ये सड़क काफी अहम है. 8 मई 2020 को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख सड़क का उद्घाटन किया था, लेकिन अभी भी इस सड़क पर चौड़ीकरण और हॉटमिक्स का कार्य होना शेष हैं. फिलहाल सड़क की लिपुलेख तक कटिंग होने से चीन सीमा तक पहुंचना आसान हो गया है.

मॉनसून में सबसे बड़ी चुनौती: इस साल बरसात के दौरान ये सड़क महीनों तक बंद रही, जिसके कारण स्थानीय लोगों के साथ ही बॉर्डर पर तैनात आर्मी, आईटीबीपी और एसएसबी की आवाजाही भी बाधित रही. यही नहीं सड़क बंद होने के कारण आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन के लिए पहुंचे सैकड़ों पर्यटकों को प्रशासन द्वारा हेलीकॉप्टर के जरिये रेस्क्यू किया गया.

बीआरओ ने की है कड़ी मशक्कत: घटियाबगड़ से लिपुलेख तक 74 किलोमीटर सड़क की कटिंग करने में बीआरओ को 12 साल का लम्बा वक्त लगा है. हिमालय की गोद में इस कठिन टास्क को पूरा करने में बीआरओ के दर्जन भर कर्मचारी और मजदूरों को भी जान गंवानी पड़ी है. करीब 400 करोड़ की लागत से बीआरओ ने घटियाबगड़ से लिपुलेख तक भारत का रास्ता तैयार किया है, लेकिन अभी भी सड़क पर चौड़ीकरण और हॉटमिक्स का कार्य किया जाना है. साथ ही लैंडस्लाइड जोन का भी ट्रीटमेंट होना है, जिसके बाद ही बॉर्डर की ये लाइफ लाइन जहां स्थानीय लोगों के लिए वरदान साबित होगी. वहीं देश की सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से भी मील का पत्थर साबित होगी.

पिथौरागढ़: चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क से यातायात भले ही सुचारू हो गया हो, लेकिन ये सड़क कई जगहों पर हादसों को दावत दे रही है. खासकर छियालेख और गर्ब्यांग के पास सफर करना चुनौतियों से भरा है. ईटीवी भारत संवाददाता ने सामरिक नजीरिये से अहम इस सड़क का जायजा लिया. इस सड़क पर एक नहीं बल्कि दर्जनों ऐसे डेंजर जोन हैं, जहां किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है.

छियालेख और गर्ब्यांग के पास हादसों को दावत दे रही बॉर्डर की लाइफ लाइन बूंदी से छियालेख तक 10 किलोमीटर के सफर में कुल 32 सर्पीले बैंड हैं. इस रास्ते में 610 मीटर की चढ़ाई पार करनी होती है. वहीं कुछ बैंड इतने खतरनाक है कि यहां थोड़ी सी चूक होने पर गाड़ी हजारों फीट गहरी खाई में समा सकती हैं. यही नहीं गर्ब्यांग गांव के पास लगातार जमीन धंसने से कई जगहों पर मार्ग काफी खतरनाक साबित हो रहा है. यहां आये दिन गाड़ियां फंस रही हैं. यही नहीं बीते दिनों यहां एक वाहन असंतुलित होकर खाई में जा गिरा, हालांकि इस हादसे में वाहन में सवार लोग बाल-बाल बचे गए थे.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.

पढ़ें- महादेव की धरती पर 'शिव महोत्सव', चीन सीमा पर गूंजेंगे 5100 शंख

सामरिक नजरिये से अहम लिपुलेख बॉर्डर रोड इस इलाके में बसे लोगों के साथ ही यहां तैनात सेना के जवानों के लिए भी लाइफ लाइन का काम करती है. साथ ही बॉर्डर इलाकों में पर्यटन की दृष्टि से भी ये सड़क काफी अहम है. 8 मई 2020 को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख सड़क का उद्घाटन किया था, लेकिन अभी भी इस सड़क पर चौड़ीकरण और हॉटमिक्स का कार्य होना शेष हैं. फिलहाल सड़क की लिपुलेख तक कटिंग होने से चीन सीमा तक पहुंचना आसान हो गया है.

मॉनसून में सबसे बड़ी चुनौती: इस साल बरसात के दौरान ये सड़क महीनों तक बंद रही, जिसके कारण स्थानीय लोगों के साथ ही बॉर्डर पर तैनात आर्मी, आईटीबीपी और एसएसबी की आवाजाही भी बाधित रही. यही नहीं सड़क बंद होने के कारण आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन के लिए पहुंचे सैकड़ों पर्यटकों को प्रशासन द्वारा हेलीकॉप्टर के जरिये रेस्क्यू किया गया.

बीआरओ ने की है कड़ी मशक्कत: घटियाबगड़ से लिपुलेख तक 74 किलोमीटर सड़क की कटिंग करने में बीआरओ को 12 साल का लम्बा वक्त लगा है. हिमालय की गोद में इस कठिन टास्क को पूरा करने में बीआरओ के दर्जन भर कर्मचारी और मजदूरों को भी जान गंवानी पड़ी है. करीब 400 करोड़ की लागत से बीआरओ ने घटियाबगड़ से लिपुलेख तक भारत का रास्ता तैयार किया है, लेकिन अभी भी सड़क पर चौड़ीकरण और हॉटमिक्स का कार्य किया जाना है. साथ ही लैंडस्लाइड जोन का भी ट्रीटमेंट होना है, जिसके बाद ही बॉर्डर की ये लाइफ लाइन जहां स्थानीय लोगों के लिए वरदान साबित होगी. वहीं देश की सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से भी मील का पत्थर साबित होगी.

Last Updated : Nov 4, 2021, 5:00 PM IST
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