बेरीनाग: जहां एक ओर शिक्षक पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती से कतराते हैं, यदि तैनाती हो भी जाएं तो ट्रांसफर की जुगत में लगे रहते हैं. तो दूसरी ओर आज भी ऐसे शिक्षक हैं जो जी जान लगाकर बच्चों को पढ़ाते हैं. जब ऐसे शिक्षक का स्थानांतरण होता है तो बच्चे ही नहीं गांव वाले भी भावुक हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा धारचूला के मेतली में देखने को मिला. जहां राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेतली में तैनात शिक्षक दिनेश सिंह रावत के ट्रांसफर की खबर पर पूरा गांव रो पड़ा.
उत्तरकाशी के रहने वाले दिनेश सिंह रावत का ट्रांसफर दूसरे जगह होने पर बच्चे सहित पूरा गांव उदास हो गया. ऐसे शिक्षकों का जब ट्रांसफर होता है तो गांव वाले भावुक हो जाते हैं. दिनेश रावत ने दूरस्थ एवं ग्राम्य क्षेत्र में तैनाती के दौरान दुर्गम इलाकों के बच्चों के लिए शिक्षा की राह सुगम बनाने के लिए कई प्रयोग किए. जिसके चलते दिनेश रावत की पहचान पूरे जनपद के लोकप्रिय शिक्षकों में होने लगी.
दिनेश रावत स्कूली बच्चों के लिए लेखन कार्यशालाओं का आयोजन, अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन का आयोजन किया गया है. इसके साथ ही मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर होने के बाद भी विद्यालय से वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन एवं वितरण करवाया.
ये भी पढ़ें: ETV BHARAT पर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, दो हफ्ते में आ जाएगी कोरोना की दवा
दिनेश रावत के प्रयासों से उनके द्वारा विद्यालय में 'आओ संवारे खुद को' कॉर्नर की स्थापना की गई थी. जिसमें बच्चों के लिए नेल कटर, तौलिए, साबुन और तेल-कंघी की व्यवस्था की गई थी. दिनेश रावत के प्रयासों के बाद बच्चे गांव से निकल कर संकुल एवं खंड स्तर तक अपना लोहा मनाने लगे. जिसके बाद उन्हें उन्हें पूरे उत्तराखंड में बच्चों को प्रशिक्षित करने लिए बुलाया जाता था.
बच्चों को जीवन जीने की कला और शिक्षा के प्रति लगन जागृत करने वाले शिक्षक का जब तबादला हुआ तो स्कूली बच्चे ही नहीं पूरा गांव बिलख-बिलख कर रो पड़ा. दिनेश रावत का ट्रांसफर होने के बाद पूरा गांव रो पड़ा और बच्चे उनके पीछे-पीछे मुख्य सड़क तक पहुंच गए.