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देवभूमि में खास होगा रक्षाबंधन का त्योहार, भाईयों के हाथों में सजेगी इकोफ्रेंडली राखी

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Published : Aug 7, 2019, 7:31 PM IST

उत्तरापथ संस्था ने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से मुनस्यारी तहसील के जेती गांव में रिंगाल से बनी 20 हजार इकोफ्रेंडली राखियां तैयार की हैं. इन राखियों की कीमत 25 रुपये से लेकर 50 रुपये के बीच है. राष्ट्रीय स्तर पर रिंगाल से बनी इन राखियों की भारी डिमांड आ रही है. रिंगाल से राखियां बनने से पहाड़ की विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कला जहां फिर से पुनर्जीवित होगी. वहीं, पर्यावरण के लिए घातक बन चुकी प्लास्टिक से भी निजात मिल सकेगा.

ringal rakhi

पिथौरागढ़: भाई-बहनों के पवित्र और प्यार के प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन की तैयारियां जोरों पर है, लेकिन इस बार देवभूमि में यह त्योहार खास रहने वाला है. इस बार बाजार में रिंगाल से बनी राखियां लॉन्च की गई है. जो पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है. रिंगाल से बनी ये इकोफ्रेंडली राखियां, फैंसी और डिजायनर चाइनीज राखियों से कम नहीं है. ये देखने में खूबसूरत तो है ही, साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने में भी मददगार है.

भाईयों के हाथों में सजेगी रिंगाल से बनी इकोफ्रेंडली राखी.

दरअसल, हस्तशिल्प के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रही उत्तरापथ संस्था ने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से मुनस्यारी तहसील के जेती गांव में रिंगाल से बनी 20 हजार राखियां तैयार की हैं. जहां पर एक दर्जन से अधिक प्रकार की फैंसी राखियां बनाई गई है. इससे पहले संस्था ने महिलाओं को रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी थी. जिसके बाद महिलाओं को 20,000 राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया था.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखड: अब सरकारी अस्पतालों में मुफ्त मिलेगी रोटा वायरस वैक्सीन

इन राखियों की कीमत 25 रुपये से लेकर 50 रुपये के बीच है. राष्ट्रीय स्तर पर रिंगाल से बनी इन राखियों की भारी डिमांड आ रही है. संस्था की इस मुहिम को जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान और टाटा ट्रस्ट बंबई ने भी अपना सहयोग दिया है.

वहीं, इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी समाज को दिया जा रहा है. रिंगाल से राखियां बनने से पहाड़ की विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कला जहां फिर से पुनर्जीवित होगी. वहीं, पर्यावरण के लिए घातक बन चुकी प्लास्टिक से भी निजात मिल सकेगा.

बता दें कि रक्षाबंधन प्यार का वो त्योहार है जिसका इंतजार सभी भाई-बहन काफी बेसब्री से करते हैं. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं, भाई जीवन भर अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देते हैं.

पिथौरागढ़: भाई-बहनों के पवित्र और प्यार के प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन की तैयारियां जोरों पर है, लेकिन इस बार देवभूमि में यह त्योहार खास रहने वाला है. इस बार बाजार में रिंगाल से बनी राखियां लॉन्च की गई है. जो पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है. रिंगाल से बनी ये इकोफ्रेंडली राखियां, फैंसी और डिजायनर चाइनीज राखियों से कम नहीं है. ये देखने में खूबसूरत तो है ही, साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने में भी मददगार है.

भाईयों के हाथों में सजेगी रिंगाल से बनी इकोफ्रेंडली राखी.

दरअसल, हस्तशिल्प के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रही उत्तरापथ संस्था ने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से मुनस्यारी तहसील के जेती गांव में रिंगाल से बनी 20 हजार राखियां तैयार की हैं. जहां पर एक दर्जन से अधिक प्रकार की फैंसी राखियां बनाई गई है. इससे पहले संस्था ने महिलाओं को रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी थी. जिसके बाद महिलाओं को 20,000 राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया था.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखड: अब सरकारी अस्पतालों में मुफ्त मिलेगी रोटा वायरस वैक्सीन

इन राखियों की कीमत 25 रुपये से लेकर 50 रुपये के बीच है. राष्ट्रीय स्तर पर रिंगाल से बनी इन राखियों की भारी डिमांड आ रही है. संस्था की इस मुहिम को जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान और टाटा ट्रस्ट बंबई ने भी अपना सहयोग दिया है.

वहीं, इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी समाज को दिया जा रहा है. रिंगाल से राखियां बनने से पहाड़ की विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कला जहां फिर से पुनर्जीवित होगी. वहीं, पर्यावरण के लिए घातक बन चुकी प्लास्टिक से भी निजात मिल सकेगा.

बता दें कि रक्षाबंधन प्यार का वो त्योहार है जिसका इंतजार सभी भाई-बहन काफी बेसब्री से करते हैं. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं, भाई जीवन भर अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देते हैं.

Intro:पिथौरागढ़: रक्षाबंधन के त्योहार को ओर भी खास बनाने के लिए इस बार बाजार में रिंगाल से बनी राखियां लॉन्च की गई है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रही उत्तरापथ संस्था द्वारा ग्रामीण महिलाओं की मदद से 20 हजार राखियां तैयार की गई है। विकासभवन में संस्था द्वारा राखियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। रिंगाल से बनी ये इकोफ्रेंडली राखियां, फैंसी और डिजायनर चाइनीज राखियों से किसी भी लिहाज में कम नही है। ये देखने मे तो खूबसूरत है ही साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने में भी मददगार है।




Body:मुनस्यारी तहसील के जेती गाँव में उत्तरापथ संस्था द्वारा स्थानीय महिलाओं के सहयोग से एक दर्जन से अधिक प्रकार की फैंसी राखियां तैयार की गयी है। संस्था द्वारा पहले महिलाओं को रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी। इसके बाद महिलाओं को 20,000 राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया था। इन राखियों की कीमत 25 रुपये से लेकर 50 रुपये के बीच है। राष्ट्रीय स्तर पर रिंगाल से बनी इन राखियों की भारी डिमांड मिली है। संस्था की इस मुहिम को जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान और टाटा ट्रस्ट बम्बई ने भी अपना सहयोग दिया है। इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी समाज को मिल रहा है। रिंगाल से राखियां बनने से पहाड़ की विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कला जहां फिर से पुनर्जीवित होगी। वही पर्यावरण के लिए घातक बन चुकी प्लास्टिक से भी निजात मिल सकेगी।

Byte: राजेन्द्र पन्त, अध्यक्ष, उत्तरापथ संस्था


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