पिथौरागढ़: 21वीं सदी में हर कोई आधुनिक सुख-सुविधाओं की ओर भाग रहा है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपना पूरा जीवन लोगों के कल्याण में समर्पित कर देते हैं. ऐसे ही एक शख्स है पिथौरागढ़ के डॉक्टर गुरुकुलानंद कच्चाहारी, जो की आज लोगों के लिए किसी प्रेरण से कम नहीं हैं.
85 साल के डॉक्टर गुरुकुलानंद कच्चाहारी ने पर्वतीय इलाकों को कुष्ठ रोग से मुक्त करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया. मूल रूप से कानपुर के रहने वाले डॉक्टर गुरुकुलानंद कच्चाहारी बाबा ने 1975 में अल्मोड़ा के ताड़ीखेत से पहाड़ का रुख किया. जिसके बाद उन्होंने कुष्ठ रोग को जड़ से मिटाने का जिम्मा उठाया.
![Baba Gurukulananda Kachahari of Pithoragarh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6097219_tfsd.jpg)
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कुष्ठ रोगियों की खराब हालत को देखते हुए उन्होने 1984 में जिला कुष्ठ रोग निवारण अधिकारी बनने की इच्छा जाहिर की. कई सालों तक आम लोगों की सेवा करने के बाद 1993 में डॉक्टर गुरुकुलानंद कच्चाहारी रिटायर हो गये, लेकिन कुष्ठ रोग के खात्मे को उन्होंने आज भी अपने जीवन का मिशन बनाया हुआ है.
![Baba Gurukulananda Kachahari of Pithoragarh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6097219_tfsdfdfddd.jpg)
डॉक्टर गुरुकुलानंद कच्चाहारी अपने मिशन के लिए इतने सुदृढ़ थे कि उन्होंने ताउम्र ब्रह्मचारी रहने का फैसला कर लिया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद डॉक्टर गुरुकुलानंद ने अपने जीवन की पूरी जमापूंजी को लोगों की सेवा में खर्च कर दिया और मात्र 8 फीट की छोटी सी कुटिया को अपना घर बना दिया.
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सदैव गेरुआ वस्त्र पहनने वाले डॉक्टर गुरुकुलानंद 27 साल की उम्र से कच्चाहार कर रहे हैं, जिसके चलते वे अब 'बाबा कच्चाहारी' के नाम से मशहूर हो गये हैं. एक चिकित्सक के रूप में लोगों का मुफ्त इलाज करने के अलावा डॉ गुरुकुलानंद ने विभिन्न विषयों पर दर्जन भर से अधिक किताबें भी लिखी हैं. इन दिनों कच्चाहारी बाबा चारों वेदों का अनुवाद करने में जुटे हैं.
![Baba Gurukulananda Kachahari of Pithoragarh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6097219_tfsdfd.jpg)
समाज के लिए इनके समर्पण को देखकर 2003 में 'रेड एंड वाइट' और 2010 में 'राजेंद्र रावत जनसरोकार सम्मान' से सम्मानित किया गया है. डॉक्टर गुरुकुलानंद कहते हैं कि उन्होंने अपना पूरा जीवन कुष्ठ रोग को खत्म करने में लगा दिया और वे आगे भी अपने मिशन को जारी रखेंगे.