बेरीनाग: शासन-प्रशासन जहां एक ओर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्येक व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा कर रहा है. तो वहीं सीमांत तहसील मुनस्यारी के अंतर्गत तल्ला जोहार के चामी भैस्कोट गांव की तस्वीर शासन-प्रशासन के दावों की पोल खोल रही है. जहां ग्रामीण आवाजाही के लिए श्रमदान से पुल निर्माण कर रहे हैं.
गौर हो कि 18 दिन पहले की आपदा ने तल्ला जोहार के चामी भैस्कोट में तबाही मचा दी थी. आपदा से गांव में तीन मकान ध्वस्त हो गए थे और कई जानवर मलबे में दब गए थे. जबकि एक गाय को मलबे से 12 दिन बाद जिंदा निकाला गया. इसके अलावा गांव में आपदा से 7 आरसीसी पुल बह गए थे. वहीं तीन सिंचाई गूल सहित सभी आंतरिक मार्ग ध्वस्त हो गए थे.
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गांव के एक तोक में रहने वाले एक परिवार ने गांव छोड़ दिया है. वहीं गांव के पीछे खड़ी पहाड़ी से लगातार भू-कटाव हो रहा है और हल्की बारिश होने पर ग्रामीण मंदिर की धर्मशाला और प्राथमिक विद्यालय में शरण लेने को मजबूर हैं. गांव के तीन ध्वस्त पेयजल लाइनों में मात्र एक पेयजल लाइन अभी तक अस्थाई रूप से चालू हो सकी है. 74 परिवारों वाले गांव में आपदा के 18 दिन बाद भी मात्र सात परिवारों को भी विभाग पेयजल उपलब्ध करा सका है. वहीं पुल बहने से ग्रामीण गांव में ही कैद हो गए हैं.
जहां ग्रामीणों ने आवाजाही के लिए श्रमदान से पुल निर्माण शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि अभी तक नदी का जलस्तर भी काफी अधिक था, अब जलस्तर स्थिर हो चुका है. जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने श्रमदान से पुल बनाने का निर्णय लिया. इस निर्णय के तहत पुल निर्माण किया जा रहा है. वहीं अन्य नालों पर भी श्रमदान से पुलियां का निर्माण किया जाएगा.