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बेरीनाग: ओलावृष्टि और बारिश से फसल बर्बाद, सरकार से मुआवजे की उम्मीद - फसल बर्बाद बेरीनाग

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है. काश्तकारों ने सरकार से मदद की

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फसल बर्बाद
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Published : May 10, 2020, 10:43 AM IST

Updated : May 10, 2020, 11:13 AM IST

बेरीनाग: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जहां पूरा देश परेशान है तो वहीं, बारिश और ओलावृष्टि के कारण काश्तकारों के चेहरों पर मायूसी है. मौसम की मार की वजह से काश्तकारों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर गया है. बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों में लगी गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिसके चलते लोग अब बर्बाद गेहूं की फसल को जानवरों को खिलाने को मजबूर है.

सरकार से मुआवजे की उम्मीद.

जिले में पिछले 15 दिनों में सात बार से अधिक ओलावृष्टि और बारिश से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. छह महीनों की मेहनत के बाद तैयार गेंहू की फसल में मौसम की ऐसी मार पड़ी की गेहूं की बालियों में गेंहू के दाने तक नहीं मिले. वहीं, अब यह बर्बाद फसल को ग्रामीण जानवरों को खिलाने को मजबूर हैं. अब किसान सरकार से मुआवजे की आस लगाकर बैठे हैं. ऐसे में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से समाज का हर कोई परेशान है. वहीं, काशतकार भी इस महामारी से बेहाल है.

लॉकडाउन के चलते इन दिनों हर तबके के लोगों को जीवनयापन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर और देश के अन्नदाता किसान परेशान हैं. खेतों में अभी भी कई जगह गेहूं की फसल तैयार खड़ी है. किसान लगातार बदलते मौसम, बरसात और ओलावृष्टि के कारण गेहूं काट नहीं पा रहे हैं. गेंहू की फसल से लेकर सब्जी और फलों पर ओलावृष्टि की ऐसी मार पड़ी कि किसानों के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. वर्तमान में कोरोना और मौसम की दोहरी मार से किसान परेशान है. ऐसे में अब वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार इनकी मांग को अनदेखा कर रही है.

पढ़ें:बारिश और ओलों ने फसल की बर्बाद, काश्तकारों ने मांगा मुआवजा

प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष चारू पंत ने बताया कि सरकार के द्वारा ओलावृष्टि की क्षति का आकलन कराने के बाद किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया. अगर इसी तरह से फसल बर्बाद होती रही तो किसान खेती करना छोड़ देगें.

बेरीनाग: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जहां पूरा देश परेशान है तो वहीं, बारिश और ओलावृष्टि के कारण काश्तकारों के चेहरों पर मायूसी है. मौसम की मार की वजह से काश्तकारों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर गया है. बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों में लगी गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिसके चलते लोग अब बर्बाद गेहूं की फसल को जानवरों को खिलाने को मजबूर है.

सरकार से मुआवजे की उम्मीद.

जिले में पिछले 15 दिनों में सात बार से अधिक ओलावृष्टि और बारिश से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. छह महीनों की मेहनत के बाद तैयार गेंहू की फसल में मौसम की ऐसी मार पड़ी की गेहूं की बालियों में गेंहू के दाने तक नहीं मिले. वहीं, अब यह बर्बाद फसल को ग्रामीण जानवरों को खिलाने को मजबूर हैं. अब किसान सरकार से मुआवजे की आस लगाकर बैठे हैं. ऐसे में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से समाज का हर कोई परेशान है. वहीं, काशतकार भी इस महामारी से बेहाल है.

लॉकडाउन के चलते इन दिनों हर तबके के लोगों को जीवनयापन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर और देश के अन्नदाता किसान परेशान हैं. खेतों में अभी भी कई जगह गेहूं की फसल तैयार खड़ी है. किसान लगातार बदलते मौसम, बरसात और ओलावृष्टि के कारण गेहूं काट नहीं पा रहे हैं. गेंहू की फसल से लेकर सब्जी और फलों पर ओलावृष्टि की ऐसी मार पड़ी कि किसानों के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. वर्तमान में कोरोना और मौसम की दोहरी मार से किसान परेशान है. ऐसे में अब वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार इनकी मांग को अनदेखा कर रही है.

पढ़ें:बारिश और ओलों ने फसल की बर्बाद, काश्तकारों ने मांगा मुआवजा

प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष चारू पंत ने बताया कि सरकार के द्वारा ओलावृष्टि की क्षति का आकलन कराने के बाद किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया. अगर इसी तरह से फसल बर्बाद होती रही तो किसान खेती करना छोड़ देगें.

Last Updated : May 10, 2020, 11:13 AM IST
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