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आशा वर्कर्स के समर्थन में उतरी भाकपा 'माले', 264 आशा वर्कर्स को हटाने के आदेश का किया विरोध

आशा वर्कर की मांगों के समर्थन में आज वामपंथी पार्टी भाकपा-माले ने पिथौरागढ़ में प्रदर्शन किया है.

Pithoragarh
आशा वर्कर के समर्थन में उतरी भाकपा 'माले'
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Published : Jul 6, 2020, 7:42 PM IST

पिथौरागढ़: आशा वर्कर्स की मांगों के समर्थन में आज वामपंथी पार्टी भाकपा-माले ने पिथौरागढ़ में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार आशा वर्कर्स से कोरोना काल में काम तो ले रही है, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन दिया जा रहा है और न ही उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है. इस दौरान भाकपा माले ने चंपावत में 264 आशा कार्यकर्ताओं की बर्खास्तगी के आदेश का भी विरोध किया.

बता दें, पिथौरागढ़ में आज आशा वर्कर्स ने राज्य सरकार और चंपावत प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं की मांगों के समर्थन में भाकपा माले ने भी प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने चंपावत जिला प्रशासन द्वारा 264 आशा वर्कर्स को हटाने के आदेश को तानाशाही रवैया बताते हुए उसका कड़ा विरोध किया.

आशा वर्कर्स के समर्थन में उतरी भाकपा 'माले'

पढ़े- नैनीताल: देवस्थानम बोर्ड को लेकर आज फिर होगी HC में सुनवाई

वहीं, आशा वर्कर्स का कहना है कि बिना संसाधनों के एक्टिव सर्विलांस ड्यूटी का विरोध करने पर चंपावत की आशा कार्यकर्ताओं पर इस तरह की कार्रवाई की गयी, जो सरासर गलत है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनको बर्खास्त करने के आदेश को वापस नहीं लिया गया तो पूरे प्रदेश में सरकार का विरोध किया जाएगा. आशा वर्कर्स के इस आंदोलन को उत्तराखंड के सभी वाम दलों ने भी समर्थन दिया है.

पिथौरागढ़: आशा वर्कर्स की मांगों के समर्थन में आज वामपंथी पार्टी भाकपा-माले ने पिथौरागढ़ में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार आशा वर्कर्स से कोरोना काल में काम तो ले रही है, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन दिया जा रहा है और न ही उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है. इस दौरान भाकपा माले ने चंपावत में 264 आशा कार्यकर्ताओं की बर्खास्तगी के आदेश का भी विरोध किया.

बता दें, पिथौरागढ़ में आज आशा वर्कर्स ने राज्य सरकार और चंपावत प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं की मांगों के समर्थन में भाकपा माले ने भी प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने चंपावत जिला प्रशासन द्वारा 264 आशा वर्कर्स को हटाने के आदेश को तानाशाही रवैया बताते हुए उसका कड़ा विरोध किया.

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वहीं, आशा वर्कर्स का कहना है कि बिना संसाधनों के एक्टिव सर्विलांस ड्यूटी का विरोध करने पर चंपावत की आशा कार्यकर्ताओं पर इस तरह की कार्रवाई की गयी, जो सरासर गलत है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनको बर्खास्त करने के आदेश को वापस नहीं लिया गया तो पूरे प्रदेश में सरकार का विरोध किया जाएगा. आशा वर्कर्स के इस आंदोलन को उत्तराखंड के सभी वाम दलों ने भी समर्थन दिया है.

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