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उत्तराखंड के जंगलों में लालिमा बिखेर रहा बुरांश, सेहत के लिए माना जाता है फायदेमंद - buransh flowers

उत्तराखंड की सुंदरता में चार चांद लगाने वाला बुरांश पर्वतीय अंचलों में खिलने लगा है. जिससे पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है.

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Published : Feb 20, 2022, 12:31 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की सुंदरता में चार चांद लगाने वाला बुरांश पर्वतीय अंचलों में खिलने लगा है. जिससे पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है. बुरांश देवभूमि के लोकगीत, साहित्य, संस्कृति और सौंदर्य को खुद में समेटे हुए है. इसलिए औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश के फूल को उत्तराखंडी संस्कृति में भी अहम स्थान रखता है.

कविताओं में वर्णन: बुरांश का वर्णन प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविताओं में भी किया है. उन्होंने कविताओं में लिखा है कि बुरांश की जैसे कोई दूसरा सुंदर वृक्ष नहीं है. उत्तराखंड के विख्यात लोककवि गिरीश चंद तिवारी 'गिर्दा' ने भी अपनी रचनाओं में बुरांश की सुंदरता का व्याख्यान किया है.

राज्य वृक्ष का गौरव: बुरांश के पेड़ को पहाड़ के लोकजीवन में गहरी आत्मीयता मिली हुई है. इसलिए इसे राज्य वृक्ष का गौरव प्राप्त है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने संस्मरण में बुरांश का सुंदर चित्रण किया है. गढ़वाली और कुमाऊंनी लोकगीत और लोककथाओं में भी बुरांश के फूल के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है.

हिमालय क्षेत्र में 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला बुरांश लाल, गुलाबी और सफेद रंगों का होता है. हिमालय की तलहटी में जहां लाल और गुलाबी रंग के बुरांश अपनी सुंदरता बिखेरते हैं, तो उच्च हिमालयी इलाकों में सफेद रंग का बुरांश पाया जाता है.

औषधीय गुणों से युक्त: कहा जाता है कि वसंत ऋतु में यह फूल सभी फूलों से पहले खिल जाता है. मानों कहीं दूसरा फूल इससे पहले ना खिल जाए. बता दें कि, उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश नेपाल का भी राष्ट्रीय फूल है. हिमांचल और नागालैंड राज्यों में इसे राज्य पुष्प का दर्जा प्राप्त है. बुरांश सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. इसमें मौजूद औषधीय गुणों और पौष्टिक तत्व के कारण इसे कई लोग संजीवनी की संज्ञा भी देते हैं.

इसके फूलों और पत्तियों से बनी औषधियां न सिर्फ कई रोगों से बचाव में मदद करती है, बल्कि इसके जूस का नियमित सेवन शरीर के पोषण को पूरा करने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है. आयुर्वेद के अनुसार बुरास के फूलों का एक गिलास जूस रोज पीने से हृदय रोग सहित कई बीमारियों से लोग दूर रह सकते हैं.

पढ़ें: विकासनगर में किसानों को पैदावार को झुलसा रोग से बचाने की दी जानकारी

कोरोना में भी फायदेमंद: बुरांश के फायदों को लेकर कई शोध भी किए जा चुके हैं. हाल ही में किये गये शोध के अनुसार बुरांश की पंखुड़ियों में मिलने वाले फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 के संक्रमण के इलाज में मदद मिल सकती है.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की सुंदरता में चार चांद लगाने वाला बुरांश पर्वतीय अंचलों में खिलने लगा है. जिससे पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है. बुरांश देवभूमि के लोकगीत, साहित्य, संस्कृति और सौंदर्य को खुद में समेटे हुए है. इसलिए औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश के फूल को उत्तराखंडी संस्कृति में भी अहम स्थान रखता है.

कविताओं में वर्णन: बुरांश का वर्णन प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविताओं में भी किया है. उन्होंने कविताओं में लिखा है कि बुरांश की जैसे कोई दूसरा सुंदर वृक्ष नहीं है. उत्तराखंड के विख्यात लोककवि गिरीश चंद तिवारी 'गिर्दा' ने भी अपनी रचनाओं में बुरांश की सुंदरता का व्याख्यान किया है.

राज्य वृक्ष का गौरव: बुरांश के पेड़ को पहाड़ के लोकजीवन में गहरी आत्मीयता मिली हुई है. इसलिए इसे राज्य वृक्ष का गौरव प्राप्त है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने संस्मरण में बुरांश का सुंदर चित्रण किया है. गढ़वाली और कुमाऊंनी लोकगीत और लोककथाओं में भी बुरांश के फूल के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है.

हिमालय क्षेत्र में 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला बुरांश लाल, गुलाबी और सफेद रंगों का होता है. हिमालय की तलहटी में जहां लाल और गुलाबी रंग के बुरांश अपनी सुंदरता बिखेरते हैं, तो उच्च हिमालयी इलाकों में सफेद रंग का बुरांश पाया जाता है.

औषधीय गुणों से युक्त: कहा जाता है कि वसंत ऋतु में यह फूल सभी फूलों से पहले खिल जाता है. मानों कहीं दूसरा फूल इससे पहले ना खिल जाए. बता दें कि, उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश नेपाल का भी राष्ट्रीय फूल है. हिमांचल और नागालैंड राज्यों में इसे राज्य पुष्प का दर्जा प्राप्त है. बुरांश सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. इसमें मौजूद औषधीय गुणों और पौष्टिक तत्व के कारण इसे कई लोग संजीवनी की संज्ञा भी देते हैं.

इसके फूलों और पत्तियों से बनी औषधियां न सिर्फ कई रोगों से बचाव में मदद करती है, बल्कि इसके जूस का नियमित सेवन शरीर के पोषण को पूरा करने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है. आयुर्वेद के अनुसार बुरास के फूलों का एक गिलास जूस रोज पीने से हृदय रोग सहित कई बीमारियों से लोग दूर रह सकते हैं.

पढ़ें: विकासनगर में किसानों को पैदावार को झुलसा रोग से बचाने की दी जानकारी

कोरोना में भी फायदेमंद: बुरांश के फायदों को लेकर कई शोध भी किए जा चुके हैं. हाल ही में किये गये शोध के अनुसार बुरांश की पंखुड़ियों में मिलने वाले फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 के संक्रमण के इलाज में मदद मिल सकती है.

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