पिथौरागढ़: चीन और नेपाल सीमा से सटे हुए दारमा और व्यास घाटी के लोग आज भी संचार सेवा से पूरी तरह महरूम हैं. इन इलाकों में लोग शेष दुनिया से सम्पर्क करने के लिए नेपाली टेलीकॉम कंपनियों के सिम का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बीएसएनएल द्वारा सीमांत क्षेत्रों में जल्द ही मोबाइल टावर स्थापित किये जाने के आश्वासन के बाद भी महीनों से इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिसके चलते सीमांत क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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जिसके कारण इन इलाकों के लोगों को लोग नेपाली टेलीकॉम कंपनियों के सिम कार्ड का प्रयोग करना पड़ रहा है. इन इलाकों में भारतीय संचार सेवा का नामोनिशान तक नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते दिनों कुमाऊं कमिश्नर अरविंद सिंह ह्यांकी ने आपदाग्रस्त क्षेत्र धारचूला का भ्रमण कर दारमा घाटी के दुग्तु और व्यास घाटी के गुंजी में एक महीने के भीतर टावर स्थापित करने का आश्वासन दिया था. मगर, अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.
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वहीं, बीएसएनएल के अधिकारियों का कहना है कि सीमांत क्षेत्रों में टावर लगाने की कार्रवाई स्थानीय स्तर से पूरी हो चुकी है लेकिन, कॉरपोरेट ऑफिस से परमिशन मिलने के बाद ही इस पर काम शुरू हो पायेगा.
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उधर, सीमांत दारमा और व्यास घाटी में संचार सुविधा नहीं होने से लोग नेपाली टेलीकॉम के सहारे संचार से जुड़े हुए हैं. जिसके कारण राजस्व का भारी नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही नेपाली टेलीकॉम की घुसपैठ से देश की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है.