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बच्चों के अधिकारों को लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जागरूकता कार्यशाला, दिए ये निर्देश

Child Protection Workshop in Pithoragarh पिथौरागढ़ में बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता कार्यशाला संपन्न हुई. उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने कहा कि बच्चों को संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों का सख्ती से पालन किया जाए. इसके साथ ही बच्चों और समाज को जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाने के निर्देश भी दिए गए.

Child Protection Workshop in Pithoragarh
पिथौरागढ़ बाल आयोग कार्यशाला
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 19, 2024, 9:48 AM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में एक दिवसीय बाल अधिकारों एवं बाल सुरक्षा के संबंध में संवेदीकरण और जन जागरूकता कार्यशाला आयोजित हुई. कार्यशाला में अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग डॉ गीता खन्ना ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग सरकार का सांविधिक निकाय है. उत्तराखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग का गठन बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 17 के अंतर्गत 10 मई 2011 को किया गया.

Child Protection Workshop in Pithoragarh
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जागरूकता कार्यशाला

बाल अधिकार जन जागरूकता कार्यशाला: आयोग का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को अधिनियम एवं संविधान में निहित तथा अन्य अधिनियमों के तहत प्रदत्त अधिकारों का अनुपालन सुनिश्चित करवाना व उनका प्रभावी क्रियान्वयन करना है. इस कार्यशाला का उद्देश्य भी बाल अधिकार संरक्षण के प्रति सभी को जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास, समाज कल्याण, प्रोवेशन, चाइल्ड लाइन, श्रम विभाग, जेजेबी, सीडब्ल्यूसी आदि सभी समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करें. बच्चों के प्रति हिंसा, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, बाल श्रम, बाल व्यापार, दुर्व्यवहार, प्रताड़ना तथा शोषण, पोर्नोग्राफी, बाल विवाह, भिक्षावृत्ति पर पूर्ण रोक लगानी है. साथ ही शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है. उन्होंने विद्यालयों में हाइजीन, साफ सफाई, गार्डनिंग, बाल वाटिका पर विशेष ध्यान देने के निर्देश भी दिए.

नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाने के निर्देश: अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग डॉ खन्ना ने कहा कि सरकार अन्य प्राधिकारी व स्वयं सेवी संस्था द्वारा संचालित बाल संरक्षण गृह, बाल सुधार गृहों एवं बच्चों से संबंधित अन्य स्थानों जहां बच्चों को इलाज, सुधार एवं संरक्षण हेतु रखा गया है, उनका नियमित निरीक्षण करना सुनिश्चित किया जाए. वहां सभी मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए. आयोग भी स्वयं नियमित निरीक्षण करता है. उन्होंने कहा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नियमित विद्यालयों में स्वास्थ्य टीमों द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए. नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाया जाए. विद्यालयों में जाकर नशे के दुष्परिणाम के प्रति जागरूक किया जाए. समय-समय पर बच्चों व उनके अभिभावकों की काउंसलिंग भी की जाए. उन्होंने कहा कि किसी भी जानकारी के लिए आयोग अथवा उनके सदस्यों से कभी भी संपर्क किया जा सकता है. कार्यशाला में संबंधित अधिकारियों, जेजेबी, सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों के द्वारा विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारियां दी गईं.

Child Protection Workshop in Pithoragarh
बाल हिंसा रोकने के निर्देश

कार्यशाला में ये रहे मौजूद: कार्यशाला में सदस्य बाल संरक्षण आयोग विनोद कपर्वाण, सुमन राय, सीओ नरेंद्र पंत, बाल विकास अधिकारी संजय गौरव, जिला शिक्षा अधिकारी हवलदार प्रसाद, एसीएमओ मदन बोनाल, जेजेबी सदस्य विनीता कालोनी, बाल कल्याण समिति सदस्य रेखा, मनोज पांडे, ऋतु भट्ट सहित स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य मौजूद थे.
ये भी पढ़ें: प्राइवेट स्कूल की मानमानी पर बाल आयोग सख्त, छात्रों के उत्पीड़न पर मान्यता होगी रद्द!

पिथौरागढ़: उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में एक दिवसीय बाल अधिकारों एवं बाल सुरक्षा के संबंध में संवेदीकरण और जन जागरूकता कार्यशाला आयोजित हुई. कार्यशाला में अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग डॉ गीता खन्ना ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग सरकार का सांविधिक निकाय है. उत्तराखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग का गठन बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 17 के अंतर्गत 10 मई 2011 को किया गया.

Child Protection Workshop in Pithoragarh
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जागरूकता कार्यशाला

बाल अधिकार जन जागरूकता कार्यशाला: आयोग का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को अधिनियम एवं संविधान में निहित तथा अन्य अधिनियमों के तहत प्रदत्त अधिकारों का अनुपालन सुनिश्चित करवाना व उनका प्रभावी क्रियान्वयन करना है. इस कार्यशाला का उद्देश्य भी बाल अधिकार संरक्षण के प्रति सभी को जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास, समाज कल्याण, प्रोवेशन, चाइल्ड लाइन, श्रम विभाग, जेजेबी, सीडब्ल्यूसी आदि सभी समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करें. बच्चों के प्रति हिंसा, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, बाल श्रम, बाल व्यापार, दुर्व्यवहार, प्रताड़ना तथा शोषण, पोर्नोग्राफी, बाल विवाह, भिक्षावृत्ति पर पूर्ण रोक लगानी है. साथ ही शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है. उन्होंने विद्यालयों में हाइजीन, साफ सफाई, गार्डनिंग, बाल वाटिका पर विशेष ध्यान देने के निर्देश भी दिए.

नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाने के निर्देश: अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग डॉ खन्ना ने कहा कि सरकार अन्य प्राधिकारी व स्वयं सेवी संस्था द्वारा संचालित बाल संरक्षण गृह, बाल सुधार गृहों एवं बच्चों से संबंधित अन्य स्थानों जहां बच्चों को इलाज, सुधार एवं संरक्षण हेतु रखा गया है, उनका नियमित निरीक्षण करना सुनिश्चित किया जाए. वहां सभी मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए. आयोग भी स्वयं नियमित निरीक्षण करता है. उन्होंने कहा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नियमित विद्यालयों में स्वास्थ्य टीमों द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए. नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाया जाए. विद्यालयों में जाकर नशे के दुष्परिणाम के प्रति जागरूक किया जाए. समय-समय पर बच्चों व उनके अभिभावकों की काउंसलिंग भी की जाए. उन्होंने कहा कि किसी भी जानकारी के लिए आयोग अथवा उनके सदस्यों से कभी भी संपर्क किया जा सकता है. कार्यशाला में संबंधित अधिकारियों, जेजेबी, सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों के द्वारा विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारियां दी गईं.

Child Protection Workshop in Pithoragarh
बाल हिंसा रोकने के निर्देश

कार्यशाला में ये रहे मौजूद: कार्यशाला में सदस्य बाल संरक्षण आयोग विनोद कपर्वाण, सुमन राय, सीओ नरेंद्र पंत, बाल विकास अधिकारी संजय गौरव, जिला शिक्षा अधिकारी हवलदार प्रसाद, एसीएमओ मदन बोनाल, जेजेबी सदस्य विनीता कालोनी, बाल कल्याण समिति सदस्य रेखा, मनोज पांडे, ऋतु भट्ट सहित स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य मौजूद थे.
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