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पिथौरागढ़: सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रहा एंटी रैबीज इंजेक्शन, मरीज परेशान

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Published : Jan 17, 2020, 7:48 PM IST

सीमांत जिले के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों एंटी रेबीज वैक्सीन तक नहीं है. वैक्सीन नहीं होने से कुत्तों और बंदरों के शिकार लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

anti rabies
एंटी रैबीज इंजेक्शन

पिथौरागढ़: सीमांत जिले के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों एंटी रेबीज वैक्सीन तक नहीं है. वैक्सीन नहीं होने से कुत्तों और बंदरों के शिकार लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने निदेशालय से 500 वैक्सीन की डिमांड की है, लेकिन लंबा समय होने के बावजूद एक भी वैक्सीन जिले को नहीं मिल पाई है.

नहीं मिल रहा एंटी रैबीज इंजेक्शन.

बता दें कि जनपद में एक महीने में औसतन 33 से अधिक लोग कुत्ते के हमले के शिकार होते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल जनस्वास्थ्य को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं. जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है. वहीं, 5 लाख से अधिक आबादी वाले पिथौरागढ़ जिले में पिछले 3 साल में 1192 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है. साथ ही गुलदार, भालू और बंदर के हमले में घायल लोगों की संख्या जोड़ लें तो ये आंकड़ा 13,00 के पार हो जाता है.

ये भी पढ़ें:केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मिले सीएम त्रिवेंद्र, इन मुद्दों पर चर्चा कर रखी ये मांग

वहीं, हर दिन औसतन एक से अधिक व्यक्ति जानवरों के हमले का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहा है. ऐसे में कुत्ते के काटने के 24 घण्टे के भीतर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है. मगर, जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन न होने की वजह से लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

पिथौरागढ़: सीमांत जिले के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों एंटी रेबीज वैक्सीन तक नहीं है. वैक्सीन नहीं होने से कुत्तों और बंदरों के शिकार लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने निदेशालय से 500 वैक्सीन की डिमांड की है, लेकिन लंबा समय होने के बावजूद एक भी वैक्सीन जिले को नहीं मिल पाई है.

नहीं मिल रहा एंटी रैबीज इंजेक्शन.

बता दें कि जनपद में एक महीने में औसतन 33 से अधिक लोग कुत्ते के हमले के शिकार होते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल जनस्वास्थ्य को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं. जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है. वहीं, 5 लाख से अधिक आबादी वाले पिथौरागढ़ जिले में पिछले 3 साल में 1192 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है. साथ ही गुलदार, भालू और बंदर के हमले में घायल लोगों की संख्या जोड़ लें तो ये आंकड़ा 13,00 के पार हो जाता है.

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वहीं, हर दिन औसतन एक से अधिक व्यक्ति जानवरों के हमले का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहा है. ऐसे में कुत्ते के काटने के 24 घण्टे के भीतर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है. मगर, जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन न होने की वजह से लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

Intro:पिथौरागढ़: सीमांत जिले के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों एंटी रेबीज वैक्सीन तक नही है। जरूरी वैक्सीन नही होने से कूत्तों और बंदरों के शिकार लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। स्थास्थ्य महकमें ने निदेशालय से 500 वैक्सीन की डिमांड की है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि लम्बा समय गुजरने के बावजूद एक भी वैक्सीन जिले को नही मिल पाई है।

Body:सीमांत जिले में 30 दिन में औसतन 33 से अधिक लोग कुत्ते के हमले के शिकार होते है। लेकिन सरकारी अस्पताल जनस्वास्थ्य को लेकर कतई गंभीर नही है। जिले के किसी भी अस्पताल में पीड़ित को लगाने के लिए एंटी रैबीज इंजेक्शन नही है। 5 लाख से अधिक आबादी वाले पिथौरागढ़ जिले में पिछले 3 साल में 1192 से अधिक लोगों को कुत्ते ने काटा है। गुलदार, भालू और बंदर के हमले में घायल लोगों की संख्या जोड़ लें तो ये आंकड़ा 1300 के पार जाता है। इस तरह हर दिन औसतन एक से अधिक व्यक्ति जानवरों के हमले का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहा है। कुत्ते के काटने के 24 घण्टे के भीतर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाना जरूरी होता मगर जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन ना होने की वजह से लोगों को हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ रहे है।
Byte: डा0 ऊषा गुंज्याल,सीएमओ, पिथौरागढ़Conclusion:
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