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पिथौरागढ़: कोरोना काल में 284 स्वास्थ्य कर्मियों को बिना वेतन दिये दिखाया बाहर का रास्ता - health workers fired from their job

कोरोना संकट में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को हेल्थ डिपार्टमेंट ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य सरकार के निर्देश पर 3 माह के कॉन्ट्रेक्ट पर स्वास्थ्य कर्मियों को रखा गया था. लेकिन जिले में कोरोना के केस कम होने के कारण उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है.

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Published : Sep 17, 2021, 8:46 AM IST

Updated : Sep 17, 2021, 9:07 AM IST

पिथौरागढ़: कोरोना संकट में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को हेल्थ डिपार्टमेंट (health department) ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. दरअसल कोरोना की सेकेंड वेब में हेल्थ डिपार्टमेंट ने 284 लोगों को कांट्रेक्ट के तहत रखा था. जिसमें डॉक्टर, फार्मासिस्ट, नर्स और वॉर्ड बॉय शामिल हैं. लगातार 4 महीने तक काम करने के बाद विभाग ने स्वास्थ्य कर्मियों को सैलरी नहीं दी. वहीं वेतन की मांग करने पर विभाग ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है. ऐसे में सैकड़ों की संख्या में बेरोजगार हुए युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया है.

कोरोना काल में 284 स्वास्थ्य कर्मियों को बिना वेतन दिये दिखाया बाहर का रास्ता.

बता दें कि, कोरोना काल के दौरान अपनी जान की परवाह किए बगैर अग्रिम पंक्ति में सेवाएं दे रहे स्वास्थ्य कर्मी अब खुद संकट में आ गए हैं. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य सरकार के निर्देश पर 3 माह के कॉन्ट्रेक्ट पर स्वास्थ्य कर्मियों को रखा गया था. लेकिन जिले में कोरोना के केस कम होने के कारण उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है.

पढ़ें: राज्यसभा सांसद ने राज्य सरकार पर साधा निशाना, नौकरी देने को बताया छलावा

बता दें कि, सूबे के अन्य जिलों में हेल्थ वर्कर पहले की तरह काम कर रहे हैं. लेकिन पिथौरागढ़ के हेल्थ वर्कर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. कोराना संकट के बीच काम पर रखे गए कर्मियों को सीएम केयर फंड से सैलरी मिलनी थी. लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों को न तो 4 महीने की सैलरी मिल पाई और न ही नौकरी बच पाई. जिसको लेकर उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया है.

पिथौरागढ़: कोरोना संकट में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को हेल्थ डिपार्टमेंट (health department) ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. दरअसल कोरोना की सेकेंड वेब में हेल्थ डिपार्टमेंट ने 284 लोगों को कांट्रेक्ट के तहत रखा था. जिसमें डॉक्टर, फार्मासिस्ट, नर्स और वॉर्ड बॉय शामिल हैं. लगातार 4 महीने तक काम करने के बाद विभाग ने स्वास्थ्य कर्मियों को सैलरी नहीं दी. वहीं वेतन की मांग करने पर विभाग ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है. ऐसे में सैकड़ों की संख्या में बेरोजगार हुए युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया है.

कोरोना काल में 284 स्वास्थ्य कर्मियों को बिना वेतन दिये दिखाया बाहर का रास्ता.

बता दें कि, कोरोना काल के दौरान अपनी जान की परवाह किए बगैर अग्रिम पंक्ति में सेवाएं दे रहे स्वास्थ्य कर्मी अब खुद संकट में आ गए हैं. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य सरकार के निर्देश पर 3 माह के कॉन्ट्रेक्ट पर स्वास्थ्य कर्मियों को रखा गया था. लेकिन जिले में कोरोना के केस कम होने के कारण उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है.

पढ़ें: राज्यसभा सांसद ने राज्य सरकार पर साधा निशाना, नौकरी देने को बताया छलावा

बता दें कि, सूबे के अन्य जिलों में हेल्थ वर्कर पहले की तरह काम कर रहे हैं. लेकिन पिथौरागढ़ के हेल्थ वर्कर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. कोराना संकट के बीच काम पर रखे गए कर्मियों को सीएम केयर फंड से सैलरी मिलनी थी. लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों को न तो 4 महीने की सैलरी मिल पाई और न ही नौकरी बच पाई. जिसको लेकर उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया है.

Last Updated : Sep 17, 2021, 9:07 AM IST
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