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विपरीत परिस्थितियां भी नहीं तोड़ सकी पहाड़ की बेटी का हौसला, एवरेस्ट किया फतेह

शीतल की लगन, मेहनत और जुनून को देखते हुए कई कंपनियों ने एवरेस्ट अभियान में शीतल का पूरा साथ दिया. एवरेस्ट अभियान में शीतल को द हंस फाउंडेशन, सनपेट, एयूकेएमएस, सुपरटैक, क्लिफ क्लाइंबर्स, आईएलसी पिथौरागढ़, ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समूह के साथ ही कई और कम्पनियों का सहयोग मिला.

Sheetal Raj
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Published : May 17, 2019, 7:49 PM IST

Updated : May 17, 2019, 9:22 PM IST

पिथौरागढ़: सोरघाटी की बेटी शीतल ने मात्र 23 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह कर जिले का नाम रोशन किया हैं. शीतल की इस सफलता पर उनके माता-पिता खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. पेशे से टैक्सी ड्राइवर शीतल के पिता उमा शंकर ने नम आंखों से बेटी के कामयाबी का बखान किया और शीतल को एवरेस्ट अभियान के लिए सहयोग देने वालों का भी शुक्रिया अदा किया.

पढ़ें- 'मोदी कितने भी हमले करें , मैं उनको गले मिलकर प्यार दूंगा'

पिथौरागढ़ जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर शीतल राज ने सबसे कम उम्र में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह करके अपने इरादे जता दिए थे कि अब उनकी अगली मंजिल एवरेस्ट को फतेह करना है. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल के लिए एवरेस्ट का सफर आसान नहीं था.

पहाड़ की बेटी का हौसला

शीतल की लगन, मेहनत और जुनून को देखते हुए कई कंपनियों ने एवरेस्ट अभियान में शीतल का पूरा साथ दिया. एवरेस्ट अभियान में शीतल को द हंस फाउंडेशन, सनपेट, एयूकेएमएस, सुपरटैक, क्लिफ क्लाइंबर्स, आईएलसी पिथौरागढ़, ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समूह के साथ ही कई और कम्पनियों का सहयोग मिला. शीतल ने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद एवरेस्ट अभियान फतेह करके ये साबित कर दिया है कि अगर दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां भी आड़े नहीं आती.

पढ़ें- कैबिनेट मंत्री की 'नाराजगी' से खिले विपक्ष के चेहरे, हरक को मिला 'हाथ का साथ'

शीतल के पिता उमा शंकर आज भी टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है. शीतल के पिता उमा शंकर बताते है कि उनके 2 बेटे और 1 बेटी है. उन्होंने कभी भी बेटी को बेटों से कम नहीं समझा. शीतल के सपनों को पूरा करने में हमेशा उसका सहयोग दिया. शीतल के पिता नम आंखों से उन सभी का शुक्रिया अदा करते है जिनकी बदौलत शीतल का एवरेस्ट फतेह करने का सपना पूरा हो पाया. शीतल की मां सपना देवी कहती है कि उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि वो एक दिन उनका नाम जरूर रौशन करेगी.

पिथौरागढ़: सोरघाटी की बेटी शीतल ने मात्र 23 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह कर जिले का नाम रोशन किया हैं. शीतल की इस सफलता पर उनके माता-पिता खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. पेशे से टैक्सी ड्राइवर शीतल के पिता उमा शंकर ने नम आंखों से बेटी के कामयाबी का बखान किया और शीतल को एवरेस्ट अभियान के लिए सहयोग देने वालों का भी शुक्रिया अदा किया.

पढ़ें- 'मोदी कितने भी हमले करें , मैं उनको गले मिलकर प्यार दूंगा'

पिथौरागढ़ जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर शीतल राज ने सबसे कम उम्र में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह करके अपने इरादे जता दिए थे कि अब उनकी अगली मंजिल एवरेस्ट को फतेह करना है. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल के लिए एवरेस्ट का सफर आसान नहीं था.

पहाड़ की बेटी का हौसला

शीतल की लगन, मेहनत और जुनून को देखते हुए कई कंपनियों ने एवरेस्ट अभियान में शीतल का पूरा साथ दिया. एवरेस्ट अभियान में शीतल को द हंस फाउंडेशन, सनपेट, एयूकेएमएस, सुपरटैक, क्लिफ क्लाइंबर्स, आईएलसी पिथौरागढ़, ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समूह के साथ ही कई और कम्पनियों का सहयोग मिला. शीतल ने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद एवरेस्ट अभियान फतेह करके ये साबित कर दिया है कि अगर दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां भी आड़े नहीं आती.

पढ़ें- कैबिनेट मंत्री की 'नाराजगी' से खिले विपक्ष के चेहरे, हरक को मिला 'हाथ का साथ'

शीतल के पिता उमा शंकर आज भी टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है. शीतल के पिता उमा शंकर बताते है कि उनके 2 बेटे और 1 बेटी है. उन्होंने कभी भी बेटी को बेटों से कम नहीं समझा. शीतल के सपनों को पूरा करने में हमेशा उसका सहयोग दिया. शीतल के पिता नम आंखों से उन सभी का शुक्रिया अदा करते है जिनकी बदौलत शीतल का एवरेस्ट फतेह करने का सपना पूरा हो पाया. शीतल की मां सपना देवी कहती है कि उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि वो एक दिन उनका नाम जरूर रौशन करेगी.

Intro:नोट: सर इस स्टोरी की फीड और बाइट मेल पर है। पिथौरागढ़: सोरघाटी की बेटी शीतल ने मात्र 23 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह कर जिले का नाम रोशन किया है। शीतल की इस सफलता पर उनके माता पिता खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। पेशे से टैक्सी ड्राइवर रहे शीतल के पिता उमा शंकर ने नम आंखों से बेटी के कारनामों का बखान किया और शीतल को एवरेस्ट अभियान के लिए सहयोग देने वालों का भी शुक्रिया अदा किया। पिथौरागढ़ जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर शीतल राज ने सबसे कम उम्र में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह कर ये जता दिया था कि अब उनकी अगली मंजिल एवरेस्ट को फतह करना है। मगर साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल के लिए एवरेस्ट का सफर आसान नही था। शीतल की लगन, मेहनत और जुनून को देखते हुए कई कंपनियों ने एवरेस्ट अभियान में शीतल का पूरा साथ दिया। एवरेस्ट अभियान में शीतल को द हंस फाउंडेशन, सनपेट, एयूकेएमएस, सुपरटैक, क्लिफ क्लाइंबर्स, आईएलसी पिथौरागढ़, ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समूह के साथ ही कई और कम्पनियों का सहयोग मिला। शीतल ने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद एवरेस्ट अभियान फतह करके ये साबित कर दिया है कि अगर दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां आड़े नही आती। शीतल के पिता उमा शंकर आज भी टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है। शीतल के पिता उमा शंकर बताते है कि उनके 2 बेटे और 1 बेटी है। उन्होंने कभी भी बेटी को बेटों से कम नही समझा और शीतल के सपनो की उड़ान में उसका हमेशा साथ दिया। शीतल के पिता नम आंखों से उन सभी का शुक्रिया अदा करते है जिनकी बदौलत शीतल का एवरेस्ट फतह करने का सपना पूरा हो पाया। शीतल की मां सपना देवी कहती है की उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि वो एक दिन उनका सिर फख्र से ऊंचा करेगी। Byte: उमा शंकर, शीतल के पिता Byte: सपना देवी, शीतल की मां


Body:नोट: सर इस स्टोरी की फीड और बाइट मेल पर है। पिथौरागढ़: सोरघाटी की बेटी शीतल ने मात्र 23 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह कर जिले का नाम रोशन किया है। शीतल की इस सफलता पर उनके माता पिता खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। पेशे से टैक्सी ड्राइवर रहे शीतल के पिता उमा शंकर ने नम आंखों से बेटी के कारनामों का बखान किया और शीतल को एवरेस्ट अभियान के लिए सहयोग देने वालों का भी शुक्रिया अदा किया। पिथौरागढ़ जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर शीतल राज ने सबसे कम उम्र में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह कर ये जता दिया था कि अब उनकी अगली मंजिल एवरेस्ट को फतह करना है। मगर साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल के लिए एवरेस्ट का सफर आसान नही था। शीतल की लगन, मेहनत और जुनून को देखते हुए कई कंपनियों ने एवरेस्ट अभियान में शीतल का पूरा साथ दिया। एवरेस्ट अभियान में शीतल को द हंस फाउंडेशन, सनपेट, एयूकेएमएस, सुपरटैक, क्लिफ क्लाइंबर्स, आईएलसी पिथौरागढ़, ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समूह के साथ ही कई और कम्पनियों का सहयोग मिला। शीतल ने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद एवरेस्ट अभियान फतह करके ये साबित कर दिया है कि अगर दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां आड़े नही आती। शीतल के पिता उमा शंकर आज भी टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है। शीतल के पिता उमा शंकर बताते है कि उनके 2 बेटे और 1 बेटी है। उन्होंने कभी भी बेटी को बेटों से कम नही समझा और शीतल के सपनो की उड़ान में उसका हमेशा साथ दिया। शीतल के पिता नम आंखों से उन सभी का शुक्रिया अदा करते है जिनकी बदौलत शीतल का एवरेस्ट फतह करने का सपना पूरा हो पाया। शीतल की मां सपना देवी कहती है की उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि वो एक दिन उनका सिर फख्र से ऊंचा करेगी। Byte: उमा शंकर, शीतल के पिता Byte: सपना देवी, शीतल की मां


Conclusion:
Last Updated : May 17, 2019, 9:22 PM IST
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