पिथौरागढ़: सोरघाटी की बेटी शीतल ने मात्र 23 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह कर जिले का नाम रोशन किया हैं. शीतल की इस सफलता पर उनके माता-पिता खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. पेशे से टैक्सी ड्राइवर शीतल के पिता उमा शंकर ने नम आंखों से बेटी के कामयाबी का बखान किया और शीतल को एवरेस्ट अभियान के लिए सहयोग देने वालों का भी शुक्रिया अदा किया.
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पिथौरागढ़ जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर शीतल राज ने सबसे कम उम्र में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह करके अपने इरादे जता दिए थे कि अब उनकी अगली मंजिल एवरेस्ट को फतेह करना है. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल के लिए एवरेस्ट का सफर आसान नहीं था.
शीतल की लगन, मेहनत और जुनून को देखते हुए कई कंपनियों ने एवरेस्ट अभियान में शीतल का पूरा साथ दिया. एवरेस्ट अभियान में शीतल को द हंस फाउंडेशन, सनपेट, एयूकेएमएस, सुपरटैक, क्लिफ क्लाइंबर्स, आईएलसी पिथौरागढ़, ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समूह के साथ ही कई और कम्पनियों का सहयोग मिला. शीतल ने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद एवरेस्ट अभियान फतेह करके ये साबित कर दिया है कि अगर दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां भी आड़े नहीं आती.
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शीतल के पिता उमा शंकर आज भी टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है. शीतल के पिता उमा शंकर बताते है कि उनके 2 बेटे और 1 बेटी है. उन्होंने कभी भी बेटी को बेटों से कम नहीं समझा. शीतल के सपनों को पूरा करने में हमेशा उसका सहयोग दिया. शीतल के पिता नम आंखों से उन सभी का शुक्रिया अदा करते है जिनकी बदौलत शीतल का एवरेस्ट फतेह करने का सपना पूरा हो पाया. शीतल की मां सपना देवी कहती है कि उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि वो एक दिन उनका नाम जरूर रौशन करेगी.