पौड़ी: नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम को सरकारी भूमि बेचने के आरोपों से जिला प्रशासन ने बरी कर दिया है. जिसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाह फैलाने और उनकी छवि खराब करने वाले पत्रकारों के खिलाफ मानहानि का दावा करने की बात कही है. नगर पालिका अध्यक्ष पर आरोप था कि उन्होंने पालिका की सरकारी भूमि को अपने फायदे के लिए बेच दिया है. जिसके बाद अपर जिलाधिकारी पौड़ी ने मामले का संज्ञान लेते हुए नगरपालिका को 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा था. पालिका की ओर से जवाब में पूरे दस्तावेज प्रस्तुत किए गए. जिसमें पालिका को जमीन बेचने में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई और उन्हें इस मामले में क्लीन चिट दे दी है.
जानकारी के अनुसार साल 2000 में राज्यपाल की ओर से नगर पालिका को एक पत्र प्राप्त हुआ था. जिसमें लिखा गया था कि जमीन नगरपालिका को फ्री होल्ड की जाती है और बाल्मीकि समाज के लोग जो लंबे समय से यहां रह रहे हैं. उन्हें यह जमीन सर्किल रेट के अनुसार दी जाए. उस दौरान नगर पालिका अध्यक्ष की फोटो रजिस्ट्री कॉपी में लगाई गई. वर्तमान में वह नगर पालिका अध्यक्ष भी हैं. मामले में कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इस खबर को तेजी से फैलाया कि नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम की ओर से सरकारी भूमि को अपने फायदे के लिए औने-पौने दाम पर बेच दिया गया है. लेकिन जांच के बाद स्पष्ट हो गया कि बाल्मीकि समाज के लोगों को नगरपालिका की ओर से सर्किट रेट के अनुसार ही भूमि दी गई है. उसका सारा पैसा नगर पालिका में जमा कर दिया गया है.
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नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम का कहना है कि वह तीसरी बार लगातार नगर पालिका अध्यक्ष बने हैं. उनके विकास कार्यों को देखकर ही जनता उन पर विश्वास करती है. उन्होंने बताया कि कुछ पत्रकार उनकी छवि को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं. वह प्रदेश के तमाम मंत्रियों और मुख्यमंत्री तक इस बात को ले जाएंगे. साथ ही अपने अधिवक्ता से मिलकर मानहानि का दावा न्यायालय में पेश करेंगे, ताकि इन लोगों की वजह से दूसरों का नाम खराब न हो.
वहीं अपर जिलाधिकारी पौड़ी एसके बर्नवाल ने कहा कि प्रकरण की जांच के बाद पाया गया कि नगर पालिका की ओर से बेची गई जमीन पालिका के कर्मचारियों को ही बेची गई. ये जमीन पूर्व में उनके लिए फ्री होल्ड की गई थी. इसके लिए पालिका बोर्ड ने उन्हें इस भूमि को बेचने के लिए अधिकृत किया था. इसमें किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई.