पौढ़ी : पहाड़ों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए आज भी कृषि की मदद से लोग रोजगार कर अपने खाली होते गांव को रोकने में लगे हुए हैं, लेकिन जनपद पौड़ी में कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां जंगली जानवरों के आतंक से कृषकों की सारी कृषि बर्बाद हो रही है, जिससे कि कृषि क्षेत्र से उनका मोहभंग हो रहा है.
जंगली सूअर और बंदरों का आतंक
पौड़ी के कमेडा गांव में इन दिनों जंगली सूअर और बंदर किसानों की खेती खराब कर रहे हैं. इन खेतों में मटर, गाजर, मूली आदि की खेती की जा रही है और देर रात जंगली सूअर आकर खेतों को बर्बाद कर रहे हैं. वहीं दोपहर के समय बंदरों की टोलियां सारे खेतों को खराब कर कृषकों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. कृषक मांग कर रहे हैं कि यदि इसी तरह जंगली जानवर उनकी खेती को खराब करते रहेंगे तो उन्हें भी पलायन करना पड़ेगा.
पौड़ी के कमेडा गांव में स्थानीय युवा और ग्रामीणों ने मिलकर खेती करने की शुरुआत की है और शुरुआती दौर में मटर, गाजर, मूली की खेती कर रहे हैं. उन्होंने लंबे समय से बंजर पड़े खेतों को हरा-भरा करने का काम कर लिया है. लेकिन इन दिनों दोपहर के समय बंदर और रात के समय सूअर उनकी खेती को खराब कर रहे हैं, जिससे कि वह काफी परेशान भी हैं. खेतों के चारों ओर घेराबंदी करने के बाद भी जंगली सूअर बार-बार खेती को खराब कर रहे हैं उन्होंने बताया कि यदि जंगली सूअर यूं ही खेती को खराब करते रहेंगे तो आने वाले समय में क्षेत्र से पलायन को रोकने की मुहिम सफल नहीं हो पाएगी और उन्हें भी कृषि छोड़नी पड़ेगी.
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स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि उनको दिन और रात जंगली जानवरों को भगाने के लिए जागना पड़ता है और यदि जंगली जानवरों को भगाया नहीं गया तो उनकी सारी खेती खराब हो जाएगी. ग्रामीणों की मांग है कि जिला प्रशासन जंगली जानवरों और बंदरों से निजात दिलाने के लिए जल्द कोई सख्त कदम उठाएं ताकि सभी लोग खेती करने की जो शुरुआत कर रहे हैं, उसे आगे भी निरंतर करते रहें. ताकि क्षेत्रीय लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ गांव से पलायन को रोका जा सके.