कोटद्वार: उत्तराखंड वन विभाग हाईकोर्ट नैनीताल के आदेशों को भी नहीं मानता. ये हम नहीं कह रहे हैं, ये कोटद्वार में विभाग की कारस्तानी से पता चल रहा है. शिवालिक वृत्त के लैंसडाउन वन प्रभाग कोटद्वार में हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जा रही है.
यहां पर उप वन क्षेत्राधिकारी को दो-दो संवेदनशील क्षेत्रीय रेंजों का प्रभार दिया गया है. जबकि इन दोनों रेंज में पूर्व में रेंजरों की नियुक्ति थी. लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों के द्वारा दोनों रेंज के रेंजरों के अधिकारों का हस्तांतरण कर उप वन क्षेत्रधिकारी को प्रभार दे दिया गया है.
उत्तराखंड वन महकमे की लापरवाही मामले का खुलासा तब हुआ जब एक सामाजिक कार्यकर्ता मुजीव नैथानी ने सूचना के अधिकार में सूचना चाही. तब लैंसडाउन वन प्रभाग के द्वारा सूचना में बताया कि मुख्य वन संरक्षक के 2015 के आदेशों पर ही उप वन क्षेत्राधिकारी को कोटद्वार व लालढांग रेंज का प्रभार दिया गया है. चौंकाने वाली बात ये है कि इसमें हाईकोर्ट के आदेशों को छुपाया गया है. ये है हाईकोर्ट का आदेश: मार्च 2017 में हाईकोर्ट नैनीताल ने 2016 की वन क्षेत्रधिकारी संघ व अन्य याचिकाकर्ता की एक रिट पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया था कि क्षेत्रीय रेंजों में किसी भी उप वन क्षेत्राधिकारी को प्रभार नहीं दिया जाएगा. तब यह आदेश भी जारी किया गया था कि जिस भी क्षेत्रीय रेंज में उप वन क्षेत्राधिकारी को प्रभार दिया गया है, उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त किया जाए. जब इस संबंध में लैंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लैंसडाउन वन प्रभाग में हाईकोर्ट के आदेशों की कोई भी अवेहलना नहीं की जा रही है, लैंसडाउन वन प्रभाग में पांच रेंज हैं. इसमें 3 रेंजर हैं. दो रेंजों में रेंजरों की कमी होने के कारण उप वन क्षेत्राधिकारी को प्रभार दिया गया है. ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रियों ने सरकार से दर्शन करने की मांगी अनुमति, ई-पास बना सिरदर्द
वहीं वन संरक्षक शिवालिक वृत्त देहरादून अखिलेश तिवारी का कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश पूर्व में आया था कि उप वन क्षेत्राधिकारियों को क्षेत्रीय रेंज में प्रभार नहीं दिया जाएगा. लेकिन जिन रेंजों में रेंजरों की कमी है, वहां पर डीएफओ सीनियरिटी के आधार पर उप वन क्षेत्रधिकारी को प्रभार देता है.