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पौड़ी: 2016 में करोड़ों की लागत से बनी पम्पिंग योजना फेल, ग्रामीण हलकान - पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा पम्पिंग योजना का 2016 में शिलान्यास

पौड़ी के पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की किल्लत है. लोग दूरस्त क्षेत्रों से पानी ढोने को मजबूर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा पम्पिंग योजना का शिलान्यास 2016 में किया गया था, लेकिन इस योजना से लोग आज भी लाभांवित नहीं हो पाए हैं.

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करोड़ों की योजना के बाद नहीं पहुंचा पानी.
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Published : Jun 16, 2020, 10:51 AM IST

पौड़ी: पहाड़ों में पानी की समस्या होना आम बात है. सरकार ने पानी की इस समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन इसके बावजूद भी लोग दूरस्त क्षेत्रों से पानी भरकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं.

पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक की चिनवाड़ी डाडा पंपिंग योजना हमेशा से ही सुर्खियों में रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पम्पिंग योजना का शिलान्यास 2016 में किया गया था. जिसके बाद ग्रामीणों में पानी की सुविधा की उम्मीद जगी थी. वहीं, लंबा समय बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है. पंपिंग योजना के तहत टैंक के साथ गांव-गांव तक पाइप लाइन के जाल बिछा दिए गए हैं, लेकिन अब तक बिछाये गए इन पाइपों में से पानी का एक बूंद तक नहीं टपकी है.

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वहीं, समाजसेवी जगमोहन डांगी बताते है कि इस पंपिंग योजना के लिए कई बार क्रमिक अनशन और सात दिन का आमरण अनशन भी किया जा चुका है. हर बार ग्रामीणों को आश्वासन देकर अनशन समाप्त करवा दिया जाता है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं मिलता. लगभग 105 गांवों को पानी उपलब्ध कराने वाली यह पंपिंग योजना लंबे समय से ही आंदोलन और अनशन के कारण सुर्खियों में बनी हुई है.

ग्रामीणों द्वारा हर बार ही विभाग से पत्राचार किया जाता है, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण पानी के लिए लंबी-लंबी दूरियां तय करते हैं. सरकार के पास इस बात का जवाब नहीं है कि करोड़ों खर्च करने के बाद भी इस पेजल पंपिंग योजना का लाभ लोगों को क्यों नहीं मिल पा रहा है. अब युवा संगठन सीमित घंडियाल ने बैठक कर साफ कर दिया है कि अगर जल्द ही इस योजना से लाभांवित गांवों तक पानी नहीं पहुंचाया गया तो वे उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे.

पौड़ी: पहाड़ों में पानी की समस्या होना आम बात है. सरकार ने पानी की इस समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन इसके बावजूद भी लोग दूरस्त क्षेत्रों से पानी भरकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं.

पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक की चिनवाड़ी डाडा पंपिंग योजना हमेशा से ही सुर्खियों में रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पम्पिंग योजना का शिलान्यास 2016 में किया गया था. जिसके बाद ग्रामीणों में पानी की सुविधा की उम्मीद जगी थी. वहीं, लंबा समय बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है. पंपिंग योजना के तहत टैंक के साथ गांव-गांव तक पाइप लाइन के जाल बिछा दिए गए हैं, लेकिन अब तक बिछाये गए इन पाइपों में से पानी का एक बूंद तक नहीं टपकी है.

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वहीं, समाजसेवी जगमोहन डांगी बताते है कि इस पंपिंग योजना के लिए कई बार क्रमिक अनशन और सात दिन का आमरण अनशन भी किया जा चुका है. हर बार ग्रामीणों को आश्वासन देकर अनशन समाप्त करवा दिया जाता है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं मिलता. लगभग 105 गांवों को पानी उपलब्ध कराने वाली यह पंपिंग योजना लंबे समय से ही आंदोलन और अनशन के कारण सुर्खियों में बनी हुई है.

ग्रामीणों द्वारा हर बार ही विभाग से पत्राचार किया जाता है, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण पानी के लिए लंबी-लंबी दूरियां तय करते हैं. सरकार के पास इस बात का जवाब नहीं है कि करोड़ों खर्च करने के बाद भी इस पेजल पंपिंग योजना का लाभ लोगों को क्यों नहीं मिल पा रहा है. अब युवा संगठन सीमित घंडियाल ने बैठक कर साफ कर दिया है कि अगर जल्द ही इस योजना से लाभांवित गांवों तक पानी नहीं पहुंचाया गया तो वे उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे.

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