पौड़ीः बीते 15 फरवरी से फायर सीजन की शुरुआत हो गई है. जिसे लेकर वन महकमे ने कमर कसने का दावा किया है. हालांकि, अभी तक मौसम ने भी साथ दिया है. ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी के कारण जंगलों में नमी बनी हुई है. जिस वजह से वनाग्नि के मामले अभी ज्यादा सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन छिटपुट जगहों पर जंगल धधकने लगे हैं.
बता दें कि पिछले फायर सीजन में जंगलों की आग को बुझाने के लिए वन विभाग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. इतना ही नहीं हालात बेकाबू होने पर सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की भी मदद लेनी पड़ी थी. इन घटनाओं को देखते हुए अभी से महकमा तैयारियों में जुट गया है. बीते फायर सीजन में पौड़ी जिले में वनाग्नि की 678 घटनाएं सामने आई थी. इसमें 1024 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए. इसमें 42 हेक्टेयर पौधरोपण भी जला था.
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मौसम मेहरबान रहा तो कम होगी वनाग्निः पौड़ी जिले में जंगलों की आग से वन विभाग ने करीब 30 लाख की क्षति का आकलन लगाया था. इस बार मौसम अभी तक काफी राहत दे रहा है. मार्च में यदि बारिश नहीं हुई तो अप्रैल से लेकर मई तक का समय विभाग के लिए काफी परेशानी से भरा हो सकता है. हालांकि, विभाग ने अभी दावानल सुरक्षा समितियों की गोष्ठी आदि का काम भी शुरू नहीं किया है.
मैन पावर की कमी, फायर वॉचरों के कंधे पर जिम्मेदारीः वन पंचायत को आग से बचाने के साथ ही रिजर्व वनों को भी आग से बचाए रखना काफी चुनौतीपूर्ण है. विभाग में पहले ही मैन पावर का अभाव है. ऐसे में दारोमदार फायर वॉचरों पर ही रहेगा. ऐसे में वन विभाग को जंगलों की आग पर अंकुश लगाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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क्या कह रहे अधिकारीः गढ़वाल डीएफओ मुकेश कुमार ने बताया कि जरूरत के हिसाब से फायर वॉचरों की तैनाती शुरू कर दी गई है. जहां-जहां कंट्रोल वर्निंग की जानी थी, उसे किया जा रहा है. साथ ही फायर लाइनों की सफाई करवाई जा रही है. जंगलों की आग को काबू करने के लिए सभी इंतजामात किए जा रहे हैं. क्रूस्टेशन स्थापित हो चुके हैं और इन्होंने काम करना शुरू कर दिया है.