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Teelu Rauteli Memorial: कोटद्वार में तीलू रौतेली की भव्य मूर्ति का अनावरण, परिजनों ने जताई खुशी - Unveiling of grand statue of Teelu Rauteli

कोटद्वार में तीलू रौतेली स्मारक का अनावरण किया गया. इस दौरान तीलू रौतेली को याद करते हुए उन पर आधारित नाटकों का मंचन किया गया. तीलू रौतेली स्मारक का अनावरण होने पर उनके परिजनों ने खुशी जताई है.

Teelu Rauteli Memorial Unveiling
कोटद्वार में तीलू रौतेली की भव्य मूर्ति का अनावरण
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Published : Feb 6, 2023, 3:32 PM IST

कोटद्वार में तीलू रौतेली की भव्य मूर्ति का अनावरण.

कोटद्वार: गढ़वाल में झांसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध वीरबाला तीलू रौतेली का भव्य स्मारक कोटद्वार के नजीबाबाद चौक पर स्थापित किया गया. कोटद्वार नगर क्षेत्र की प्रथम महिला महापौर, पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, पूर्व विधायक कोटद्वार शैलेंद्र सिंह रावत एवं तीलू रौतेली के परिजनों ने 17 फीट ऊंची मूर्ति का विधिवत अनावरण किया.

जनपद पौड़ी के कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में उत्तराखंड की वीरबाला तीलू रौतेली का स्मारक का अनावरण परिजन जगमोहन सिंह रावत एवं बसंती देवी द्वारा किया गया है. तीलू रौतेली के स्मारक अनावरण होने पर परिजन में खुशी देखने को मिली. अनावरण कार्यक्रम पर हिंदू कॉलेज मुरादाबाद के प्राचार्य सत्यव्रत सिंह रावत ने बताया यूरोप की पत्रिका देवी जोन ऑफ आर्क में भी तीलू रौतेली का वर्णन किया गया है. 1661 में 15 वर्षीय महिला का लगभग 7 वर्षों तक सर्जिकल स्टाइक की तरह युद्ध करना भारत के इतिहास बहुत बड़ी घटना है.

कौन थीं तीलू रौतेली: तीलू रौतेली चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप सिंह की बेटी थीं. तीलू का जन्म सन 1661 में हुआ था. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई बाल्यकाल में ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. तीलू रौतेली का असली नाम तीलोत्मा देवी था. लेकिन चौंदकोट में पति की बड़ी बहन को 'रौतेली' संबोधित किया जाता है. बेला और देवकी भी तीलू को 'तीलू रौतेली' कहकर बुलाती थीं. वीर पत्वा और भक्तू की छोटी बहन तीलू बचपन से तलवार के साथ खेलकर बड़ी हुईं थी. बचपन में ही तीलू ने अपने लिए सबसे सुंदर घोड़ी 'बिंदुली' का चयन कर लिया था.

पढ़ें- Women's Day Special: उत्तराखंड की ये महिलाएं हैं बेमिसाल, अपने कार्यों से किया कमाल

15 वर्ष की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण कर दिया था. वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर हर साल प्रदेश सरकार महिलाओं को सम्मानित करती है. गढ़वाल की तीलू रौतेली रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, चांदबीबी, जियारानी जैसी वारांगनाओं के समकक्ष मानी जाती हैं. जिन्होंने छोटी सी उम्र में 7 युद्ध लड़कर अदम्य शौर्य का परिचय दिया था.

कोटद्वार में तीलू रौतेली की भव्य मूर्ति का अनावरण.

कोटद्वार: गढ़वाल में झांसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध वीरबाला तीलू रौतेली का भव्य स्मारक कोटद्वार के नजीबाबाद चौक पर स्थापित किया गया. कोटद्वार नगर क्षेत्र की प्रथम महिला महापौर, पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, पूर्व विधायक कोटद्वार शैलेंद्र सिंह रावत एवं तीलू रौतेली के परिजनों ने 17 फीट ऊंची मूर्ति का विधिवत अनावरण किया.

जनपद पौड़ी के कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में उत्तराखंड की वीरबाला तीलू रौतेली का स्मारक का अनावरण परिजन जगमोहन सिंह रावत एवं बसंती देवी द्वारा किया गया है. तीलू रौतेली के स्मारक अनावरण होने पर परिजन में खुशी देखने को मिली. अनावरण कार्यक्रम पर हिंदू कॉलेज मुरादाबाद के प्राचार्य सत्यव्रत सिंह रावत ने बताया यूरोप की पत्रिका देवी जोन ऑफ आर्क में भी तीलू रौतेली का वर्णन किया गया है. 1661 में 15 वर्षीय महिला का लगभग 7 वर्षों तक सर्जिकल स्टाइक की तरह युद्ध करना भारत के इतिहास बहुत बड़ी घटना है.

कौन थीं तीलू रौतेली: तीलू रौतेली चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप सिंह की बेटी थीं. तीलू का जन्म सन 1661 में हुआ था. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई बाल्यकाल में ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. तीलू रौतेली का असली नाम तीलोत्मा देवी था. लेकिन चौंदकोट में पति की बड़ी बहन को 'रौतेली' संबोधित किया जाता है. बेला और देवकी भी तीलू को 'तीलू रौतेली' कहकर बुलाती थीं. वीर पत्वा और भक्तू की छोटी बहन तीलू बचपन से तलवार के साथ खेलकर बड़ी हुईं थी. बचपन में ही तीलू ने अपने लिए सबसे सुंदर घोड़ी 'बिंदुली' का चयन कर लिया था.

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15 वर्ष की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण कर दिया था. वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर हर साल प्रदेश सरकार महिलाओं को सम्मानित करती है. गढ़वाल की तीलू रौतेली रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, चांदबीबी, जियारानी जैसी वारांगनाओं के समकक्ष मानी जाती हैं. जिन्होंने छोटी सी उम्र में 7 युद्ध लड़कर अदम्य शौर्य का परिचय दिया था.

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