श्रीनगर: कमलेश्वर मंदिर में की जाने वाली घृत कमल पूजा संम्पन्न हो गयी है. इस दौरान दूर दराज से श्रद्धालु कमलेश्वर मंदिर पहुंचे थी. जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्ति भाव में डूबा रहा. वहीं, इस पूजा के दौरान मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने भगवान शिव को 100 ब्रह्म कमल अर्पित किए और 100 किलो घी से शिवलिंग का लेप किया. जिसके बाद भगवान भोले नाथ को 56 प्रसादों का भोग भी लगाया गया. साथ ही पूजा संपन्न होने के बाद आशुतोष पुरी ने दिगम्बर अवस्था में मंदिर की लोट परिक्रमा की.
बता दें कि घृत कमल पूजा का वर्णन शिव महापुराण में भी किया गया है. इस पूजा को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था. कथा के अनुसार, तब अग्निकुंड में माता सती हो गयी थीं तो भगवान शिव ने बैराग धारण कर लिया था. तब तारकासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बढ़ गया. तारकासुर मानव और देवताओं को प्रताड़ित करने लगा. तारकासुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जाएगा लेकिन शिव बैरागी हो गये थे.
पढ़ें- श्रद्धालुओं ने मां धारी देवी डोली यात्रा का किया भव्य स्वागत, सुख-समृद्धि का मांगा आशीर्वाद
जिसके उपरांत मां भगवती ने पर्वत राज के यहां गौरा रूप में पुत्री के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव के मन से बैराग को हटाने के लिए देवताओं ने कामदेव को भेजा लेकिन काम देव भगवान शिव के क्रोध का शिकार हो उठे और भगवान शिव ने उन्हें भस्म कर दिया. तब देवताओं ने भगवान शिव की घृत कमल पूजा की और उन्हें प्रसन्न किया.
मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि जब भगवान शिव शिवलिंग में विराजमान हुए तो मंदिर स्थापना से कमलेश्वर में इसी तरह की घृत कमल पूजा की जाती है. इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. वहीं, हर साल माघ माह की सप्तमी में ये अनुष्ठान किया जाता है.