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श्रीनगर: कमलेश्वर मंदिर में घृत कमल पूजा संम्पन्न, एक कुंतल घी से किया शिवलिंग का लेप - कमलेश्वर मंदिर अनूठी पूजा

पौड़ी जिले के श्रीनगर में स्थित कमलेश्वर मंदिर में हर साल माघ माह के सप्तमी को होने वाली घृत कमल पूजा संम्पन्न हो गयी है. इस दौरान दूर-दराज श्रद्धालु मंदिर पहुंचे थे.

Srinagar Hindi News
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Published : Feb 2, 2020, 12:47 PM IST

Updated : Feb 2, 2020, 1:30 PM IST

श्रीनगर: कमलेश्वर मंदिर में की जाने वाली घृत कमल पूजा संम्पन्न हो गयी है. इस दौरान दूर दराज से श्रद्धालु कमलेश्वर मंदिर पहुंचे थी. जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्ति भाव में डूबा रहा. वहीं, इस पूजा के दौरान मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने भगवान शिव को 100 ब्रह्म कमल अर्पित किए और 100 किलो घी से शिवलिंग का लेप किया. जिसके बाद भगवान भोले नाथ को 56 प्रसादों का भोग भी लगाया गया. साथ ही पूजा संपन्न होने के बाद आशुतोष पुरी ने दिगम्बर अवस्था में मंदिर की लोट परिक्रमा की.

कमलेश्वर मंदिर में अनूठी पूजा संपन्न.

बता दें कि घृत कमल पूजा का वर्णन शिव महापुराण में भी किया गया है. इस पूजा को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था. कथा के अनुसार, तब अग्निकुंड में माता सती हो गयी थीं तो भगवान शिव ने बैराग धारण कर लिया था. तब तारकासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बढ़ गया. तारकासुर मानव और देवताओं को प्रताड़ित करने लगा. तारकासुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जाएगा लेकिन शिव बैरागी हो गये थे.

पढ़ें- श्रद्धालुओं ने मां धारी देवी डोली यात्रा का किया भव्य स्वागत, सुख-समृद्धि का मांगा आशीर्वाद

जिसके उपरांत मां भगवती ने पर्वत राज के यहां गौरा रूप में पुत्री के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव के मन से बैराग को हटाने के लिए देवताओं ने कामदेव को भेजा लेकिन काम देव भगवान शिव के क्रोध का शिकार हो उठे और भगवान शिव ने उन्हें भस्म कर दिया. तब देवताओं ने भगवान शिव की घृत कमल पूजा की और उन्हें प्रसन्न किया.

मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि जब भगवान शिव शिवलिंग में विराजमान हुए तो मंदिर स्थापना से कमलेश्वर में इसी तरह की घृत कमल पूजा की जाती है. इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. वहीं, हर साल माघ माह की सप्तमी में ये अनुष्ठान किया जाता है.

श्रीनगर: कमलेश्वर मंदिर में की जाने वाली घृत कमल पूजा संम्पन्न हो गयी है. इस दौरान दूर दराज से श्रद्धालु कमलेश्वर मंदिर पहुंचे थी. जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्ति भाव में डूबा रहा. वहीं, इस पूजा के दौरान मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने भगवान शिव को 100 ब्रह्म कमल अर्पित किए और 100 किलो घी से शिवलिंग का लेप किया. जिसके बाद भगवान भोले नाथ को 56 प्रसादों का भोग भी लगाया गया. साथ ही पूजा संपन्न होने के बाद आशुतोष पुरी ने दिगम्बर अवस्था में मंदिर की लोट परिक्रमा की.

कमलेश्वर मंदिर में अनूठी पूजा संपन्न.

बता दें कि घृत कमल पूजा का वर्णन शिव महापुराण में भी किया गया है. इस पूजा को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था. कथा के अनुसार, तब अग्निकुंड में माता सती हो गयी थीं तो भगवान शिव ने बैराग धारण कर लिया था. तब तारकासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बढ़ गया. तारकासुर मानव और देवताओं को प्रताड़ित करने लगा. तारकासुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जाएगा लेकिन शिव बैरागी हो गये थे.

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जिसके उपरांत मां भगवती ने पर्वत राज के यहां गौरा रूप में पुत्री के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव के मन से बैराग को हटाने के लिए देवताओं ने कामदेव को भेजा लेकिन काम देव भगवान शिव के क्रोध का शिकार हो उठे और भगवान शिव ने उन्हें भस्म कर दिया. तब देवताओं ने भगवान शिव की घृत कमल पूजा की और उन्हें प्रसन्न किया.

मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि जब भगवान शिव शिवलिंग में विराजमान हुए तो मंदिर स्थापना से कमलेश्वर में इसी तरह की घृत कमल पूजा की जाती है. इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. वहीं, हर साल माघ माह की सप्तमी में ये अनुष्ठान किया जाता है.

Intro:कमलेस्वर मंदिर में कई जाने वाली धृत कमल पूजा संम्पन्न हो गयी।इस दौरान कमलेस्वर मंदिर में दूर दराज से श्रद्धालु कमलेस्वर मंदिर में पहुचे।पूरा मंदिर परिसर भक्ति भाव मे डूबा रहा।इस दौरान मंदिर के महन्त आसुतोष पूरी ने भगवान शिव को 100 ब्रम्हम कमल अर्पित का 100 किलो घी से भगवान शिव के शिवलिंग का लेप किया साथ ही भगवान भोले नाथ को 56 भोग का प्रसाद भी अर्पित किया।इस दौरान महन्त आसुतोष पूरी ने दिगम्बर अवस्था मे भगवान शिव के मंदिर की लौट परिक्रमा की।


Body:आपको बता दे कि धृत कमल पूजा का वर्णन शिव महापुराण में भी किया गया है।इस पूजा को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था।कथा के अनुसार तब माता सती जब अग्नि कुंड में सती हो गयी थी तो भगवान शिव ने बैराग धारण कर लिया था जिससे तारका सुर नाम के राक्षस का अत्याचार मानव सहित देवताओ को भी प्रताड़ित करने लगा तारका सुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जाएगा।लेकिन शिव बैरागी हो उठे थे जिससे मा भगवती ने पर्वत राज के यहां गौरा रूप में पुत्री के रूप में जन्म लिया ।भगवान शिव के मन से बैराग को हटाने के लिए देवताओ ने काम देव को भेजा लेकिन काम देव भगवान शिव के क्रोध का शिकार हो उठे और भगवान शिव ने उन्हें भस्म कर दिया।तब देवताओ ने भगवान शिव धृत कमल पूजा की ओर भगवान शिव को प्रसन्न किया ।


Conclusion:मंदिर के महन्त बताते है कि जब भगवान शिव शिवलिंग में विराजमान हुए तो आदि काल से कमलेस्वर मंदिर में इसी तरह धृत कमल पूजा की जाती है।पूर्व में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा मंदिर की स्थापना की प्रथम पूजा के बाद से मंदिर के महंत ये पूजा करते है ।तो माघ माह की सप्तमी को की जाती है।
Last Updated : Feb 2, 2020, 1:30 PM IST
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