श्रीनगर: पूरा विश्व अभी कोरेना संक्रमण के डर से घरों में कैद होने के लिए मजबूर है, वहीं देश का एक ऐसा कोना भी है जहां विज्ञान पर आस्था भारी है. बात उतराखंड के कमलेश्वर मंदिर की है, यहां कोरेनाकाल में भी हजारों लोगों की भीड़ भगवान शिव की पूजा-अर्चना और दर्शनों के लिए बेचैन है. आज के दिन कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव का साधना करने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है. इसके अलावा निसंतान दंपति के लिए भी यह मंदिर कई मायनों में खास है.
मान्यता है कि आज के दिन जो भी निसंतान दम्पति सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है उसे संतान प्राप्ति होती है. जिसके कारण आज श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का भीड़ लगी हुई है. मंदिर परिसर में व्यवस्थाओं को बनाने के लिए पुलिस बल ने विशेष इंतजाम किए हैं. पूरे मंदिर परिसर को बैरिकेडिंग की गई है. भीड़ को देखते हुए अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल श्रीनगर में तैनात किया गया है.
'खड़े दीये' के लिए पहुंचे 108 दंपति
कोरेना काल में भी भगवान शिव के दरबार में आस्थावान लोगों का आज सुबह से ही तांता लगा रहा. सुबह से ही लोग पूजा-अर्चना के साथ 365 बातियां जलाने के लिए मंदिर में पहुंचे. वहीं, वेदनी बेला पर देश के कोने-कोने से 'खड़ा दीया' अनुष्ठान में भाग लेने आने 108 दंपति भी मंदिर परिसर पहुंचे. बता दें इस अनुष्ठान के लिए 160 लोगों ने रजिशट्रेशन करवाया था.
भगवान विष्णु ने की थी शिव का आराधना
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सुर्दशन चक्र की प्राप्ति के लिए कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी. इस दौरान व्रत के अनुसार भगवान विष्णु ने 100 कमलों को शिव आराधना के दौरान शिव लिंग मे चढ़ाना था. मगर तब भगवान शिव ने भक्ति की परीक्षा लेने के लिए 99 कमलों के बाद एक कमल छुपा दिया. जिसके बाद कलम अर्पण करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने नेत्र को चढ़ा दिया. जिसके बाद से ही भगवान विष्णु के नेत्रों को कमलनयन कहा जाता है.
निसंतान दंपति ने देखी थी भगवान विष्णु की साधना
भगवान विष्णु की भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें सुर्दशन चक्र प्रदान किया था. तब भगवान विष्णु की इस पूजा को एक निसंतान दंपति भी देख रहा था. जिसके बाद उन्होंने भी इस विधि-विधान से भगवान की पूजा अर्चना की. जिसके बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्रप्ति हुई.
बड़ी संख्या में कमलेश्वर मंदिर पहुंचते हैं श्रद्धालु
एक और मान्यता के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने ब्रह्महत्या के पाप से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना की. जिससे उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली. द्वापर युग मे भगवान कृष्ण ने जामवंती के कहने पर कमलेश्वर मंदिर में 'खड़े दीये' का अनुष्ठान किया. जिसके बाद उन्हें स्वाम नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई. आज भी कलयुग में श्रद्धालु इन मान्यताओं को मानते हैं.