कोटद्वारः शासन प्रशासन की बेरुखी के कारण द्वारीखाल ब्लॉक में लंगूरगाड़ नदी के किनारे एक नलकूप को बनते-बनते 10 साल का समय बीत चुका है, लेकिन आज भी नलकूप का लाभ स्थानीय ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीणों ने इस योजना के पूरा न होने का आरोप क्षेत्रीय विधायकों पर लगाया और कहा कि राज्य बनने के बाद से लगातार इस क्षेत्र का नेतृत्व भाजपा विधायकों ने किया, लेकिन आज तक एक छोटी सी योजना को पूरी नहीं करवा सके.
पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक में एक नलकूप को बनते-बनते 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों को आज भी इस नलकूप का लाभ नहीं मिल सका. वर्तमान में भी यह नलकूप लंगूरगाड़ नदी के किनारे शोपीस बनकर खड़ा है. इस नलकूप के बनने से द्वारीखाल ब्लॉक दुगड्डा ब्लॉक के लगभग एक दर्जन गांवों को पेयजल और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होनी थी, लेकिन शासन और प्रशासन की बेरुखी के कारण यह नलकूप मात्र नदी के किनारे पर शोपीस बनकर खड़ा है.
स्थिति यह है कि आने वाली बरसात में यह नलकूप का ढांचा लंगूरगाड़ नदी की भेंट चढ़ सकता है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लगातार 20 वर्षों से यहां पर भाजपा विधायकों ने इस क्षेत्र का नेतृत्व किया है, उसके बावजूद नलकूप का कार्य पूरा नहीं हो सका, ऐसे में ग्रामीणों के पास पलायन के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.
ग्रामीण रोशन बड़थ्वाल ने कहा कि वर्ष 2010 और 11 में यह नलकूप स्वीकृत हुआ था. 2015 में इस पर खुदाई और पाइपलाइन का कार्य शुरू हुआ था. लगातार इस पर काम चला. ट्रांसफार्मर लगा, मोटर भी लगी, लेकिन वर्तमान में न तो चालू स्थिति में है और न ही इससे ग्रामीणों को कोई लाभ मिल रहा है. शासन और प्रशासन की लापरवाही के कारण इसके आगे सिंचाई की नाली व पेयजल के लिए पाइपलाइन ओवरहेड टैंक तक नहीं बना.
सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार नलकूप का कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि मात्र नदी के किनारे पर नलकूप का ढांचा शोपीस बनकर खड़ा है. ग्रामीणों को इस नलकूप से कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है. यह हाल तब है जब भाजपा की लगातार 15 साल विधायक विजय बड़थ्वाल रहीं हैं और वर्तमान में भाजपा की रितु खंडूरी मौजूदा विधायक हैं.
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सरकार एक तरफ पलायन आयोग बना रही है और दूसरी तरफ पहाड़ों की छोटी-छोटी योजनाओं को इस तरह लटका रही है. क्षेत्र की विगत 20 सालों में यह एक मात्र योजना थी, लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण वह भी आधे अधूरे में लटकी हुई है.वहीं ग्रामीण सुभाष देवरानी ने बताया कि गांव को तो इससे बहुत फायदा मिलना था. कई गांव इसमें जुड़े थे जैसे दुंदेख, बोंठा, काटल, तुनखेत, सराई, लेकिन इस नलकूप को बनते बनते लगभग 10 साल से अधिक हो गया है, लेकिन आज तक इस नलकूप से ग्रामीणों को सुविधा नहीं मिली.