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NIT मामले में सुमाड़ी के ग्रामीण निराश, कहा- लापरवाही का खामियाजा भुगत रही जनता

सुमाड़ी के ग्रामीणों का कहना है कि एनआईटी कैंपस बनने से इलाके में रिवर्स माइग्रेशन का सिलसिला भी शुरू हो जाता. लेकिन, अधिकारियों की उदासीनता के चलते स्थानीय ग्रामीणों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

NIT Srinagar
NIT मामले में सुमाड़ी के ग्रामीण निराश
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Published : Jul 28, 2020, 4:39 PM IST

श्रीनगर: सुमाड़ी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) को उत्तराखंड से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाएगा. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि एनआईटी पूर्व चिह्नित स्थल सुमाड़ी श्रीनगर में या उत्तराखंड के किसी अन्य हिस्से में ही स्थापित होगा. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद सुमाड़ी गांव के ग्रामीण निराश हो गए हैं.

पौड़ी जनपद के सुमाड़ी गांव में ही एनआईटी का स्थायी कैंपस वर्ष 2009 से ही प्रस्तावित है. इस कैंपस के बनने से ग्रामीण खासे उत्साहित थे. जिसकी वजह से गांव के ग्रामीणों ने अपनी भूमि नि:शुल्क सरकार को दान दे दी और एनआईटी के कैंपस को बनाने में सहयोग कर रहे थे.

NIT मामले में सुमाड़ी के ग्रामीण निराश

ग्रामीणों का मानना है कि सुमाड़ी में एनआईटी कैंपस बनने से इलाके में रिवर्स माइग्रेशन का सिलसिला भी शुरू हो जाता. ऐसे ग्रामीणों को उम्मीद थी एनआईटी के जरिए उनके पास रोजगार के संसाधन भी खुल जाते. ग्रामीणों ने इसे सरकार की नाकामी बताते हुए कहा कि 2009 से अब तक एनआईटी पर एक ईट तक नहीं रखी जा सकी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में ही बनेगा NIT का स्थाई कैंपस, HC ने पूछा- 4 महीने में तय करें, कहां बनाना है कैंपस

मामले में एनआईटी के पूर्व छात्र जसबीर सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि श्रीनगर के सुमाड़ी में वर्ष 2009 में एनआईटी स्वीकृत हुआ था. राज्य सरकार समय पर न तो स्थायी परिसर बना सकी और न ही संसाधन उपलब्ध करा सकी. जिसकी वजह से इसे श्रीनगर के पॉलीटेक्निक और आईटीआई के भवनों में संचालित किया जा रहा था.

अक्टूबर 2018 में एनआईटी की दो छात्राएं सड़क हादसे में घायल हो गई थी. जिसके बाद पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने जनहित याचिका दाखिल कर कोर्ट में कहा था कि कैम्पस को तत्काल ऐसी जगह शिफ्ट किया जाए जहां एनआईटी स्तर की सुविधा छात्रों को मिलें. स्थायी कैम्पस का निर्माण किया जाए और जो छात्राएं सड़क हादसे में घायल हुई हैं उनके इलाज का खर्च सरकार उठाए.

एनआईटी सुमाड़ी का इतिहास

साल 2009 में प्रदेश में एनआईटी के निर्माण को स्वीकृति मिली थी, जिसके लिए सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों ने 312 एकड़ से ज्यादा भूमि दान की थी. साल 2014 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत एनआईटी का शिलान्यास सुमाड़ी में कर चुके. लेकिन 9 सालों से श्रीनगर एनआईटी का स्थायी परिसर आज तक बन कर तैयार नहीं हो सका.

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने एनआईटी के सुमाड़ी श्रीनगर में 1260 छात्रों की क्षमता युक्त स्थायी परिसर निर्माण के लिए 909.85 करोड़ एवं छात्रावास, प्रयोगशाला और कक्षा कक्ष बनाने के लिए 78.81 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को स्वीकार किया है. इस धनराशि में से 831.04 करोड़ रुपए सुमाड़ी में बनने वाले स्थायी परिसर के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे.

वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट ने एनआईटी श्रीनगर को शिफ्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि एनआईटी को उत्तराखंड से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाएगा. एनआईटी पूर्व चिह्नित स्थल सुमाड़ी श्रीनगर में या उत्तराखंड के किसी अन्य हिस्से में ही स्थापित होगा. कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि 4 महीने में दोबारा तय करे कि सुमाड़ी में वह स्थान एनआईटी का स्थायी कैम्पस बनने योग्य है या नहीं. हाईकोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि तीन महीने में जहां भी एनआईटी बनना है. उसके लिए डीपीआर बनाकर पैसा रिलीज करें.

श्रीनगर: सुमाड़ी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) को उत्तराखंड से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाएगा. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि एनआईटी पूर्व चिह्नित स्थल सुमाड़ी श्रीनगर में या उत्तराखंड के किसी अन्य हिस्से में ही स्थापित होगा. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद सुमाड़ी गांव के ग्रामीण निराश हो गए हैं.

पौड़ी जनपद के सुमाड़ी गांव में ही एनआईटी का स्थायी कैंपस वर्ष 2009 से ही प्रस्तावित है. इस कैंपस के बनने से ग्रामीण खासे उत्साहित थे. जिसकी वजह से गांव के ग्रामीणों ने अपनी भूमि नि:शुल्क सरकार को दान दे दी और एनआईटी के कैंपस को बनाने में सहयोग कर रहे थे.

NIT मामले में सुमाड़ी के ग्रामीण निराश

ग्रामीणों का मानना है कि सुमाड़ी में एनआईटी कैंपस बनने से इलाके में रिवर्स माइग्रेशन का सिलसिला भी शुरू हो जाता. ऐसे ग्रामीणों को उम्मीद थी एनआईटी के जरिए उनके पास रोजगार के संसाधन भी खुल जाते. ग्रामीणों ने इसे सरकार की नाकामी बताते हुए कहा कि 2009 से अब तक एनआईटी पर एक ईट तक नहीं रखी जा सकी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में ही बनेगा NIT का स्थाई कैंपस, HC ने पूछा- 4 महीने में तय करें, कहां बनाना है कैंपस

मामले में एनआईटी के पूर्व छात्र जसबीर सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि श्रीनगर के सुमाड़ी में वर्ष 2009 में एनआईटी स्वीकृत हुआ था. राज्य सरकार समय पर न तो स्थायी परिसर बना सकी और न ही संसाधन उपलब्ध करा सकी. जिसकी वजह से इसे श्रीनगर के पॉलीटेक्निक और आईटीआई के भवनों में संचालित किया जा रहा था.

अक्टूबर 2018 में एनआईटी की दो छात्राएं सड़क हादसे में घायल हो गई थी. जिसके बाद पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने जनहित याचिका दाखिल कर कोर्ट में कहा था कि कैम्पस को तत्काल ऐसी जगह शिफ्ट किया जाए जहां एनआईटी स्तर की सुविधा छात्रों को मिलें. स्थायी कैम्पस का निर्माण किया जाए और जो छात्राएं सड़क हादसे में घायल हुई हैं उनके इलाज का खर्च सरकार उठाए.

एनआईटी सुमाड़ी का इतिहास

साल 2009 में प्रदेश में एनआईटी के निर्माण को स्वीकृति मिली थी, जिसके लिए सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों ने 312 एकड़ से ज्यादा भूमि दान की थी. साल 2014 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत एनआईटी का शिलान्यास सुमाड़ी में कर चुके. लेकिन 9 सालों से श्रीनगर एनआईटी का स्थायी परिसर आज तक बन कर तैयार नहीं हो सका.

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने एनआईटी के सुमाड़ी श्रीनगर में 1260 छात्रों की क्षमता युक्त स्थायी परिसर निर्माण के लिए 909.85 करोड़ एवं छात्रावास, प्रयोगशाला और कक्षा कक्ष बनाने के लिए 78.81 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को स्वीकार किया है. इस धनराशि में से 831.04 करोड़ रुपए सुमाड़ी में बनने वाले स्थायी परिसर के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे.

वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट ने एनआईटी श्रीनगर को शिफ्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि एनआईटी को उत्तराखंड से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाएगा. एनआईटी पूर्व चिह्नित स्थल सुमाड़ी श्रीनगर में या उत्तराखंड के किसी अन्य हिस्से में ही स्थापित होगा. कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि 4 महीने में दोबारा तय करे कि सुमाड़ी में वह स्थान एनआईटी का स्थायी कैम्पस बनने योग्य है या नहीं. हाईकोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि तीन महीने में जहां भी एनआईटी बनना है. उसके लिए डीपीआर बनाकर पैसा रिलीज करें.

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