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NIT उत्तराखंड के छात्रों को मिलेगा 11 भाषाओं में पढ़ने का मौका, ये रही तैयारियां

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड के छात्रों के लिए प्रबंधन की ओर से 11 भाषाओं में पढ़ाई का ऑप्शन दिया जाएगा. इससे पहले छात्रों की पसंद जानने के लिए एक सर्वे भी करवाया जाएगा. इंजीनियरिंग के छात्र आर्ट्स, कला से संबंधित अपने च्वाइस के विषय भी ले सकेंगे और इसके मार्क्स मेन एग्जाम में काउंट किए जाएंगे.

National Institute of Technology
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Published : Jul 11, 2023, 7:07 PM IST

श्रीनगर: एनआईटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) उत्तराखंड में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब हिंदी सहित 11 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ने का मौका मिलेगा. इनकी ये पढ़ाई फस्ट व सेकेंड इयर में की जा सकेगी. इंजीनियरिंग छात्रों को ये ऑप्शन दिया जाएगा. इसके लिए एनआईटी तैयारी कर रहा है.

एसआईटी प्रबंधन की ओर से पहले सर्वे करवाया जाएगा, जिसके बाद ही छात्रों की च्वाइस के आधार पर इस नियम को लागू किया जाएगा. इसके लिए विशेष भाषा के अध्यापकों को भी रखने की रणनीति बनाई जाएगी. डॉयरेक्टर एनआईटी प्रो ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि इस नए नियम को अगले शिक्षा सत्र से लागू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही इंजीनियरिंग के छात्र योग, कला, थियेटर संबधी विषय भी ले सकेंगे. छात्रों के मेन एग्जाम में इन सब्जेक्ट्स के अंक भी काउंट किए जाएंगे और इनका क्रेडिट दिया जाएगा.

नई शिक्षा नीति (एनईपी) की तीसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एनआईटी में कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि एनआईटी के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि नई शिक्षा को संकीर्ण सोच से बाहर निकालकर 21वीं सदी के आधुनिक विचारों को जोड़ने की परिकल्पना पर आधारित है, जिसमें टेक्निकल एजुकेशन और हायर एजुकेशन में कई सुधारों के जरिए युवाओं को कुशल बनाने का लक्ष्य है.
पढ़ें- गुलदार पकड़ने के लिए अब NIT बनाएगा इलेक्ट्रॉनिक पिंजरे, वन विभाग ने सौंपी जिम्मेदारी

इसके अलावा स्कूल न जाने वाले दो करोड़ बच्चों को मुक्त विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के माध्यम में वापस लाना, बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता पर जोर के साथ स्कूलों में विज्ञान, कला और व्यावसायिक पाठ्यक्रम के बीच अलगाव को समाप्त करना, व्यावसायिक शिक्षा का शुभारंभ कक्षा 6 से इंटर्नशिप के साथ शुरू कर छात्रों के कौशल का विकास करना, बहुभाषावाद और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने व कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा में दिए जाने आदि का प्रावधान किया गया है.

वहीं, केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष भट्ट ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल में बच्चों को हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा के साथ ही स्थानीय भाषा का अध्ययन करवाया जा रहा है. इसके लिए सांस्कृति कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को स्थानीय भाषा का ज्ञान दिया जा रहा है.
पढ़ें- Uttarakhand NIT: 50 लाख में मिलने वाले सामान करोड़ों में खरीदे!, तीन अधिकारियों से जवाब तलब

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पौड़ी के प्रवक्ता शिव कुमार भारद्वाज ने कहा कि विद्यालयों में बहुभाषा का ज्ञान दिए जाने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसके तहत छात्रों को जर्मन भाषा का अध्ययन करवाया गया. अब ऑनलाइन माध्यम से चाइनीज भाषा का अध्ययन करवाया जा रहा है. इसके अलावा छात्रों को कोडिंग का ज्ञान और संस्कृत की शिक्षा भी दी जा रही है.

श्रीनगर: एनआईटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) उत्तराखंड में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब हिंदी सहित 11 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ने का मौका मिलेगा. इनकी ये पढ़ाई फस्ट व सेकेंड इयर में की जा सकेगी. इंजीनियरिंग छात्रों को ये ऑप्शन दिया जाएगा. इसके लिए एनआईटी तैयारी कर रहा है.

एसआईटी प्रबंधन की ओर से पहले सर्वे करवाया जाएगा, जिसके बाद ही छात्रों की च्वाइस के आधार पर इस नियम को लागू किया जाएगा. इसके लिए विशेष भाषा के अध्यापकों को भी रखने की रणनीति बनाई जाएगी. डॉयरेक्टर एनआईटी प्रो ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि इस नए नियम को अगले शिक्षा सत्र से लागू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही इंजीनियरिंग के छात्र योग, कला, थियेटर संबधी विषय भी ले सकेंगे. छात्रों के मेन एग्जाम में इन सब्जेक्ट्स के अंक भी काउंट किए जाएंगे और इनका क्रेडिट दिया जाएगा.

नई शिक्षा नीति (एनईपी) की तीसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एनआईटी में कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि एनआईटी के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि नई शिक्षा को संकीर्ण सोच से बाहर निकालकर 21वीं सदी के आधुनिक विचारों को जोड़ने की परिकल्पना पर आधारित है, जिसमें टेक्निकल एजुकेशन और हायर एजुकेशन में कई सुधारों के जरिए युवाओं को कुशल बनाने का लक्ष्य है.
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इसके अलावा स्कूल न जाने वाले दो करोड़ बच्चों को मुक्त विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के माध्यम में वापस लाना, बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता पर जोर के साथ स्कूलों में विज्ञान, कला और व्यावसायिक पाठ्यक्रम के बीच अलगाव को समाप्त करना, व्यावसायिक शिक्षा का शुभारंभ कक्षा 6 से इंटर्नशिप के साथ शुरू कर छात्रों के कौशल का विकास करना, बहुभाषावाद और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने व कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा में दिए जाने आदि का प्रावधान किया गया है.

वहीं, केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष भट्ट ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल में बच्चों को हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा के साथ ही स्थानीय भाषा का अध्ययन करवाया जा रहा है. इसके लिए सांस्कृति कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को स्थानीय भाषा का ज्ञान दिया जा रहा है.
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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पौड़ी के प्रवक्ता शिव कुमार भारद्वाज ने कहा कि विद्यालयों में बहुभाषा का ज्ञान दिए जाने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसके तहत छात्रों को जर्मन भाषा का अध्ययन करवाया गया. अब ऑनलाइन माध्यम से चाइनीज भाषा का अध्ययन करवाया जा रहा है. इसके अलावा छात्रों को कोडिंग का ज्ञान और संस्कृत की शिक्षा भी दी जा रही है.

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