श्रीनगर: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में इन दिनों कुछ भी ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सहित कुछ पूर्व प्रोफेसर जहां सीबीआई के रडार में हैं, तो वहीं विश्वविद्यालय में एक बार फिर कुलपति पद पर हुई नियुक्ति पर उंगली उठने लगी है. विश्वविद्यालय के छात्रों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के पास पूरा मामला ले जाने की बात कही है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए बदलाव के बाद गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी हलचल तेज हो गयी है. विश्वविद्यालय के जय हो छात्र संगठन ने कुलपति पद पर हुई नियुक्ति पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं. उन्होंने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है. छात्र संगठन का कहना है कि कुलपति पद पर नियम विरुद्ध नियुक्ति हुई है. साथ में गढ़वाल विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों में नियुक्तियों में भी धांधली होने का आरोप लगाया है.
छात्र संगठन जय हो ग्रुप के गढ़वाल संयोजक आयुष मियां ने कहा कि वे इस मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलकर पूरे मामले की जांच की मांग उठाएंगे. विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष अंकित रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रों से संबंधित गतिविधि नहीं हो रही है, लेकिन भ्रष्टाचार चरम पर है. इसकी जांच निष्पक्ष जांच एजेंसी से करवाई जानी चाहिए.
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गौर हो कि, इससे पहले बीती 9 जुलाई को भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की एक टीम ने यूपी से लेकर उत्तराखंड तक ताबड़तोड़ 14 स्थानों पर छापेमारी की थी. सीबीआई ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर के पूर्व कुलपति समेत अन्य के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी. देहरादून, श्रीनगर (उत्तराखंड) और नोएडा (यूपी) के 2014 से 2016 तक तत्कालीन विश्वविद्यालय के कुलपति के अलावा ओएसडी व अन्य लोगों के अलग-अलग बैंकों के तीन लॉकर भी खंगाले गए.
जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने पहले वर्ष 2014 से 2016 तक हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति रहे और अन्य लोगों के खिलाफ प्रारंभिक जांच के उपरांत मुकदमा दर्ज किया था. सीबीआई के मुताबिक तत्कालीन कुलपति ने 2014 से 2016 तक अपने कार्यकाल के दौरान कई अनियमितताएं संस्थानों में की. इतना ही नहीं, अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न महाविद्यालयों और संस्थानों को संबद्धता देने में भ्रष्टाचार का खेल किया.
आरोप है कि विश्वविद्यालय के तत्कालीन लोकसेवक ने अपने OSD और एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के अन्य अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर कई निजी कॉलेजों की मौजूदा संबद्धता को जारी रखने के लिए अपने दिशा-निर्देशों के तहत नियमों का उल्लंघन किया.