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गढ़वाल केंद्रीय विवि के चौखम्बा हॉस्टल में डर से कांप रहे छात्र, सुनिए उनकी जुबानी, मनोचिकित्सक ने बताया ये कारण - चौखंभा हॉस्टल की घटना

strange incidents in Chaukhambha Hostel in Srinagar हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के चौखम्बा हॉस्टल के छात्र इन दिनों डरे हुए हैं. छात्रों का कहना है कि रात में उन्हें कोई डरा रहा है. ये शिकायत किसी एक छात्र की नहीं बल्कि कई छात्रों ने की है. यहां तक कि सफाई कर्मचारी भी खुद को डरा हुआ बता रहा है. हालांकि छात्रों ने इसकी शिकायत वॉर्डन से नहीं की. उधर मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक इसके लिए तत्कालीन मानसिक स्थित और नींद की डिसऑर्डर के कारण छात्रों को ऐसा महसूस हो सकता है.

Chaukhambha Hostel in Srinagar
गढ़वाल विवि हॉस्टल
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 16, 2023, 2:22 PM IST

Updated : Dec 16, 2023, 6:53 PM IST

गढ़वाल विवि हॉस्टल

श्रीनगर: दुनिया इस समय 21वीं सदी में हैं. विज्ञान चांद से लेकर सौर मंडल के विभिन्न पहलुओं की खोज में जुटा हुआ है. आज हर एक रोग की दवा विज्ञान के पास है, लेकिन इन सब के बाद भी देश दुनिया में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं जो विज्ञान के तर्कों पर खरी नहीं उतरती हैं. ऐसा ही एक मामला इन दिनों श्रीनगर गढ़वाल स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में देखने को मिल रहा है.

गढ़वाल केंद्रीय विवि के हॉस्टर में कौन डरा रहा: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के चौखम्बा हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के साथ पिछले कुछ दिनों से अजीब-ओ-गरीब घटनाएं हो रही हैं. छात्रों का कहना है कि कभी दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है. कभी दरवाजे पर सिटकनी खुद लग जाती है. जोर से धक्का देने पर दरवाजा नहीं खुलता. हल्के से धक्का लगाने पर दरवाजा खुल जाता है. छात्रों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से वो डर गए हैं.

छात्रों ने की अजीब तरह की शिकायत: गढ़वाल विवि के इसी होस्टल में रहने वाले प्रियांशु बताते हैं कि 11 दिसंबर की देर रात वे अपने कमरे में सो रहे थे. तभी उन्हें लगा कि किसी ने उनका हाथ पकड़ लिया है. कुछ देर बाद कुछ सेकेंड के लिए उन्हें ये भी महसूस हुआ कि किसी ने उनका गला भी पकड़ा हुआ है. जब उन्होंने आंख खोली तो कोई नहीं था. इसी तरह इसी होस्टल के छात्र प्रत्यूष सैनी बताते हैं कि 13 दिसंबर की रात वे अपने अन्य दो साथी छात्रों के साथ अपने कमरे को छोड़ कर ऊपरी मंजिर पर जाते हैं. जब वापस आते हैं तो उनके कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मिलता है. जबकि वो दरवाजे को ऐसे ही छोड़ गए थे.

चौखंभा हॉस्टल की घटना: हॉस्टल में रहने वाले एक अन्य छात्र ओम प्रताप सिंह का कहना है कि उनके रूम के बाहर सिसकने की आवाज़ आती है. जब वे बाहर देखते हैं तो वहां कोई दिखाई नहीं पड़ता. वहीं इस हॉस्टल में कार्य करने वाले सफाई कर्मी खजान सिंह बताते हैं कि वे जब सुबह हॉस्टल में आते हैं तो छात्र उन्हें ऐसी घटनाओं की जानकारी देते हैं. उन्होंने बताया कि पहले तो उन्हें वहम लगा. लेकिन अब उन्हें भी इस तरह का अनुभव हो रहा है.

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक: जब ईटीवी भारत ने इस सम्बद्ध में मनोचिकित्सक डॉक्टर मोहित सैनी से बात की तो उनका कहना था कि कभी कभी किसी वहम के कारण भी इस तरह की धारणा बन जाती है. कभी वहां के वातावरण, लाइट ना होना. जगह का एकांत में होने से भी इस तरह के असर से लोग डर जाते हैं. वहीं चौखम्बा हॉस्टल के वॉर्डन डॉक्टर राकेश नेगी ने कहा कि उन्हें इस सम्बद्ध में छात्रों ने कुछ नहीं बताया है. उन्होंने कहा कि वे भी रात 11- 12 बजे हॉस्टल के रांउड में जाते रहते हैं. अगर कोई इस तरह की बात है तो वे छात्रों से पूछेंगे. घटना की सत्यता की जांच की जाएगी.

मनौवैज्ञानिक ने ये कहा: हमने इस बारे में मनोचिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर पार्थ दत्ता से भी बात की. डॉक्टर दत्ता ने कहा कि जब छात्रों को ऐसा लगता है तो उनकी मनोस्थिति को जानना जरूरी होता है. इस तरह की बातें जो छात्र बता रहे हैं ऐसा कई बार परेशान, चिंतित या पहले से ही डरे हुए होने से महसूस होता है. कई बार नींद के डिसऑर्डर के कारण भी ऐसा होता है. स्लीप पैरालिसिस जैसी स्थिति में कई बार ऐसा लगता है कि जैसे कोई छाती पर बैठा हो. उन्होंने कहा कि किसी भी इंसान की जिंदगी में ऐसे अनुभव हो सकते हैं, जब वो परेशानी या तनाव में हो.
ये भी पढ़ें: गढ़वाल केन्द्रीय विवि में 5 विषयों में 23 अध्यापकों को दी गई नियुक्ति, ग्रुप बी के लिए स्क्रूटनी जारी

नोट- ईटीवी भारत किसी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

गढ़वाल विवि हॉस्टल

श्रीनगर: दुनिया इस समय 21वीं सदी में हैं. विज्ञान चांद से लेकर सौर मंडल के विभिन्न पहलुओं की खोज में जुटा हुआ है. आज हर एक रोग की दवा विज्ञान के पास है, लेकिन इन सब के बाद भी देश दुनिया में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं जो विज्ञान के तर्कों पर खरी नहीं उतरती हैं. ऐसा ही एक मामला इन दिनों श्रीनगर गढ़वाल स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में देखने को मिल रहा है.

गढ़वाल केंद्रीय विवि के हॉस्टर में कौन डरा रहा: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के चौखम्बा हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के साथ पिछले कुछ दिनों से अजीब-ओ-गरीब घटनाएं हो रही हैं. छात्रों का कहना है कि कभी दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है. कभी दरवाजे पर सिटकनी खुद लग जाती है. जोर से धक्का देने पर दरवाजा नहीं खुलता. हल्के से धक्का लगाने पर दरवाजा खुल जाता है. छात्रों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से वो डर गए हैं.

छात्रों ने की अजीब तरह की शिकायत: गढ़वाल विवि के इसी होस्टल में रहने वाले प्रियांशु बताते हैं कि 11 दिसंबर की देर रात वे अपने कमरे में सो रहे थे. तभी उन्हें लगा कि किसी ने उनका हाथ पकड़ लिया है. कुछ देर बाद कुछ सेकेंड के लिए उन्हें ये भी महसूस हुआ कि किसी ने उनका गला भी पकड़ा हुआ है. जब उन्होंने आंख खोली तो कोई नहीं था. इसी तरह इसी होस्टल के छात्र प्रत्यूष सैनी बताते हैं कि 13 दिसंबर की रात वे अपने अन्य दो साथी छात्रों के साथ अपने कमरे को छोड़ कर ऊपरी मंजिर पर जाते हैं. जब वापस आते हैं तो उनके कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मिलता है. जबकि वो दरवाजे को ऐसे ही छोड़ गए थे.

चौखंभा हॉस्टल की घटना: हॉस्टल में रहने वाले एक अन्य छात्र ओम प्रताप सिंह का कहना है कि उनके रूम के बाहर सिसकने की आवाज़ आती है. जब वे बाहर देखते हैं तो वहां कोई दिखाई नहीं पड़ता. वहीं इस हॉस्टल में कार्य करने वाले सफाई कर्मी खजान सिंह बताते हैं कि वे जब सुबह हॉस्टल में आते हैं तो छात्र उन्हें ऐसी घटनाओं की जानकारी देते हैं. उन्होंने बताया कि पहले तो उन्हें वहम लगा. लेकिन अब उन्हें भी इस तरह का अनुभव हो रहा है.

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक: जब ईटीवी भारत ने इस सम्बद्ध में मनोचिकित्सक डॉक्टर मोहित सैनी से बात की तो उनका कहना था कि कभी कभी किसी वहम के कारण भी इस तरह की धारणा बन जाती है. कभी वहां के वातावरण, लाइट ना होना. जगह का एकांत में होने से भी इस तरह के असर से लोग डर जाते हैं. वहीं चौखम्बा हॉस्टल के वॉर्डन डॉक्टर राकेश नेगी ने कहा कि उन्हें इस सम्बद्ध में छात्रों ने कुछ नहीं बताया है. उन्होंने कहा कि वे भी रात 11- 12 बजे हॉस्टल के रांउड में जाते रहते हैं. अगर कोई इस तरह की बात है तो वे छात्रों से पूछेंगे. घटना की सत्यता की जांच की जाएगी.

मनौवैज्ञानिक ने ये कहा: हमने इस बारे में मनोचिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर पार्थ दत्ता से भी बात की. डॉक्टर दत्ता ने कहा कि जब छात्रों को ऐसा लगता है तो उनकी मनोस्थिति को जानना जरूरी होता है. इस तरह की बातें जो छात्र बता रहे हैं ऐसा कई बार परेशान, चिंतित या पहले से ही डरे हुए होने से महसूस होता है. कई बार नींद के डिसऑर्डर के कारण भी ऐसा होता है. स्लीप पैरालिसिस जैसी स्थिति में कई बार ऐसा लगता है कि जैसे कोई छाती पर बैठा हो. उन्होंने कहा कि किसी भी इंसान की जिंदगी में ऐसे अनुभव हो सकते हैं, जब वो परेशानी या तनाव में हो.
ये भी पढ़ें: गढ़वाल केन्द्रीय विवि में 5 विषयों में 23 अध्यापकों को दी गई नियुक्ति, ग्रुप बी के लिए स्क्रूटनी जारी

नोट- ईटीवी भारत किसी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

Last Updated : Dec 16, 2023, 6:53 PM IST

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