श्रीनगर: उत्तरकाशी, चमोली की सीमाएं चीन से लगती हैं. ऐसे में ये इलाके सामरिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इन इलाकों तक सड़कों का जाल बिछाया गया है. जवानों की भी यहां तैनाती है. अब इन जिलों के सामरिक महत्व को समझते हुए इन जिलों के बीच श्रीनगर गढ़वाल में जल्द ही फील्ड फायर रेंज बन सकता है. फील्ड फायर रेंज के बनने से जरूरत पड़ने पर चीन बॉर्डर के नजदीक सभी को फायर ट्रेंनिग दी जा सकती है. इसके साथ ही उत्तराखंड पुलिस के लिए भी ये काफी अहम साबित हो सकता है.
अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो एसएसबी को अपनी पहली फील्ड फायर रेंज (SSB 1st Field Fire Range) मिल सकती है. इसके लिए एसएसबी राज्य सरकार से पत्राचार कर रही है. अगर ये फील्ड फायर रेंज बनकर तैयार हो जाता है तो ये गढ़वाल और कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र का पहला फील्ड फायर रेंज होगा. जिसका उपयोग उत्तराखंड पुलिस के साथ साथ आईटीबीपी और आर्मी भी कर सकेगी. इसके बनने से सभी फोर्स अपनी फायरिंग, छोटी आर्टलरी में और भी माहिर हो सकेंगे. जरूरत पड़ने पर चीन बॉर्डर के नजदीक सभी को फायर ट्रेंनिग का मौका मिल भी सकेगा.
दरअसल, एसएसबी सीटीसी सेंटर धोबीघाट के पास अपनी फायरिंग रेंज है, इस फायर रेंज को बढ़ाने की कवायद को बढ़ाते हुए इसे फील्ड फायर रेंज में तब्दील किया जाना है. इसके लिए एसएसबी राज्य सरकार को अपनी कमलेश्वर, गैरसैंण, गोपेश्वर, कुंड में मौजूद कमर्शियल लैंड के बदले वन भूमि मांग रही है. जिसके लिए शासन स्तर पर पत्राचार किया जा रहा है.
एसएसबी सीटीसी सेंटर श्रीनगर (SSB CTC Center Srinagar) के डीआईजी सृष्टि राज गुप्ता ने बताया उन्हें नॉर्मल फायर रेंज को बढ़ाते हुए फील्ड फायर रेंज में बदलना है, लेकिन जिस जगह पर नार्मल फायर रेंज है, वहां जमीन कम है. जिसके लिए सरकार से पत्राचार किया जा रहा है. पत्राचार के अनुसार एसएसबी के पास व्यवसायिक जमीन है. जिसे वे सरकार को देकर उक्त जगह पर वन भूमि की मांग की है. अगर ये हस्तांतरण हो जाता है तो सभी फोर्स को फील्ड फायरिंग के लिए श्रीनगर में ही जमीन मिल जाएगी.