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मजदूरों का दुख बांटने नंगे पैर चला समाजसेवी, कहा- सरकार बनाए ठोस नीति - लॉकडाउन

समाजसेवी नमन चंदोला बीते दो दिन से मजदूरों की पीड़ा के अहसास के लिए नंगे पांव चल रहे हैं. उन्होंने सरकार से मजदूरों के लिए ठोस योजना बनाने की मांग की है.

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समाजसेवी नमन चंदोला
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Published : May 27, 2020, 12:19 PM IST

पौड़ीः लॉकडाउन के चलते कई प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में एक युवा समाजसेवी नमन चंदोला अनोखे तरीके से सरकार का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. जी हां, नमन मजदूरों की पीड़ा के अहसास के लिए बीते दो दिन से नंगे पांव चल रहे हैं.

मजदूरों का दुख बांटने पैदल चला समाजसेवी.

समाजसेवी नमन चंदोला का कहना है कि सरकार गरीब तबके और मजदूरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. महामारी के बीच मजदूर तबका भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है. नमन ने मजदूरों के लिए ठोस योजना बनाने की मांग की है. मांगें पूरी ना होने पर आमरण अनशन की चेतावनी भी दी है.

ये भी पढ़ेंः क्वारंटाइन सेंटर में चल रही 'हाथों की सफाई', कैंप से 900 चादरें 'गायब'

अमन का कहना है कि कई गरीब मजदूर खाने-पीने और पैसे के अभाव में पैदल ही अपने गांव की ओर वापस लौट रहे हैं. केंद्र सरकार हो या किसी भी राज्य की सरकार किसी ने भी इन मजदूरों के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई है. पैदल चलते-चलते कई मजदूरों की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद सरकारें गरीब मजदूरों के प्रति ध्यान नहीं दे रही हैं.

पौड़ीः लॉकडाउन के चलते कई प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में एक युवा समाजसेवी नमन चंदोला अनोखे तरीके से सरकार का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. जी हां, नमन मजदूरों की पीड़ा के अहसास के लिए बीते दो दिन से नंगे पांव चल रहे हैं.

मजदूरों का दुख बांटने पैदल चला समाजसेवी.

समाजसेवी नमन चंदोला का कहना है कि सरकार गरीब तबके और मजदूरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. महामारी के बीच मजदूर तबका भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है. नमन ने मजदूरों के लिए ठोस योजना बनाने की मांग की है. मांगें पूरी ना होने पर आमरण अनशन की चेतावनी भी दी है.

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अमन का कहना है कि कई गरीब मजदूर खाने-पीने और पैसे के अभाव में पैदल ही अपने गांव की ओर वापस लौट रहे हैं. केंद्र सरकार हो या किसी भी राज्य की सरकार किसी ने भी इन मजदूरों के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई है. पैदल चलते-चलते कई मजदूरों की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद सरकारें गरीब मजदूरों के प्रति ध्यान नहीं दे रही हैं.

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