पौड़ी: फायर सीजन शुरू होने के साथ ही उत्तराखंड के जंगल भी आग से धधकने लगे हैं. जंगलों को आग से बचाने की वन विभाग की कोशिशें धरातल पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पा रही है. हालांकि वन विभाग अपनी तरफ से नए-नए प्रयास करने में जुटा हुआ है. इसी एक प्रयास के तहत पौड़ी में सोमवार को वनाग्नि पर गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों को जन-जागरूकता लाने के लिए नई रणनीति बनाई गई.
विभाग अब गांव गांव जाकर ग्रामीणों को वनाग्नि के प्रति जागरूक कर रहे हैं, जिसमें विभाग के साथ अब जनप्रतिनिधि भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. पौड़ी जिलाधिकारी आशीष चौहान ने वन समेत रेखीय विभागों को जीरो फॉरेस्ट फायर को लेकर अलर्ट रहने का कहा है. सोमवार को द्वारीखाल में वनाग्नि सुरक्षा को लेकर जन-जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों जंगलों में आग लगने से होने वाले दुष्प्रभावों की वैज्ञानिक जानकारियां बताई गई. साथ ही वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वो वनाग्नि को रोकने में उनकी मदद करे.
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इस मौके पर ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा ने जंगलों की आग को जैव विविधता के लिए खतरा बताया. उन्होंने जैव विविधता पर ध्यान केंद्रित करते हुए जल, जमीन और जंगल को बचाने पर फोकस किया. एक ओर जहां जंगलों की आग पर्यावरण को दूषित कर रही है ,वहीं वन्यजीवों को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. हर साल बड़ी तादाद में जंगल आग की चपेट में आ रहे हैं.
ब्लॉक प्रमुख राणा ने वनाग्नि पर अंकुश करने के लिए सभी का सहयोग जरूरी बताया. कहा कि जिस तर्ज पर चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी ने पेड़ से चिपककर उनको बचाया था, उसी तर्ज पर आज भी जंगलों को बचाना होगा. इस मौके पर वन क्षेत्राधिकारी चैलूसैंण इंद्रमोहन कोठरी ने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए स्थानीय लोगों को भी विभाग का सहयोग करना होगा. कहा कि आपसी सहयोग से ही जंगलों को बचाया जा सकेगा.
इस मौके पर उन्होंने कहा कि वनों में आग लगाते हुए कोई व्यक्ति दिखे तो विभाग के टोल फ्री नंम्बर पर सूचना दे सकता है, जिससे कि ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सके. वनाधिकारियों ने कहा कि महकमे ने एक ट्रोल फ्री नंबर भी जारी किया है.