श्रीनगर: एक बार फिर से श्रीनगर के लिए खतरे की घंटी बज रही है. दरअसल इन दिनों हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के चौरास स्टेडियम को फिर से बनाने के लिए लाखों टन मलबा स्टेडियम में गिराया जा रहा है. लेकिन इस मलबे को बरसात से बचाने और अलकनंदा नदी के तेज बहाव से बचाने के लिए पूर्व में बनाई गई सुरक्षा दीवार टूटने की कगार पर पहुंच गई है. ऐसे में श्रीनगर में खतरा मंडरा रहा है.
यह दीवार जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है, लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया है. स्टेडियम को बनाने के लिए रेलवे द्वारा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की विभिन्न साइटों से यहां मलबा एकत्र किया जा रहा है. जिसका बरसात में कटाव होने का खतरा लगातार बना हुआ है. बता दें कि इससे पूर्व भी श्रीनगर जल विद्युत परियोजना ने इसी जगह पर लाखों टन मलबा डंप किया था. ये मलबा 2013 की आई आपदा में लोगों के घरों में घुस गया था. इस मलबे के कारण स्थानीय लोगों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था. लोगों का घरों में रखा सामान भी बर्बाद हो गया था. वहीं, मलबे के कारण लोगों की जान हलक में आ गई थी.
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गढ़वाल विवि के छात्र और स्थानीय निवासी कार्तिक बहुगुणा ने कहा कि अगर इस मलबे को सुरक्षा दीवार के जरिए सुरक्षित किया जाता है तो, पूर्व की तरह हुए नुकसान से बचा जा सकता है. इसलिए गढ़वाल विवि और रेलवे विकास निगम को बरसात आने से पूर्व एक बड़ी सुरक्षा दीवार के जरिए मुसीबत को रोकने की कोशिश करनी चाहिए. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के कुलसचिव एनएस पंवार ने ईटीवी भारत से बातचीत में माना कि इस जगह पर मजबूत सुरक्षा दीवार होना बेहद जरूरी है.
वे भी मानते हैं कि अगर सुरक्षा दीवार न बनाई गई तो भविष्य में होने वाले नुकसान को नहीं रोका जा सकता है. इसलिए प्रशासन से सुरक्षा दीवार निर्माण के संबंध में पत्राचार किया गया था. प्रशासन ने सुरक्षा दीवार बनाने की अनुमति प्रदान कर दी है. उन्होंने कहा कि रेलवे विकास निगम ही इस जगह पर सुरक्षा दीवार का निर्माण करेगा और यहीं से एक मार्ग बनाना भी प्रस्तावित किया गया है. बरसात से पूर्व सुरक्षा दीवार का काम पूरा कर लिया जाएगा.