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इस गांव में आज तक नहीं पहुंची सड़क, मरीजों को पालकी में बैठाकर 12KM जाते हैं ग्रामीण

पौड़ी जिले के थलीसैंड ब्लॉक के देवराड़ी गांव में गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 12 किलोमीटर का सफर पालकी में बैठाकर तय किया जाता है.

पालकी में बैठाकर मरीज को अस्पताल ले जाते ग्रामाीण.
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Published : Sep 13, 2019, 11:35 PM IST

पौड़ी: उत्तराखंड बनने के 18 साल बाद भी जिले के थलीसैंड ब्लॉक के कई गांव सड़क न होने के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य विकास की धाराओं से कोसों दूर हैं. वहीं, थलीसैंड ब्लॉक के देवराड़ी गांव में गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 12 किलोमीटर का सफर पालकी में बैठाकर तय किया जा रहा है. पलायन के चलते कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें अस्पताल तक ले जाने वाला भी कोई नहीं है. ऐसे में उपचार न मिलने के चलते मरीज गांव में ही दम तोड़ रहे हैं. ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं. लेकिन आज तक इस गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है.

यहां आज तक नहीं पहुंची सड़क.

बता दें कि देवराडी गांव में सड़क न होने के चलते के ग्रामीण आज भी उपचार के लिए 12 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल जाते हैं. ऐसे में बुजुर्ग मरीजों को पालकी में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है.

ये भी पढ़े: भोपालः गणेश प्रतिमा के विसर्जन के दौरान दो नावों के पलटने से 11 लोगों की मौत

इस मामले पर क्षेत्रीय विधायक धन सिंह रावत ने बताया कि ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे थे. ब्लॉक के अधिकतर गांवों में सड़क पहुंचा दी गई है. आने वाले समय में जल्द ही देवराड़ी गांव को भी पक्की सड़क मिल जाएगी.

पौड़ी: उत्तराखंड बनने के 18 साल बाद भी जिले के थलीसैंड ब्लॉक के कई गांव सड़क न होने के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य विकास की धाराओं से कोसों दूर हैं. वहीं, थलीसैंड ब्लॉक के देवराड़ी गांव में गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 12 किलोमीटर का सफर पालकी में बैठाकर तय किया जा रहा है. पलायन के चलते कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें अस्पताल तक ले जाने वाला भी कोई नहीं है. ऐसे में उपचार न मिलने के चलते मरीज गांव में ही दम तोड़ रहे हैं. ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं. लेकिन आज तक इस गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है.

यहां आज तक नहीं पहुंची सड़क.

बता दें कि देवराडी गांव में सड़क न होने के चलते के ग्रामीण आज भी उपचार के लिए 12 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल जाते हैं. ऐसे में बुजुर्ग मरीजों को पालकी में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है.

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इस मामले पर क्षेत्रीय विधायक धन सिंह रावत ने बताया कि ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे थे. ब्लॉक के अधिकतर गांवों में सड़क पहुंचा दी गई है. आने वाले समय में जल्द ही देवराड़ी गांव को भी पक्की सड़क मिल जाएगी.

Intro:जनपद पौड़ी के थलीसैंड ब्लॉक में आज भी बहुत से ऐसे गांव है जहां की सड़क न होने के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं अन्य विकास की धाराओं से काफी दूर है। थलीसैंड ब्लॉक का देवराड़ी गांव जहाँ की गंभीर मरीजों को 12 किलोमीटर पालकी में बैठाकर लाया जाता है और बहुत से से मरीज हैं जिनको लेजाने वाला कोई नहीं होता और वह स्वास्थ्य उपचार न मिलने के चलते गांव में ही दम तोड़ देते हैं। ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं लेकिन आज उत्तराखंड बने हुए 18 साल बीतने के बाद भी इस गांव में सड़क तक नहीं पहुंच पाई।


Body:उत्तराखंड बनने के 18 साल बीतने के बाद दोनों ही सरकारों ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के तमाम बड़े वादे क्यों न की हो लेकिन विकास किस चिड़िया को कहते हैं वह देवराड़ी गांव के ग्रामीण नहीं जानते। गांव के ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं और आज हालात ऐसे हैं कि जब कोई गांव में बीमार होता है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए करीब 12 किलोमीटर पैदल पालकी में लेकर जाना पड़ता है वहीं ग्रामीण आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं की उन्हें भी विकास की मुख्यधारा के साथ जोड़ा जाए और उनके गांव तक सड़क पहुंचाई जाए।


Conclusion:श्रीनगर विधानसभा के देवराडी गांव के ग्रामीण सड़क न होने के चलते आज भी उपचार के लिए 12 किलोमीटर पैदल चलकर आते हैं यदि कोई बुजुर्ग की हालत गंभीर हो जाए तो उसे पालकी में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है वही क्षेत्रीय विधायक धन सिंह रावत ने कहा कि लंबे समय से ग्रामीण सड़क की मांग कर रहे थे और ब्लॉक के अधिकतर गांव में सड़क पहुंचा दी गई है वहीं आने वाले समय में जल्द ही देवराड़ी गांव को भी पक्की सड़क मिल जाएगी। वही पक्की सड़क बनने तक देवराड़ी गांव के ग्रामीण ही जान सकते हैं कि गंभीर बीमारी के दौरान लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का दुख क्या होता है। अब ग्रामीण सिर्फ उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब उनके गांव तक सड़क पहुंचे और स्वास्थ्य उपचार के लिए उन्हें पैदल अस्पताल तक न जाना पड़े।
बाईट-धन सिंह रावत(श्रीनगर विधायक)
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