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सरकार से मदद की गुहार लगा रहे दिव्यांग भाई-बहन, अपनी प्रतिभा का मनवा चुके हैं लोहा - Trend divyang siblings in music

दिव्यांग भाई-बहनों को बचपन से ही परिवार के भरण-पोषण के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. इन तीनों भाई-बहनों का कहना है कि वो संगीत के क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं लेकिन, उनके पास संसाधनों की कमी है. ऐसे में तीनों दिव्यांग भाई-बहनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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सरकार से मदद की गुहार लगा रहे दिव्यांग भाई-बहन
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Published : Dec 26, 2019, 4:59 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 6:02 PM IST

पौड़ी: जनपद के कोटमंडल गांव के रहने वाले एक ही परिवार के नेत्रहीन भाई-बहनों में संगीत की प्रतिभाएं छिपी हुई हैं. ये तीनों भाई-बहन बिना ट्रेनिंग के ही हारमोनियम, बांसुरी और विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों को बजाने के साथ ही कई गीतों को आसानी से गा लेते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में दिव्यांगों ने बताया कि उन्हें बचपन से ही परिवार के भरण-पोषण के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. इन तीनों भाई-बहनों का कहना है कि वो संगीत के क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं लेकिन, उनके पास संसाधनों की कमी है. ऐसे में तीनों दिव्यांग भाई-बहनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

सरकार से मदद की गुहार लगा रहे दिव्यांग भाई-बहन

दिव्यांग होने के बाद भी किस्मत को मात देता ये दिव्यांग और गरीब परिवार पौड़ी जनपद के कोटमंडल गांव का रहने वाला है. दिव्यांग होने के बावजूद इन्होंने दिव्यांगता को कभी अपने आड़े नहीं आने दिया. निर्मल उनकी बहन और उनका एक भाई आज भी अपने संघर्ष की दर्द भरी कहानी को भी बयां करते हैं. संस्कृति और कला में संघर्ष कर रहे दिव्यांग संगीत के क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं.

पढ़ें-पुलिस क्षेत्राधिकारी ने ली बैठक, बढ़ते नशे की प्रवृत्ति पर लोगों ने जताई चिंता

दिव्यांग निर्मल को जहां साक्षात मां सरस्वती का आशीर्वाद मिला है तो वहीं, मुकेश हारमोनियम और बांसुरी में महारत रखते हैं. इनकी बहन अंजली की सुरीली आवाज तो दिल को छू जाती है. निर्मल गीत-संगीत के साथ ही रेडियो और टीवी में क्रिकेट मैच की इंग्लिश कमेंट्री को हू-ब-हू उसी अंदाज में पेश करते हैं. साथ ही वे देश और विदेश में होने वाले किक्रेट कॉमेंट्री के बीच में आसानी से फर्क भी बता देते हैं.

पढ़ें-सितारगंज: निर्माणाधीन बस स्टेशन का विधायक ने किया निरीक्षण, कार्य में तेजी लाने के दिए निर्देश

वहीं, ये तीनों दिव्यांग भाई-बहन पर्यावरण और उत्तराखण्ड की संस्कृति को बचाने के लिये भी संघर्ष कर रहे हैं. बावजूद इसके अबतक प्रदेश सरकार की नजरें इनपर इनायत नहीं हुई है. जिसके कारण इन्हें अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए अभीतक मुक्कमल मंच नहीं मिल पाया है.

पौड़ी: जनपद के कोटमंडल गांव के रहने वाले एक ही परिवार के नेत्रहीन भाई-बहनों में संगीत की प्रतिभाएं छिपी हुई हैं. ये तीनों भाई-बहन बिना ट्रेनिंग के ही हारमोनियम, बांसुरी और विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों को बजाने के साथ ही कई गीतों को आसानी से गा लेते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में दिव्यांगों ने बताया कि उन्हें बचपन से ही परिवार के भरण-पोषण के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. इन तीनों भाई-बहनों का कहना है कि वो संगीत के क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं लेकिन, उनके पास संसाधनों की कमी है. ऐसे में तीनों दिव्यांग भाई-बहनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

सरकार से मदद की गुहार लगा रहे दिव्यांग भाई-बहन

दिव्यांग होने के बाद भी किस्मत को मात देता ये दिव्यांग और गरीब परिवार पौड़ी जनपद के कोटमंडल गांव का रहने वाला है. दिव्यांग होने के बावजूद इन्होंने दिव्यांगता को कभी अपने आड़े नहीं आने दिया. निर्मल उनकी बहन और उनका एक भाई आज भी अपने संघर्ष की दर्द भरी कहानी को भी बयां करते हैं. संस्कृति और कला में संघर्ष कर रहे दिव्यांग संगीत के क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं.

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दिव्यांग निर्मल को जहां साक्षात मां सरस्वती का आशीर्वाद मिला है तो वहीं, मुकेश हारमोनियम और बांसुरी में महारत रखते हैं. इनकी बहन अंजली की सुरीली आवाज तो दिल को छू जाती है. निर्मल गीत-संगीत के साथ ही रेडियो और टीवी में क्रिकेट मैच की इंग्लिश कमेंट्री को हू-ब-हू उसी अंदाज में पेश करते हैं. साथ ही वे देश और विदेश में होने वाले किक्रेट कॉमेंट्री के बीच में आसानी से फर्क भी बता देते हैं.

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वहीं, ये तीनों दिव्यांग भाई-बहन पर्यावरण और उत्तराखण्ड की संस्कृति को बचाने के लिये भी संघर्ष कर रहे हैं. बावजूद इसके अबतक प्रदेश सरकार की नजरें इनपर इनायत नहीं हुई है. जिसके कारण इन्हें अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए अभीतक मुक्कमल मंच नहीं मिल पाया है.

Intro:जनपद पौड़ी के कोट मंडल गांव के रहने वाले एक ही परिवार के तीनो भाई बहन बचपन से नेत्रहीन है नेत्रहीन होने के बावजूद भी तीनों ही भाई बहनों में संगीत के प्रति अपार प्रतिभाएं छिपी हुई है या तीनों भाई-बहन बिना किसी गुरु के ही हारमोनियम बांसुरी विभिन्न प्रकार के गीतों को आसानी से गा लेते हैं दिव्यांगों ने बताया कि वह बचपन से ही नेत्रहीन है और उनके परिवार ने उनके भरण-पोषण करने में बहुत मेहनत की है आज तीनों भाई-बहन संगीत के क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल करना चाहते हैं जिसके लिए वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं उन्होंने बताया कि वह नेत्रहीन होने के चलते कोई अन्य कार्य तो नहीं कर सकते लेकिन जो उनके अंदर प्राकृतिक रूप से प्रतिभा छिपी हुई है उसी रोजगार के रूप में लेकर आजीविका चला सके।
चाहते है कि जनपद के अन्य दिव्यांग लोगों के साथ मिलकर एक संगीत का ग्रुप बनाएं ताकि विभिन्न मंचो पर वह अपनी प्रतिभा को जन-जन तक पहुंचाने में सफल हो पाए।


Body:दिव्यांग होने के बाद भी किस्मत को मात देता ये दिव्यांग और गरीब परिवार पौड़ी जनपद के कोटमण्डल गांव का रहने वाला है बचपन में ही दो भाई और एक बहन किसी कारण दृष्टिहीन हो गए लेकिन दृष्टिहीनता को बावजूद इसे अपनी कमजोरी न मानते हुए अपनी ताकत बनाने वाले निर्मल उनकी बहन और उनका एक भाई आज भी अपने संघर्ष की दर्द भरी कहानी को भी बयां करते हैं संस्कृति और कला में संघर्ष कर रहे  निर्मल उनकी बहन और एक  भाई मुकेश का हुनर गीत संगीत के क्षेत्र में कमाल का है  दिव्यांग भाई निर्मल के हाथो में माने जहाँ साक्षात् सरस्वती का वाश हो वहीं मुकेश की कला हारमोनियम और बांसुरी बजाने में साफ़ दिखती है तो वहीँ  बहनअंजली की सुरीली आवाज मन छू जाती है जबकि एक और दष्टिहीन भाई इन्ही गीतों में ताल देता है पर्यावरण को बचाने जैसे गीत संगीतो के साथ उत्तराखण्ड की पौराणिक संस्कृति को बचाने के लिये ये परिवार आज भी संघर्ष कर रहा है  हालांकि  संस्कृति के क्षेत्र में काम कर रहे इन दष्टिहीन  परिवारो पर अब तक प्रदेश सरकार की नजर नही पडी है जिससे इनके बेहतर मुकाम हासिल करने के सपने आज भी सपने ही हैं बावजूद इसके इनका ये संघर्ष अब भी जारी है बड़े भाई निर्मल गीत संगीत के साथ ही रेडियो में क्रिकेट और टीवी में क्रिकेट मैच की इंग्लिश कॉमेंट्री सुनकर इंग्लिश कॉमेंट्री अब बखूबी कर लेता है साथ ही देश और विदेश में होने वाले कॉमेंट्री में  आसानी से फर्क भी बता देता है। दिव्यांग का पूरा परिवार सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है ताकि आने वाले समय में वह आर्थिक रूप से मजबूत हो सके और आसानी से अपने जीवन का व्यापन कर सकें।

बाईट -निर्मल (दिव्यांग कलाकार)

बाईट - अंजली (दिव्यांग कलाकार)

बाईट - उमेद सिंह (दिव्यांग के पिता)

Conclusion:
Last Updated : Dec 26, 2019, 6:02 PM IST
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