पौड़ी: नगर में स्थित निर्माणाधीन बस अड्डे का कार्य 12 साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. पौड़ी में स्थित निर्माणाधीन बस अड्डा सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी मुद्दा रहा. इस बस अड्डे का निर्माण साल 2010 में शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. वहीं, लंबे समय से निर्माणाधीन बस अड्डे की धूल से आसपास के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद कई सामाजिक संगठनों ने स्थानीय स्तर पर सरकारों को सवालों के घेरों में घेरना शुरू किया. जिसके बाद लेंटर पड़ा और लोगों को धूल से निजात मिली था.
गौर हो कि, मंडल मुख्यालय पौड़ी में बस अड्डे के लिए साल 2006 में 4 करोड़ 52 लाख रुपए की धनराशि की घोषणा की गई थी, लेकिन नगर पालिका को इसकी पहली किश्त साल 2010 में दो करोड़ 26 लाख रुपए मिली. उसके बाद इस बस अड्डे का निर्माण कार्य शुरू किया गया. काफी समय बीत जाने के बाद इस काम के लिए कार्यदायी संस्था भी लोनिवि को चुना गया. इसके बावजूद पौड़ी नगर पालिका की ओर से यह काम पूरा नहीं किया गया. विजय बहुगुणा सरकार में पालिका को दूसरी किश्त के रूप में 2 करोड़ 26 लाख रुपए आवंटित किए गए.
जिसके बाद से ही बजट के अभाव के चलते निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है. 12 साल बीत जाने के बाद भी बस अड्डा तैयार नहीं हो पाया है. वहीं, त्रिवेंद्र सरकार ने सितंबर 2017 में निर्माणाधीन इस बस अड्डे के लिए 1 करोड़ 67 लाख रुपए की राशि दी. जबकि 2019 में 1 करोड़ 57 लाख रुपए की धनराशि भी आवंटित हो गई. लेकिन काम में तेजी नहीं आ पाई.
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नवनिर्वाचित विधायक राजकुमार पोरी ने शपथ ग्रहण के बाद पहला काम पौड़ी के निर्माणाधीन बस अड्डे को पूरा करना और शहर के 5 किमी के दायरे की सड़कों को गड्ढा मुक्त करना अपनी प्राथमिकता बताई है.