श्रीनगर: पहाड़ों का शांत वातावरण भी अब पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य वर्धक नहीं रह गया है. यहां अब मनोरोग के पीड़ित लोग बड़ी संख्या में अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि कभी मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में मनोरोग के कम मरीज हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. नतीजा ये है कि अब हर दिन 35 से 40 मरीज मनोरोग के अलग अलग बीमारी से पीड़ित होकर बेस अस्पताल श्रीकोट पहुंच रहे हैं.
इन क्षेत्रों से आ रहे सबसे ज्यादा मरीज: गढ़वाल मंडल के टिहरी, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग से मरीज इलाज के लिए बेस अस्पताल श्रीकोट पहुंच रहे हैं. हैरत की बात ये है कि इसमें हर आयु वर्ग के मरीज हैं. डॉक्टरों की मानें तो इनका आंकड़ा मैदानी इलाकों के बराबर ही है. पहले माना जाता था कि भाग दौड़ भरी और तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण मैदान में मनोरोगी अधिक हैं. लेकिन अब पहाड़ों में भी मनोरोग के विभिन्न प्रकार के मरीज देखने को मिल रहे हैं.
हर दिन मनोरोग के 35 से 40 मरीज आ रहे: मेडिकल कॉलेज श्रीनगर से सम्बद्ध मनोचिकित्सा विभाग में हर दिन मनोरोग के 35 से 40 मरीज आ रहे हैं. जिसमें से 2 से 4 केस सुसाइड और पोस्ट सुसाइड के मरीज हैं. ये मरीज इतना डिप्रेस हो चुके हैं कि वे आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो मनोरोग से पीड़ित 60 प्रतिशत महिलाएं और 40 प्रतिशत पुरुष अस्पताल पहुंच रहे हैं. जिनमें अधिकांश पुरुषों में नशे की प्रवत्ति है. जिसका मुख्य कारण बेरोजगारी है. वहीं, महिलाएं अकेलेपन का शिकार हो रही हैं. जिसके चलते उनमें डिप्रेशन बढ़ रहा है. युवाओं में डिप्रेशन, एंजाइटी, सिर दर्द, बदन के पुराने दर्द, माइग्रेन, दौरा, ओसीडी, सिज़ोफ्रेनिया, नशा रोगी, सेक्स संबंधी रोगी भी अस्पताल का रुख कर रहे हैं. वहीं, बच्चे ADHD, आटिज्म और बुजुर्ग भी डिमेंशिया, अल्जाइमर और भूलने की बीमारी से दो चार हो रहे हैं.
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युवाओं में बेरोजगारी उन्हें मेंटल ट्रॉमा में डाल रही: एसोसिएट प्रोफेसर एंड हेड डॉक्टर मोहित ने बताया कि युवाओं में बेरोजगारी उन्हें मेंटल ट्रॉमा में डाल रही है. जिसके कारण युवा नशे की तरफ बढ़ रहे हैं. इसमें हर तरह का नशा शामिल है. उन्होंने बताया कि महिलाओं में अकेलेपन और घरेलू हिंसा से भी डिप्रेशन बढ़ रहा है. कभी भी इस तरह की दिक्कत आने पर तुरंत ही अस्पताल जाकर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. ऐसे हालात में कई बार परिस्थितियां सुसाइड तक पहुंच जाती हैं.
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