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NIT UPES MoU: एनआईटी और यूपीईएस साझा करेंगे अपनी तकनीक, छात्रों को होगा फायदा

एनआईटी उत्तराखंड ने University of Petroleum & Energy Studies देहरादून के साथ एमओयू साइन किया है. इस एमओयू के तहत दोनों बड़े संस्थानों में तकनीक की अदला बदली होगी. इसका फायदा दोनों संस्थानों के छात्रों को भी मिलेगा. इस खबर में पढ़िए एमओयू से दोनों संस्थानों और उनके छात्रों को क्या लाभ होंगे.

NIT UPES MoU
श्रीनगर समाचार
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Published : Jan 25, 2023, 10:02 AM IST

श्रीनगर: प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी के निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद से ही राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड अपने शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में निरंतर बड़े सुधार कर रहा है. इसमें एक तरफ तो ढांचागत विकास शामिल है. दूसरी तरफ संस्थान बहु-विषयक शिक्षा को शामिल करते हुए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर भी कार्य कर है.

NIT और UPES के बीच MoU साइन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिगत संस्थान देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ अपने अकादमिक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है. जिससे देश की ज्ञान आधारित अर्थव्यस्था को बहु-विषयक शैक्षणिक कार्यक्रमों, अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से सहायता प्रदान की जा सके. इस संदर्भ में प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, निदेशक एनआईटी उत्तराखंड और मनीष मदान, कुलसचिव, यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज , देहरादून ने अकादमिक समझौते पर हस्ताक्षर किये.

NIT और UPES साझा करेंगे तकनीक: समझौता ज्ञापन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि एनआईटी उत्तराखंड विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर के संस्थानों और प्रतिष्ठानों के साथ अपने अकादमिक और औद्योगिक सम्बन्धों को मजबूत कर रहा है. ताकि छात्रों को बहु विषयक और बहु-संस्थागत शिक्षा प्रदान की जा सके. इस समझौता ज्ञापन का प्राथमिक उद्देश्य संयुक्त शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यक्रमों, छात्रों के संयुक्त पर्यवेक्षण, संयुक्त प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाओं और संयुक्त प्रकाशनों के माध्यम से दोनों संस्थानों के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों और शोध छात्रों के बीच अकादमिक बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देना है.

प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा कि इस समझौते में उल्लिखित नियमों और शर्तों के अनुसार अपने गृह संस्थान से अनुमोदन के उपरांत विजिटिंग फैकल्टी पदों के सृजन के अवसरों का पता लगाएंगे. आपसी हितों के आधार पर संयुक्त शैक्षणिक गतिविधियों जैसे अल्पकालिक पाठ्यक्रम, सेमिनार, कार्यशाला, सम्मेलन, विशेषज्ञ व्याख्यान, संकाय विकास कार्यक्रम, पाठ्येतर गतिविधियों आदि का आयोजन कर सकते हैं. अनुसंधान/परीक्षण सुविधाओं का उपयोग सहयोगी आधार पर किया जा सकता है. इसके अलावा दोनों पक्ष जहां तक संभव हो ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे, जिससे संकाय सदस्य संबंधित विभागों/केंद्रों और संस्थानों में अनुभव और प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें. इसके अलावा दोनों पक्ष सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से किसी भी पक्ष के पास उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं जैसे अतिथि गृह, सेमिनार हॉल आदि को भी साझा कर सकेंगे.
ये भी पढ़ें: NIT Srinagar Recruitments: 50 पदों पर होंगी नियुक्तियां, स्क्रूटनी प्रोसेस जारी

यूपीईएस (University of Petroleum & Energy Studies) के कुल सचिव मदान ने समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि एनआईटी उत्तराखंड राष्ट्रीय महत्व का एक अग्रणी शैक्षिणक संस्थान है. मुझे विश्वास है कि यह समझौता ज्ञापन अकादमिक सहयोग के नए मानक स्थापित करेगा और निश्चित रूप से इससे दोनों पक्षों के शोधार्थियों, संकाय सदस्यों और छात्रों को लाभ होगा. इस मौके पर एनआईटी उत्तराखंड के डॉ हरिहरन मुथुसामी (डीन रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) एवं यूपीइएस, देहरादून के अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

श्रीनगर: प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी के निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद से ही राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड अपने शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में निरंतर बड़े सुधार कर रहा है. इसमें एक तरफ तो ढांचागत विकास शामिल है. दूसरी तरफ संस्थान बहु-विषयक शिक्षा को शामिल करते हुए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर भी कार्य कर है.

NIT और UPES के बीच MoU साइन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिगत संस्थान देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ अपने अकादमिक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है. जिससे देश की ज्ञान आधारित अर्थव्यस्था को बहु-विषयक शैक्षणिक कार्यक्रमों, अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से सहायता प्रदान की जा सके. इस संदर्भ में प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, निदेशक एनआईटी उत्तराखंड और मनीष मदान, कुलसचिव, यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज , देहरादून ने अकादमिक समझौते पर हस्ताक्षर किये.

NIT और UPES साझा करेंगे तकनीक: समझौता ज्ञापन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि एनआईटी उत्तराखंड विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर के संस्थानों और प्रतिष्ठानों के साथ अपने अकादमिक और औद्योगिक सम्बन्धों को मजबूत कर रहा है. ताकि छात्रों को बहु विषयक और बहु-संस्थागत शिक्षा प्रदान की जा सके. इस समझौता ज्ञापन का प्राथमिक उद्देश्य संयुक्त शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यक्रमों, छात्रों के संयुक्त पर्यवेक्षण, संयुक्त प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाओं और संयुक्त प्रकाशनों के माध्यम से दोनों संस्थानों के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों और शोध छात्रों के बीच अकादमिक बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देना है.

प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा कि इस समझौते में उल्लिखित नियमों और शर्तों के अनुसार अपने गृह संस्थान से अनुमोदन के उपरांत विजिटिंग फैकल्टी पदों के सृजन के अवसरों का पता लगाएंगे. आपसी हितों के आधार पर संयुक्त शैक्षणिक गतिविधियों जैसे अल्पकालिक पाठ्यक्रम, सेमिनार, कार्यशाला, सम्मेलन, विशेषज्ञ व्याख्यान, संकाय विकास कार्यक्रम, पाठ्येतर गतिविधियों आदि का आयोजन कर सकते हैं. अनुसंधान/परीक्षण सुविधाओं का उपयोग सहयोगी आधार पर किया जा सकता है. इसके अलावा दोनों पक्ष जहां तक संभव हो ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे, जिससे संकाय सदस्य संबंधित विभागों/केंद्रों और संस्थानों में अनुभव और प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें. इसके अलावा दोनों पक्ष सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से किसी भी पक्ष के पास उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं जैसे अतिथि गृह, सेमिनार हॉल आदि को भी साझा कर सकेंगे.
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यूपीईएस (University of Petroleum & Energy Studies) के कुल सचिव मदान ने समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि एनआईटी उत्तराखंड राष्ट्रीय महत्व का एक अग्रणी शैक्षिणक संस्थान है. मुझे विश्वास है कि यह समझौता ज्ञापन अकादमिक सहयोग के नए मानक स्थापित करेगा और निश्चित रूप से इससे दोनों पक्षों के शोधार्थियों, संकाय सदस्यों और छात्रों को लाभ होगा. इस मौके पर एनआईटी उत्तराखंड के डॉ हरिहरन मुथुसामी (डीन रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) एवं यूपीइएस, देहरादून के अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

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