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प्राकृतिक स्रोत हो रहे रिचार्ज, वन्य जीवों को नहीं होगी पानी की किल्लत

लैंसडौन वन प्रभाग में जंगली जानवरों की पानी की व्यवस्था के लिए वन प्रभाग ने कमर कस ली है. जंगलों के अंदर बने तालाबों को पानी के स्रोतों से जोड़ने का कार्य किया जा रहा था. वहीं अब प्राकृतिक स्रोतों के आसपास गड्ढे बनाए जा रहे हैं, जिससे कि जंगली जानवरों के लिए पानी एकत्रित हो सके.

Lansdowne Forest Division
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Published : Mar 9, 2021, 5:09 PM IST

कोटद्वार: लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत कोल्हू नदी, खोह नदी, सुखरौ नदी, मालन नदी, सिगडड़ी स्रोत, मैली स्रोत व तेली स्रोत जैसी कई नदियां बहती हैं, लेकिन गर्मी शुरू होते ही इनमें से अधिकांश नदियों में पानी सूख जाता है, जिसके कारण जंगली जानवरों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. इसके लिए वन विभाग ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी.

प्राकृतिक स्रोतों को किया जा रहा है रिचार्ज.

वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगलों के अंदर बने तालाबों को पानी के स्रोतों से जोड़ना शुरु कर दिया, तो वहीं पानी के स्रोतों के समीप गड्ढे बनाकर स्रोतों को रिचार्ज भी किया जा रहा है, जिससे कि जंगली जानवरों को जंगलों के अंदर आसानी से पानी उपलब्ध हो सके.

पढ़ें- मंगल'वार' से बच पाएंगे CM त्रिवेंद्र? सत्ता, सियासत और समीकरण तय करेगी विधायकों की बैठक

वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह ने बताया कि इस महीने में तो पानी की दिक्कत जंगली जानवरों के लिए नहीं होती है, लेकिन मई-जून के महीने में गर्मी अधिक बढ़ जाती है. पानी की दिक्कतें बढ़ जाती हैं, उसके लिए सभी रेंजों में वाटरफॉल को रिचार्ज किया जा रहा है. सभी प्राकृतिक स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए उनके आसपास गड्ढे बनाए जा रहे हैं, जिससे कि उससे रिसने वाला पानी गड्ढों में जमा हो जाए ताकि जंगली जानवरों को पानी उपलब्ध हो सके.

कोटद्वार: लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत कोल्हू नदी, खोह नदी, सुखरौ नदी, मालन नदी, सिगडड़ी स्रोत, मैली स्रोत व तेली स्रोत जैसी कई नदियां बहती हैं, लेकिन गर्मी शुरू होते ही इनमें से अधिकांश नदियों में पानी सूख जाता है, जिसके कारण जंगली जानवरों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. इसके लिए वन विभाग ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी.

प्राकृतिक स्रोतों को किया जा रहा है रिचार्ज.

वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगलों के अंदर बने तालाबों को पानी के स्रोतों से जोड़ना शुरु कर दिया, तो वहीं पानी के स्रोतों के समीप गड्ढे बनाकर स्रोतों को रिचार्ज भी किया जा रहा है, जिससे कि जंगली जानवरों को जंगलों के अंदर आसानी से पानी उपलब्ध हो सके.

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वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह ने बताया कि इस महीने में तो पानी की दिक्कत जंगली जानवरों के लिए नहीं होती है, लेकिन मई-जून के महीने में गर्मी अधिक बढ़ जाती है. पानी की दिक्कतें बढ़ जाती हैं, उसके लिए सभी रेंजों में वाटरफॉल को रिचार्ज किया जा रहा है. सभी प्राकृतिक स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए उनके आसपास गड्ढे बनाए जा रहे हैं, जिससे कि उससे रिसने वाला पानी गड्ढों में जमा हो जाए ताकि जंगली जानवरों को पानी उपलब्ध हो सके.

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