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मशरूम की खेती पर मौसम की मार, लागत तक नहीं निकल पाई

पौड़ी में मशरूम की खेती पर मौसम की मार पड़ी है. पिछली वर्ष की तुलना में इस साल मशरूम का उत्पादन कम हुआ है. किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई है.

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Published : Jun 14, 2019, 9:15 AM IST

मशरूम की खेती पर मौसम की मार

पौड़ी: जिले के नागदेव क्षेत्र में साल 2012 से लगातार मशरूम की खेती कर रहे लोगों को पिछले साल के मुकाबले इस साल मायूसी हाथ लगी है. जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई है. किसानों का कहना है कि मशरूम की खेती मौसम पर निर्भर होती है, इस साल अधिक बर्फबारी होने के चलते मशरूम का उत्पादन ज्यादा नहीं हो पाया.

मशरूम की खेती पर मौसम की मार

पौड़ी में मशरूम की खेती कर रहे स्थानीय लोग ठंडे मौसम के अनुरूप ही खेती करते हैं, लेकिन इस वर्ष अधिक ठंडा होने के चलते और लगातार बर्फबारी के कारण मशरूम का उत्पादन सही नहीं हो पाया.

पढ़ें- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट का लिया जायजा, तय समय से काम पूरा करने का दावा

मशरूम की खेती करने वाले विपिन रावत बताते हैं कि पिछले साल 12 कुंतल मशरूम का उत्पादन हुआ था. उन्होंने इस साल 6 कुंतल तक मशरूम उत्पादन का अनुमान लगाया था, लेकिन मौसम की मार के चलते मात्र 3 कुंतल ही इसका उत्पादन हुआ है. जिससे मशरूम की लागत भी नहीं निकल पाई है.

विपिन रावत का कहना है कि उनके सामने बड़ी समस्या मशरूम की कंपोस्ट को लेकर है. रुड़की हरिद्वार से कंपोस्ट पौड़ी तक पहुंचने में उन्हें काफी महंगा पड़ता है. वहीं, प्राकृतिक मौसम के भरोसे ही मशरूम की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मशरूम के क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए.

पौड़ी: जिले के नागदेव क्षेत्र में साल 2012 से लगातार मशरूम की खेती कर रहे लोगों को पिछले साल के मुकाबले इस साल मायूसी हाथ लगी है. जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई है. किसानों का कहना है कि मशरूम की खेती मौसम पर निर्भर होती है, इस साल अधिक बर्फबारी होने के चलते मशरूम का उत्पादन ज्यादा नहीं हो पाया.

मशरूम की खेती पर मौसम की मार

पौड़ी में मशरूम की खेती कर रहे स्थानीय लोग ठंडे मौसम के अनुरूप ही खेती करते हैं, लेकिन इस वर्ष अधिक ठंडा होने के चलते और लगातार बर्फबारी के कारण मशरूम का उत्पादन सही नहीं हो पाया.

पढ़ें- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट का लिया जायजा, तय समय से काम पूरा करने का दावा

मशरूम की खेती करने वाले विपिन रावत बताते हैं कि पिछले साल 12 कुंतल मशरूम का उत्पादन हुआ था. उन्होंने इस साल 6 कुंतल तक मशरूम उत्पादन का अनुमान लगाया था, लेकिन मौसम की मार के चलते मात्र 3 कुंतल ही इसका उत्पादन हुआ है. जिससे मशरूम की लागत भी नहीं निकल पाई है.

विपिन रावत का कहना है कि उनके सामने बड़ी समस्या मशरूम की कंपोस्ट को लेकर है. रुड़की हरिद्वार से कंपोस्ट पौड़ी तक पहुंचने में उन्हें काफी महंगा पड़ता है. वहीं, प्राकृतिक मौसम के भरोसे ही मशरूम की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मशरूम के क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए.

Intro:पौड़ी के नागदेव क्षेत्र में साल 2012 से लगातार मशरूम की खेती कर रहे स्थानीय लोगों को पिछले साल के मुकाबले इस साल मशरूम का उत्पादन उम्मीद के मुकाबले काफी कम हुआ है जिससे कृषकों को उनकी मेहनत का मेहनताना तक नहीं निकल पाया है कृषक बताते हैं कि वह मौसम के ऊपर निर्भर रहते हैं और इस वर्ष अधिक बर्फबारी होने के चलते मशरूम का उत्पादन सही नहीं हो पाया जिस कारण उन्हें इस वर्ष काफी नुकसान हुआ है।


Body:पौड़ी में लंबे समय से मशरूम की खेती कर रहे स्थानीय लोग पौड़ी के ठंडे मौसम के अनुरूप ही मशरूम की खेती करते हैं लेकिन इस वर्ष अधिक ठंडा होने के चलते हैं और लगातार बर्फबारी के कारण मशरूम का उत्पादन सही नहीं हो पाया इसलिए बस लगभग 12 क्विंटल मशरूम का उत्पादन हुआ था। वही इस वर्ष 6 क्विंटल तक मशरूम उत्पादन का अनुमान लगाया गया था लेकिन मौसम के चलते मात्र 3 क्विंटल ही उत्पादन हो पाया है जिससे कि कृषकों को मुनाफा नहीं हो पाया लेकिन उनको उनकी मेहनत का मेहनताना भी नहीं मिल पाया जिससे कि कृषक काफी चिंतित है।


Conclusion:मशरूम कृषक विपिन रावत बताते हैं कि उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या मशरूम की कंपोस्ट को लेकर आ रही है रुड़की हरिद्वार से कंपोस्ट पौड़ी  तक पहुंचने में उन्हें काफी महंगा पड़ता है वही प्राकृतिक मौसम के भरोसे ही मशरूम की खेती करते हैं विपिन ने कहा कि सरकार की ओर से मशरूम के क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए ताकि जो भी व्यक्ति  मशरूम की खेती कर रहा है यदि किसी कारण उसकी फसल खराब हो जाती है तो सरकार की ओर से उसकी भरपाई की जाय ताकि आने वाले समय में मशरूम उत्पादन के लिए उसका जज्बा बरकरार रहे।

बाईट-विपिन रावत(कृषक)
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