कोटद्वार: बाहरी राज्यों के मजदूरों को राशन न मिलने का मामला सामने आया है. आज अपराह्न 200 से भी अधिक मजदूर खाने की तलाश में लॉकडाउन के दौरान अपने घरों से बाहर निकलकर तहसील व कोतवाली पहुंचे. लेकिन वहां से भी उन्हें निराश होकर वापस जाना पड़ा. मजदूरों का आरोप है कि या तो प्रशासन हमें घर भेजने की व्यवस्था कर दे या फिर खाने की व्यवस्था करा दे.
मजदूरों का कहना है कि एक महीना हो गया है, काम धंधा सब बंद है. ऐसे में वे कैसे एक टाइम की रोटी का जुगाड़ करें? उन्होंने कहा कि इतना डर कोरोना वायरस की बीमारी से नहीं है, जितना भूख से लग रहा है.
गोरखपुर निवासी उमेश गुप्ता का कहना है कि थाने पहुंचने पर पुलिस कहती है कि तहसील में जाओ और तहसील में खड़े पुलिस वाले डंड दिखाकर भगा दिए. ऐसे में हम अब कहां जाएं? ना तो प्रशासन हमें घर जाने दे रहा है और ना ही खाने की व्यवस्था करवा रहा है. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें?
एक मजदूर पूर्णमासी का कहना है कि साहब कोरोना वायरस की बीमारी से डर नहीं लग रहा है, जितना कि भूख से डर लग रहा है. जब हम भूख से पहले ही मर जाएंगे तो फिर कोरोना वायरस हमारा क्या बिगाड़ेगा? हमारी सरकार से मांग है कि हमें राशन उपलब्ध कराए नहीं तो हमारे घर जाने का प्रबंध कर दे.
वहीं पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा का कहना है कि राशन वितरण का कार्यक्रम लगातार जारी है. पहले चरण में लगभग 300 परिवारों को चिन्हित कर राशन वितरित किया गया. दूसरे चरण में 21 सौ परिवारों को चिन्हित कर राशन वितरित किया जा चुका है.
पढ़े: बदरी-केदार धाम के इतिहास में पहली बार 15 दिन लेट खुलेंगे कपाट, जानें बड़ी वजह
उपजिलाधिकारी का कहना है कि पंजीकृत श्रमिकों को श्रम विभाग की ओर से सहायता दी जा रही है. इसके अतिरिक्त बहुत सारे सामाजिक संगठन भी सामने आए हैं. उनके द्वारा भी लगातार खाद्य सामग्री बांटी गई है. यह प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी. अगर इसमें कोई व्यक्ति वाकई में छूट गया हो तो वह अपने वार्ड में प्रशासन की ओर से तैनात शिक्षा विभाग के दो कर्मिक शिक्षकों से संपर्क करे, ताकि तीसरे चरण में उन्हें भी राशन उपलब्ध करा दिया जाय.