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कोटद्वार: मकर सक्रांति पर गेंद मेले का समापन, नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों ने बांधा समा

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Published : Jan 14, 2020, 9:28 PM IST

किशनपुर भाबर में मकर सक्रांति गेंद मेले के आखिरी दिन गढ़वाल के सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों के नाम रही. वहीं, इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्कूली बच्चों ने भी रंगारंग प्रस्तुतियां दी.

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कोटद्वार: किशनपुर भाबर में दो दिवसीय मकर सक्रांति गेंद मेले का सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया. इस मौके पर गढ़वाल के सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

मकर सक्रांति गेंद मेले का समापन

वहीं, इस मौके पर स्कूली बच्चों ने तेरी खुटि्टयों मा, फुल फुलयों यार, छकना बांध, देसी रंगीला जैसे कई गढ़वाली गीतों में अपनी प्रस्तुतियां दीं. उसके बाद देर शाम को उत्तरखंड के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी और उनकी टीम ने जे अम्बा जगदम्बा, हिमवन्त देश होला, तुमारी माया मा, गीत लगा तांदी बल गीतों ने किशनपुर मकर सक्रांति के मेले में दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

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कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियां.

पढ़ें- देहरादून में मंकर संक्रांति की धूम, गुड़ और तिल से महका बाजार

कार्यक्रम में पहुंचे उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं. ऐसे मेलों से ही हमारी संस्कृति का पता चलता है. ऐसे मेलों के आयोजनों से गढ़वाल की संस्कृति नई पीढ़ी तक पहुंचती है. गौरतलब है कि कोटद्वार के किशनपुर स्थित जो मकर सक्रांति का मेला हर सालआयोजित किया जता है. वहीं, इस मेले में भाबर के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

कोटद्वार: किशनपुर भाबर में दो दिवसीय मकर सक्रांति गेंद मेले का सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया. इस मौके पर गढ़वाल के सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

मकर सक्रांति गेंद मेले का समापन

वहीं, इस मौके पर स्कूली बच्चों ने तेरी खुटि्टयों मा, फुल फुलयों यार, छकना बांध, देसी रंगीला जैसे कई गढ़वाली गीतों में अपनी प्रस्तुतियां दीं. उसके बाद देर शाम को उत्तरखंड के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी और उनकी टीम ने जे अम्बा जगदम्बा, हिमवन्त देश होला, तुमारी माया मा, गीत लगा तांदी बल गीतों ने किशनपुर मकर सक्रांति के मेले में दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

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कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियां.

पढ़ें- देहरादून में मंकर संक्रांति की धूम, गुड़ और तिल से महका बाजार

कार्यक्रम में पहुंचे उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं. ऐसे मेलों से ही हमारी संस्कृति का पता चलता है. ऐसे मेलों के आयोजनों से गढ़वाल की संस्कृति नई पीढ़ी तक पहुंचती है. गौरतलब है कि कोटद्वार के किशनपुर स्थित जो मकर सक्रांति का मेला हर सालआयोजित किया जता है. वहीं, इस मेले में भाबर के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

Intro:summary कोटद्वार के किशनपुर भाबर में दो दिवसीय मकर सक्रांति गेंद मेले का समापन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ, इस मौके पर गढ़वाल के सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी और उनकी टीम के द्वारा एक के बाद एक सांस्कृतिक कार्यक्रम किशनपुर स्थित मंच पर दिए गए ,नेगी के कार्यक्रम में लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

intro kotdwar कोटद्वार नगर के भाबर क्षेत्र के किशनपुर में स्थिति मकर सक्रांति के मेले का शुभारंभ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुई थी व कार्यक्रम का समापन उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी के कार्यक्रम पर हुआ, नेगी के कार्यक्रमों से पहले स्थानीय स्कूलों के बच्चों ने तेरी खुटि्टयों मा, फुल फुलयों यार, छकना बांध, देसी रंगीला जैसे कई गढ़वाली गीतों में अपनी प्रस्तुतियां दी, उसके बाद देर शाम को उत्तरखंड के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी और उनकी टीम ने जे अम्बा जगदम्बा, हिमवन्त देश होला, तुमारी माया मा, गीत लगा तांदी बल गीतों ने किशनपुर मकर सक्रांति के मेले में दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।


Body:वीओ1- वहीं उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी ने गढ़वाली भाषा में कहां किया मेले हमारी अपनी भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए ही आयोजन किए जाते हैं, इन्हीं मेलों से ही हमारी संस्कृति का पता चलता है, यह जो मेला खेला होते हैं इन्हीं से हमारी उत्तराखंड की संस्कृति गढ़वाल की संस्कृति आगे जाती है और नई पीढ़ी तक पहुंचती है। उन्होंने कहा कि कोटद्वार के किशनपुर स्थित जो मकर सक्रांति का मेला है समिति के द्वारा किया गया है यह मेला एक मुख्य मेला है, भाबर के लोग बहुत बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं, इस मेले के माध्यम से ही हमारी प्राचीन संस्कृति का पता चलता है, मकर सक्रांति मेले के अवसर पर जो आयोजन किए जाते हैं इस मेले में लोग बहुत शरदा होती है, बहुत ही आस्था होती है, लोग इस मेले में बहुत ही बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं मेले को देखने पहुंचते और इन्हीं मेलों से हमारी गढ़वाल की संस्कृति आगे बढ़ती है।

बाइट नरेंद्र सिंह नेगी।



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