कोटद्वार: लैंसडाउन वन प्रभाग टाइगर व हाथी के निवास के लिए सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है. वर्तमान में यहां 150 हाथी और 27 टाइगर निवास करते हैं. पूर्व में टाइगर संरक्षण के लिए लैंसडाउन वन प्रभाग को कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड ने कैट्स अवॉर्ड भी मिल चुका है.
बता दें कि, कॉर्बेट व राजाजी दो नेशनल पार्कों के बीच स्थित लैंसडाउन वन प्रभाग हाथियों व टाइगर के निवास के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है. वर्तमान में लैंसडाउन वन प्रभाग में 2020 की गणना के मुताबिक, 150 हाथी निवास करते हैं जबकि, 2018 की गणना के अनुसार लैंसडाउन वन प्रभाग में 27 टाइगर निवासरत थे.
बता दें कि, कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित लैंसडाउन वन प्रभाग बाघों के लिए सुरक्षित स्थान है, बाघ संरक्षण के लिए कार्य कर रही संस्था कैट्स (कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड) ने लैंसडाउन वन प्रभाग को 2015 में कैट्स अवॉर्ड से नवाजा है.
वहीं, 43327.60 हेक्टयर में कोटद्वार, कोटड़ी, दुगड्डा, लालढांग व लैंसडाउन रेंजों से मिलकर बने लैंसडाउन वन प्रभाग की लैंसडाउन रेंज को पर्वतीय माना जाता है, जबकि अन्य चारों रेंज तराई की हैं. बाघों की बात करें तो प्रभाग की पांचों रेंजों में बाघ की मौजूदगी है. हालांकि, प्रभाग की कोटड़ी और दुगड्डा रेंज बाघों के मामले में सर्वाधिक धनी है.
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लैंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक कुमार ने बताया कि लैंसडाउन वन प्रभाग वर्ल्ड फेमस डिवीजन है. पिछली बार वर्ष 2018 में टाइगर की गणना हुई थी तो 27 टाइगर प्रभाग में मिले थे. हाथियों की बात करें तो वर्ष 2020 की गणना में 150 हाथी प्रभाग में निवासरत थे.
वहीं, मॉनसून सत्र के दौरान लंबी और छोटी दूरी की गश्त वन कर्मियों के द्वारा की जाती है. इस दौरान वन कर्मियों ने प्रभाग की रेंजों में देखा तो टाइगर के द्वारा अधिक शिकार किया गया था, साथ ही वन क्षेत्र में टाइगरों के अलग-अलग पंजों के निशान भी अधिक पाए गए. इस बात से लगता है कि प्रभाग में टाइगरों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.