श्रीनगर: आमतौर से देखने को मिलता है कि महिला को प्रसव के दौरान असहनीय दर्द (लेबर पेन) से गुजरना पड़ता है. ये महिला के लिए प्रसव के दौरान चुनौतीपूर्ण हिस्सा होता है. मगर कई बार ऐसा देखा गया है कि प्रसव के कई घंटों के असहनीय दर्द के कारण प्रसव की प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है. इसमें जच्चा और बच्चा दोनों को नुकसान भी पहुंच सकता है. ऐसे मामलों में जच्चा की सुरक्षा और बच्चा के सुरक्षित डिलीवरी के लिए ऑपरेशन की नौबत भी आ जाती है. किंतु अब महिलाओं का दर्द रहित प्रसव कराने के लिए एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों की मदद से एपिड्यूरल तकनीकी से बिना प्रसव दर्द के सामान्य डिलीवरी की जा रही है.
दर्द रहित प्रसव कराया: बेस चिकित्सालय में पहली बार एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मोहित कुमार सैनी एवं पीजी रेज़ीडेंट डॉ प्रदीप, डॉ मनीष, डॉ चित्रलेखा के संयुक्त प्रयास से नंदप्रयाग से आई एक गर्भवती महिला को एपिड्यूरल एनेस्थेसिया द्वारा लेबर पेन (प्रसव दर्द) से निजात दिला कर नार्मल डिलीवरी करवाई गई. इस तकनीक से महिला पूरे प्रसव के दौरान दर्द रहित बनी रही और डिलीवरी का समय आने पर गायनी विभाग के एचओडी डॉ. नवज्योति बोरा एवं पीजी रेजीडेंट डॉ. प्रकाश द्वारा नॉर्मल डिलीवरी करवाई गई. डिलीवरी के पश्चात जच्चा-बच्चा दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. महिला ने बताया कि उसकी पहली डिलीवरी थी तो दर्द को लेकर काफी डरी हुई थी. किंतु बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने दर्द रहित प्रसव कराकर आराम दिया. जिसके लिए उन्होंने डॉक्टरों का आभार प्रकट किया.
लेबर पेन फ्री नॉर्मल डिलीवरी: एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष एवं चिकित्सा अधीक्षक बेस अस्पताल डॉ. अजेय विक्रम सिंह की पहल पर काफी समय से विभाग में लेबर पेन फ्री नॉर्मल डिलीवरी पर विचार किया जा रहा था. उनके नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने पहली बार उक्त तकनीक से प्रसव कराया. चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि इस तकनीक द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए दर्द रहित प्रसव का विकल्प हमारे अस्पताल में उपलब्ध हो गया है. इस तकनीक से इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि जिन गर्भवती महिलाओं को दर्द रहित प्रसव का लाभ उठाना है, वह अस्पताल में भर्ती हो कर अपने स्त्री रोग विभाग के चिकित्सक से अनुरोध कर एनेस्थीसिया विभाग से समन्वय बना कर इस तकनीक का लाभ ले सकती हैं.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने ये कहा: यह सुविधा देहरादून और दिल्ली जैसे शहरों के बड़े अस्पतालों में उपलब्ध है, किंतु अब बेस अस्पताल में भी शुरू कर दी गई है. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने गर्भवती महिलाओं को इस प्रकार की सुविधा प्रदान करने के लिए एनेस्थीसिया विभाग के प्रयास को सराहनीय और उत्साहवर्धक बताया.
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