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त्रिवेंद्र सरकार ने बजट में किस पर दिया ध्यान और किसे किया अनदेखा, एक्सपर्ट की राय

प्रदेश की इस सरकार का ये आखिरी बजट है. जिसमें सबसे बड़ी चुनौती सरकार के समुख कोरोना काल मे युवाओं को रोजगार प्रदान करनी की होगी. जानिए एक्सपर्ट की राय.

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Published : Mar 5, 2021, 9:02 AM IST

श्रीनगर: प्रदेश का नया बजट सदन के पटल पर रखा जा चुका है. प्रदेश की इस सरकार का ये आखिरी बजट है. जिसमें सबसे बड़ी चुनौती सरकार के समुख कोरोना काल मे युवाओं को रोजगार प्रदान करनी की होगी. पेश हो चुके इस बजट पर हेमवंती नन्दन गढ़वाल केंद्रीय विवि के राजनीतिक विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने इस बजट को जहा संतोष जनक माना तो वहीं कहा कि सरकार के समुख कोरोना काल में चुनौतियां और अधिक बढ़ी हैं.

त्रिवेंद्र सरकार के बजट पर एक्सपर्ट की राय.

प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने कहा कि सरकार को खनन, शराब से इतर भी आय के नए संसाधनों को ढूंढना होगा. सरकार पूर्व में जहां ग्रामीण इलाकों में स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को आत्म निर्भर बना रही है, साथ में सरकार को इन महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे उत्पादों को बेचने के लिए बाजार की तलाश करनी होगी. पहाड़ी उत्पादों को हर्बल उत्पाद में बदलते हुए इनकी ब्रांडिंग के जरिए रोजगार उत्पन्न करना होगा. युवाओं को स्वरोजगार के प्रति जागरुक करना होगा. फूलों की खेती भी स्वरोजगार का बढ़िया साधन हो सकता है, जिसे बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए.

पढ़ेंः चुनावी साल में त्रिवेंद्र का बजट साबित होगा मास्टर स्ट्रोक

प्रोफेसर सेमवाल ने कहा कि केंद्र सरकार जहां ऑल वेदर रोड, रेल परियोजनाओं का संचालन कर रही है. इसी तरह राज्य सरकार को नए मार्गो का निर्माण कर पर्यटकों को नए पर्यटन स्थलों तक पहुंचाने की ठोस रणनीति के तहत कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में किसानों की आय दो गुनी करने के लिए भी बजट का प्रावधान किया है. इसके लिए गांवों की तरफ कोल्ड स्टोर स्थापित करने होंगे. जिससे यहां मौसमी फलों, सब्जियों के व्यापार को व्यापक रूप दिया जा सके. दूसरे प्रदेशों में इनके लिए बाजार की तलाशने होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार के इस अंतिम बजट को सफल बनाने के लिए सरकार के समुख चुनौतियां बहुत है, लेकिन उत्तरप्रदेश से पृथक होने के बाद प्रदेश के हालात बदले हैं और हम विकास की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं.

श्रीनगर: प्रदेश का नया बजट सदन के पटल पर रखा जा चुका है. प्रदेश की इस सरकार का ये आखिरी बजट है. जिसमें सबसे बड़ी चुनौती सरकार के समुख कोरोना काल मे युवाओं को रोजगार प्रदान करनी की होगी. पेश हो चुके इस बजट पर हेमवंती नन्दन गढ़वाल केंद्रीय विवि के राजनीतिक विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने इस बजट को जहा संतोष जनक माना तो वहीं कहा कि सरकार के समुख कोरोना काल में चुनौतियां और अधिक बढ़ी हैं.

त्रिवेंद्र सरकार के बजट पर एक्सपर्ट की राय.

प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने कहा कि सरकार को खनन, शराब से इतर भी आय के नए संसाधनों को ढूंढना होगा. सरकार पूर्व में जहां ग्रामीण इलाकों में स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को आत्म निर्भर बना रही है, साथ में सरकार को इन महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे उत्पादों को बेचने के लिए बाजार की तलाश करनी होगी. पहाड़ी उत्पादों को हर्बल उत्पाद में बदलते हुए इनकी ब्रांडिंग के जरिए रोजगार उत्पन्न करना होगा. युवाओं को स्वरोजगार के प्रति जागरुक करना होगा. फूलों की खेती भी स्वरोजगार का बढ़िया साधन हो सकता है, जिसे बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए.

पढ़ेंः चुनावी साल में त्रिवेंद्र का बजट साबित होगा मास्टर स्ट्रोक

प्रोफेसर सेमवाल ने कहा कि केंद्र सरकार जहां ऑल वेदर रोड, रेल परियोजनाओं का संचालन कर रही है. इसी तरह राज्य सरकार को नए मार्गो का निर्माण कर पर्यटकों को नए पर्यटन स्थलों तक पहुंचाने की ठोस रणनीति के तहत कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में किसानों की आय दो गुनी करने के लिए भी बजट का प्रावधान किया है. इसके लिए गांवों की तरफ कोल्ड स्टोर स्थापित करने होंगे. जिससे यहां मौसमी फलों, सब्जियों के व्यापार को व्यापक रूप दिया जा सके. दूसरे प्रदेशों में इनके लिए बाजार की तलाशने होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार के इस अंतिम बजट को सफल बनाने के लिए सरकार के समुख चुनौतियां बहुत है, लेकिन उत्तरप्रदेश से पृथक होने के बाद प्रदेश के हालात बदले हैं और हम विकास की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं.

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