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श्रीनगर में जश्न: PCO संचालक से तीरथ के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी

सीएम तीरथ सिंह रावत का श्रीनगर से गहरा नाता रहा है. तीरथ सिंह रावत का यहां पीसीओ हुआ करता था. आइए हम बताते हैं कि कैसे तीरथ सिंह रावत ने पीसीओ संचालक से सीएम तक का सफर पूरा किया.

पीसीओ संचालक से मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा
पीसीओ संचालक से मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा
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Published : Mar 10, 2021, 5:10 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 6:38 PM IST

श्रीनगर: तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने पर कभी उनकी कर्म भूमि रहे श्रीनगर में जश्न का माहौल है. आज जैसे ही तीरथ सिंह रावत के नाम की घोषणा की गई वैसे ही श्रीनगर भाजपा कार्यकताओं में खुशी की लहर देखने को मिली. कार्यकर्ताओं ने गोला बाजार में जमकर आतिशबाजी कर एक दूसरे को मिठाई खिला कर जश्न मनाया.

तीरथ सिंह रावत का श्रीनगर से बड़ा गहरा नाता रहा है. उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल से ही अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की है. इसी बीच वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और 1990-91 में गढ़वाल विवि के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए. ऐसा तीसरी बार हुआ कि गढ़वाल विवि का कोई छात्र नेता मुख्यमंत्री बना हो, इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री निशंक और त्रिवेद सिंह रावत प्रदेश के सीएम बन चुके हैं.

पीसीओ संचालक से मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा

गढ़वाल विवि में पढ़ाई के साथ साथ तीरथ सिंह रावत ने यहां पीसीओ तक का संचालन किया. उस समय वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री हुआ करते थे. कहा जाय तो वो पीसीओ संचालक से एमएलसी और विधायक से लेकर प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री बने और अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं.

ये भी पढ़ें: 10 महीने का कार्यकाल और पहाड़ जैसी चुनौतियां, आसान नहीं है तीरथ की राह

अधिवक्ता महेंद्र सिंह रावत बताते हैं कि तीरथ सिंह रावत का पीसीओ उनके ऑफिस के ही नीचे हुआ करता था. संघ के कार्य के चलते उन्हें अधिकतर बाहर रहना पड़ता था. इस कारण उनके उस समय के पार्टनर उस दुकान में बैठा करते थे. जब भी वे वापस आते तो यहीं रहते. उनकी इसी दुकान में तब राजनीति की चर्चा हुआ करती थी.

वहीं, गढ़वाल विवि के राजनीतिक विभाग के प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने ETV भारत से बातचीत में कहा कि तीरथ सिंह के सामने चुनौतियां बहुत हैं. उनका व्यवहार शांत और मिलनसार है, लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती गढ़वाल लोकसभा सीट को फिर जिताना होगा. साथ में अब उन्हें खुद विधानसभा का चुनाव जीतना होगा. 2022 के चुनाव को देखते हुए भी उनको कार्य करने होंगे. लोग अब उनसे आस रखेंगे कि प्रदेश में गुड गवर्नेंस हो. लोगों को रोजगार मिले और अफसरशाही पर लगाम लगाकर रखना उनकी चुनैतियां होंगी.

श्रीनगर: तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने पर कभी उनकी कर्म भूमि रहे श्रीनगर में जश्न का माहौल है. आज जैसे ही तीरथ सिंह रावत के नाम की घोषणा की गई वैसे ही श्रीनगर भाजपा कार्यकताओं में खुशी की लहर देखने को मिली. कार्यकर्ताओं ने गोला बाजार में जमकर आतिशबाजी कर एक दूसरे को मिठाई खिला कर जश्न मनाया.

तीरथ सिंह रावत का श्रीनगर से बड़ा गहरा नाता रहा है. उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल से ही अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की है. इसी बीच वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और 1990-91 में गढ़वाल विवि के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए. ऐसा तीसरी बार हुआ कि गढ़वाल विवि का कोई छात्र नेता मुख्यमंत्री बना हो, इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री निशंक और त्रिवेद सिंह रावत प्रदेश के सीएम बन चुके हैं.

पीसीओ संचालक से मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा

गढ़वाल विवि में पढ़ाई के साथ साथ तीरथ सिंह रावत ने यहां पीसीओ तक का संचालन किया. उस समय वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री हुआ करते थे. कहा जाय तो वो पीसीओ संचालक से एमएलसी और विधायक से लेकर प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री बने और अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं.

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अधिवक्ता महेंद्र सिंह रावत बताते हैं कि तीरथ सिंह रावत का पीसीओ उनके ऑफिस के ही नीचे हुआ करता था. संघ के कार्य के चलते उन्हें अधिकतर बाहर रहना पड़ता था. इस कारण उनके उस समय के पार्टनर उस दुकान में बैठा करते थे. जब भी वे वापस आते तो यहीं रहते. उनकी इसी दुकान में तब राजनीति की चर्चा हुआ करती थी.

वहीं, गढ़वाल विवि के राजनीतिक विभाग के प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने ETV भारत से बातचीत में कहा कि तीरथ सिंह के सामने चुनौतियां बहुत हैं. उनका व्यवहार शांत और मिलनसार है, लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती गढ़वाल लोकसभा सीट को फिर जिताना होगा. साथ में अब उन्हें खुद विधानसभा का चुनाव जीतना होगा. 2022 के चुनाव को देखते हुए भी उनको कार्य करने होंगे. लोग अब उनसे आस रखेंगे कि प्रदेश में गुड गवर्नेंस हो. लोगों को रोजगार मिले और अफसरशाही पर लगाम लगाकर रखना उनकी चुनैतियां होंगी.

Last Updated : Mar 10, 2021, 6:38 PM IST
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