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देवभूमि में है देश का इकलौता मंदिर जहां मिलती है राहु दोष से मुक्ति

मान्यता है कि कुंडली में राहु दोष होने से इंसान काफी परेशान रहता है और उसके कार्य जल्द सफल नहीं होते. राहु के मंदिर में तो वैसे अक्सर हर जगह देखने को मिल जाते हैं.

पौड़ी के पैठाणी गांव स्थित राहु मंदिर.
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Published : Apr 27, 2019, 6:58 AM IST

Updated : Apr 27, 2019, 7:15 AM IST

पौड़ी: अगर आप राहु दोष से परेशान हैं तो देवभूमि उत्तराखंड के इस मंदिर में चले आइए. माना जाता है कि देवभूमि के इस मंदिर में राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है. ये गांव उत्तराखंड के पर्वतीय अचंल में स्थित है. जहां हर साल राहु दोष के निवारण के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आते हैं.

राहु मंदिर में दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.
मान्यता है कि कुंडली में राहु दोष होने से इंसान काफी परेशान रहता है और उसके कार्य जल्द सफल नहीं होते. राहु के मंदिर में तो वैसे अक्सर हर जगह देखने को मिल जाते हैं. जहां लोगों का तांता लगा रहता है. उत्तराखंड के जिला पौड़ी अंतर्गत थैलीसैंण ब्लॉक के पैठाणी गांव में ये मंदिर स्थित है. इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है. लोगों की आस्था के मुताबिक,राहु के इस मंदिर में शिव भी विराजमान है. जो इस मंदिर में आने वाले भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं. कहा जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से राहु देव प्रसन्न हो जाते हैं. जिसके चलते हर साल देश-विदेश से कई लोग राहु दोष के निवारण के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं. मंदिर में अखंड ज्योति सालभर जलती रहती है. पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को जब राहु ने धोखे से पी लिया था. तो उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका धड़ से अलग कर दिया था. माना जाता है कि उनका कटा हुआ सिर उत्तराखंड के इसी स्थान पर आकर गिरा था. जहां उनका सिर गिरा उसी स्थान पर भगवान शिव और राहु का मंदिर स्थापित किया गया. कहा जाता है कि शंकराचार्य जब हिमालय की यात्रा पर आए तब उन्हें इस क्षेत्र में राहु के प्रभाव का आभास हुआ था. जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया. जिन पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया है. उन पर राहु के कटे सिर और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की नक्काशी की गई है. वहीं, मंदिर के बाहर और अंदर देवी-देविताओं की प्राचीन मूर्तियां स्थापित है.

पौड़ी: अगर आप राहु दोष से परेशान हैं तो देवभूमि उत्तराखंड के इस मंदिर में चले आइए. माना जाता है कि देवभूमि के इस मंदिर में राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है. ये गांव उत्तराखंड के पर्वतीय अचंल में स्थित है. जहां हर साल राहु दोष के निवारण के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आते हैं.

राहु मंदिर में दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.
मान्यता है कि कुंडली में राहु दोष होने से इंसान काफी परेशान रहता है और उसके कार्य जल्द सफल नहीं होते. राहु के मंदिर में तो वैसे अक्सर हर जगह देखने को मिल जाते हैं. जहां लोगों का तांता लगा रहता है. उत्तराखंड के जिला पौड़ी अंतर्गत थैलीसैंण ब्लॉक के पैठाणी गांव में ये मंदिर स्थित है. इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है. लोगों की आस्था के मुताबिक,राहु के इस मंदिर में शिव भी विराजमान है. जो इस मंदिर में आने वाले भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं. कहा जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से राहु देव प्रसन्न हो जाते हैं. जिसके चलते हर साल देश-विदेश से कई लोग राहु दोष के निवारण के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं. मंदिर में अखंड ज्योति सालभर जलती रहती है. पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को जब राहु ने धोखे से पी लिया था. तो उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका धड़ से अलग कर दिया था. माना जाता है कि उनका कटा हुआ सिर उत्तराखंड के इसी स्थान पर आकर गिरा था. जहां उनका सिर गिरा उसी स्थान पर भगवान शिव और राहु का मंदिर स्थापित किया गया. कहा जाता है कि शंकराचार्य जब हिमालय की यात्रा पर आए तब उन्हें इस क्षेत्र में राहु के प्रभाव का आभास हुआ था. जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया. जिन पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया है. उन पर राहु के कटे सिर और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की नक्काशी की गई है. वहीं, मंदिर के बाहर और अंदर देवी-देविताओं की प्राचीन मूर्तियां स्थापित है.
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पौड़ी: अगर आप राहु दोष से परेशान हैं तो देवभूमि उत्तराखंड के इस मंदिर में चले आइए. माना जाता है कि देवभूमि के इस मंदिर में राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है. ये गांव उत्तराखंड के पर्वतीय अचंल में स्थित है. जहां हर साल राहु दोष के निवारण के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आते हैं.

मान्यता है कि कुंडली में राहु दोष होने से इंसान काफी परेशान रहता है और उसके कार्य जल्द सफल नहीं होते. राहु के मंदिर में तो वैसे अक्सर हर जगह देखने को मिल जाते हैं. जहां लोगों का तांता लगा रहता है. उत्तराखंड के जिला पौड़ी अंतर्गत थैलीसैंण ब्लॉक के पैठाणी गांव में ये मंदिर स्थित है. इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है.  

लोगों की आस्था के मुताबिक,राहु के इस मंदिर में शिव भी विराजमान है. जो इस मंदिर में आने वाले भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं. कहा जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से राहु देव प्रसन्न हो जाते हैं. जिसके चलते हर साल देश-विदेश से कई लोग राहु दोष के निवारण के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं. मंदिर में अखंड ज्योति सालभर जलती रहती है. 

पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को जब राहु ने धोखे से पी लिया था. तो उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका धड़ से अलग कर दिया था. माना जाता है कि उनका कटा हुआ सिर उत्तराखंड के इसी स्थान पर आकर गिरा था. जहां उनका सिर गिरा उसी स्थान पर भगवान शिव और राहु का मंदिर स्थापित किया गया. 

कहा जाता है कि शंकराचार्य जब हिमालय की यात्रा पर आए तब उन्हें इस क्षेत्र में राहु के प्रभाव का आभास हुआ था. जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया. जिन पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया है. उन पर राहु के कटे सिर और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की नक्काशी की गई है. वहीं, मंदिर के बाहर और अंदर देवी-देविताओं की प्राचीन मूर्तियां स्थापित है.


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Last Updated : Apr 27, 2019, 7:15 AM IST
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