श्रीनगर/हल्द्वानी: ई-वे बिल, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को लेकर आज भारत बंद का ऐलान किया गया था. शुक्रवार को देशभर में 1,500 स्थानों पर धरना दिया गया. इस दौरान 40 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठनों से जुड़े करीब 8 करोड़ कारोबारियों ने बंद को समर्थन दिया. उत्तराखंड में भी भारत बंद का असर देखने को मिला. प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में व्यापारियों, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने भारत बंद के समर्थन में प्रदर्शन किया.
श्रीनगर तहसील में किया विरोध प्रदर्शन
गढ़वाल मंडल के श्रीनगर में प्रान्तीय उद्योग व्यापार मंडल के आह्वान पर आज श्रीनगर, श्रीकोट के व्यापारियों ने अपना विरोध जताते हुए तहसील में अपना विरोध जाहिर किया. इस दौरान व्यापारियों ने केंद्र सरकार के विरोध में नारेबाजी की. श्रीनगर जिला इकाई के व्यापारियों ने आज एकत्र होकर जीएसटी, ई कामर्स के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की. आज शुक्रवार होने के चलते साप्ताहिक बंदी थी, लेकिन इसके बावजूद कुछ व्यापारियों ने अपनी दुकानें खुली रखीं. वहीं व्यापारियों के धड़े ने अलग से बंदी को अपना समर्थन दिया.
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प्रान्तीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष वासुदेव कंडारी ने कहा कि सरकार को जीएसटी को थोड़ा लचीला बनाया चाहिए. वर्तमान में जीएसटी के नियम सख्त हैं. जिससे व्यापारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में व्यापारियों ने धरना दिया
जीएसटी संशोधन के विरोध में हल्द्वानी में भी व्यापारियों ने धरना दिया. इस दौरान उन्होंने अनिश्चितकालीन दुकानें बंद करने की भी चेतावनी दी. ऑल इंडिया व्यापारी ट्रेडर्स एसोसिएशन के आह्वान पर आज पूरे उत्तराखंड में व्यापारी संगठनों ने जीएसटी के नियमों में किए गए बदलाव के विरोध में धरना प्रदर्शन कर केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि जीएसटी में किए गए नियमों के बदलाव को जल्द खत्म किया जाये. नहीं तो व्यापारी आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन बाजार बंद कर केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे.
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हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के आह्वान पर व्यापारियों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक जीएसटी की बात कही थी लेकिन केंद्र सरकार जीएसटी में संशोधन करते हुए व्यापारियों का उत्पीड़न करने का काम कर रही है. व्यापारियों ने कहा है कि जीएसटी में शिथिलता बरतने के लिए व्यापारी केंद्र सरकार को ज्ञापन भेज चुके हैं. उसके बावजूद भी व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिल पाई है. मजबूरन अब उनको धरना प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है.