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उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं में आई कमी, कोरोना बना असली वजह - Uttarakhand Fire Season

पौड़ी में कोरोना महामारी का एक सकारात्मक परिणाम हमारे पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है. दरअसल, हर साल फायर सीजन के दौरान जंगलों में लगने वाली भीषण आग में इस साल भारी कमी देखी गई है.

आग में भारी कमी
आग में भारी कमी
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Published : Jun 20, 2020, 2:22 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 3:03 PM IST

पौड़ी: हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन होता है. लेकिन, हर साल लगने वाली वनाग्नि की अपेक्षा इस बार काफी कमी देखने को मिली है. इससे हमारे पर्यावरण के साथ-साथ वन्यजीव भी सुरक्षित हैं. वन विभाग ने बताया कि इस साल फायर सीजन के दौरान मात्र चार घटनाएं घटित हुई. जिसमें जंगलों को नुकसान नहीं हुआ है. पहले कुछ वर्षों में लगातार शरारती तत्वों की ओर से जंगलों में आग लगाई जाती थी. जिससे कि हमारे जंगल के जंगल जलकर राख हो जाते थे.

कोरोना बना असली वजह.

वन विभाग के अनुसार कोरोना महामारी का एक सकारात्मक परिणाम हमारे पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है. दरअसल, हर साल फायर सीजन के दौरान जंगलों में भीषण आग लगती थी. जिससे जंगल जलकर राख हो जाते थे. इससे निकलने वाले धुएं से मानव जीवन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही विभिन्न बीमारियों की आशंका भी बढ़ जाती है. वहीं जंगलों में रहने वाले वन्यजीव भी इससे प्रभावित होते हैं. जिसमें बहुत से जीवों की मौत तक हो जाती है. लेकिन इस वर्ष से फायर सीजन के दौरान मात्र चार घटनाएं घटित हुई हैं. जिससे कि वन महकमा भी काफी खुश नजर आ रहा है.

पढ़ें- विश्व शरणार्थी दिवस: एक-एक व्यक्ति का योगदान मायने रखता है

वहीं डीएफओ पौड़ी आकाश वर्मा ने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते जंगलों में गतिविधियां बहुत कम हुई हैं. साथ ही लगातार हो रही बारिश से भी पिरूल में काफी नमी होने के कारण जंगलों में आग की घटना नहीं हुई.

पौड़ी: हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन होता है. लेकिन, हर साल लगने वाली वनाग्नि की अपेक्षा इस बार काफी कमी देखने को मिली है. इससे हमारे पर्यावरण के साथ-साथ वन्यजीव भी सुरक्षित हैं. वन विभाग ने बताया कि इस साल फायर सीजन के दौरान मात्र चार घटनाएं घटित हुई. जिसमें जंगलों को नुकसान नहीं हुआ है. पहले कुछ वर्षों में लगातार शरारती तत्वों की ओर से जंगलों में आग लगाई जाती थी. जिससे कि हमारे जंगल के जंगल जलकर राख हो जाते थे.

कोरोना बना असली वजह.

वन विभाग के अनुसार कोरोना महामारी का एक सकारात्मक परिणाम हमारे पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है. दरअसल, हर साल फायर सीजन के दौरान जंगलों में भीषण आग लगती थी. जिससे जंगल जलकर राख हो जाते थे. इससे निकलने वाले धुएं से मानव जीवन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही विभिन्न बीमारियों की आशंका भी बढ़ जाती है. वहीं जंगलों में रहने वाले वन्यजीव भी इससे प्रभावित होते हैं. जिसमें बहुत से जीवों की मौत तक हो जाती है. लेकिन इस वर्ष से फायर सीजन के दौरान मात्र चार घटनाएं घटित हुई हैं. जिससे कि वन महकमा भी काफी खुश नजर आ रहा है.

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वहीं डीएफओ पौड़ी आकाश वर्मा ने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते जंगलों में गतिविधियां बहुत कम हुई हैं. साथ ही लगातार हो रही बारिश से भी पिरूल में काफी नमी होने के कारण जंगलों में आग की घटना नहीं हुई.

Last Updated : Jul 17, 2020, 3:03 PM IST
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