पौड़ी: पहाड़ की शान समझे जाने वाले गुलदार का आबादी वाले इलाकों में रुख लगातार बढ़ता जा रहा है. जिस कारण ग्रामीण हर समय भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं. पौड़ी जिले में इस साल गुलदार 11 बार हमले कर चुका है, जिसमें दो बच्चियों समेत 4 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं आदमखोर हो चुके गुलदारों को पकड़ना वन विभाग के लिए हमेशा चुनौती बना रहता है.
गढ़वाल वन संरक्षक नित्यानंद पांडे ने बताया कि इस बार गुलदार शहरों और आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक देखे जा रहे हैं. विभाग की ओर से गांव में रहने वाले युवाओं को सतर्कता बरतने के लिए जागरूक किया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि जब भी कोई गुलदार की घटना होती है तो विभाग मौके पर पिंजरा लगाकर उसे पकड़ने का प्रयास करता है या उसे ट्रेंकुलाइज किया जाता है. इसके बाद उसे पकड़कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि अगर गुलदार बार-बार आकर क्षेत्र में खौफ का माहौल या शिकार करता है तो आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर वाइल्ड लाइफ चीफ से अनुमति के बाद ही उसे मारने का निर्णय लिया जाता है.
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लगातार बढ़ रहे गुलदार के आक्रमण की घटनाओं पर पौड़ी के प्रसिद्ध शूटर जॉय हुकिल ने बताया कि उत्तराखंड में गुलदार की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिस तरह से बाघ की गणना कर उनकी संख्या की जानकारी हुई है, उसी तरह गुलदार की गणना कर उनकी संख्या का आंकड़ा भी सामने आना चाहिए.
उन्होंने बताया कि बहुत कम समय में उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. उनके लिए जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं है, जिसके चलते आबादी वाले क्षेत्रों की तरफ आकर वे अपना भोजन तलाश रहे हैं. धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे जंगलों के कारण गुलदार का भोजन भी समाप्त होता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव आबादी वाले इलाकों में देखने को मिल रहा है. जॉय हुकिल ने बताया कि अपने भोजन की तलाश के चलते गुलदार इंसान को अपना भोजन बना रहे हैं. जिसमें महिलाएं और छोटे बच्चे उसकी प्राथमिकता पर रहते हैं.