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आदमखोर गुलदारों को पकड़ना बना चुनौती, लगातार बढ़ रहे हमले - पौड़ी गुलदार हमले

पौड़ी जिले में गुलदार के हमले में इस साल 4 लोगों की मौत हो चुकी है. प्रसिद्ध शूटर जॉय हुकिल ने बताया कि उत्तराखंड में गुलदार की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

गुलदार का बढ़ रहा आतंक
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Published : Oct 31, 2019, 11:59 AM IST

Updated : Oct 31, 2019, 5:28 PM IST

पौड़ी: पहाड़ की शान समझे जाने वाले गुलदार का आबादी वाले इलाकों में रुख लगातार बढ़ता जा रहा है. जिस कारण ग्रामीण हर समय भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं. पौड़ी जिले में इस साल गुलदार 11 बार हमले कर चुका है, जिसमें दो बच्चियों समेत 4 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं आदमखोर हो चुके गुलदारों को पकड़ना वन विभाग के लिए हमेशा चुनौती बना रहता है.

गढ़वाल वन संरक्षक नित्यानंद पांडे ने बताया कि इस बार गुलदार शहरों और आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक देखे जा रहे हैं. विभाग की ओर से गांव में रहने वाले युवाओं को सतर्कता बरतने के लिए जागरूक किया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि जब भी कोई गुलदार की घटना होती है तो विभाग मौके पर पिंजरा लगाकर उसे पकड़ने का प्रयास करता है या उसे ट्रेंकुलाइज किया जाता है. इसके बाद उसे पकड़कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि अगर गुलदार बार-बार आकर क्षेत्र में खौफ का माहौल या शिकार करता है तो आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर वाइल्ड लाइफ चीफ से अनुमति के बाद ही उसे मारने का निर्णय लिया जाता है.

पढे़ं- अत्याधुनिक सुविधाओं के अध्ययन के लिए यूरोप गया दल, मंत्री मदन कौशिक समेत कई अधिकारी हैं शामिल

लगातार बढ़ रहे गुलदार के आक्रमण की घटनाओं पर पौड़ी के प्रसिद्ध शूटर जॉय हुकिल ने बताया कि उत्तराखंड में गुलदार की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिस तरह से बाघ की गणना कर उनकी संख्या की जानकारी हुई है, उसी तरह गुलदार की गणना कर उनकी संख्या का आंकड़ा भी सामने आना चाहिए.

उन्होंने बताया कि बहुत कम समय में उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. उनके लिए जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं है, जिसके चलते आबादी वाले क्षेत्रों की तरफ आकर वे अपना भोजन तलाश रहे हैं. धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे जंगलों के कारण गुलदार का भोजन भी समाप्त होता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव आबादी वाले इलाकों में देखने को मिल रहा है. जॉय हुकिल ने बताया कि अपने भोजन की तलाश के चलते गुलदार इंसान को अपना भोजन बना रहे हैं. जिसमें महिलाएं और छोटे बच्चे उसकी प्राथमिकता पर रहते हैं.

पौड़ी: पहाड़ की शान समझे जाने वाले गुलदार का आबादी वाले इलाकों में रुख लगातार बढ़ता जा रहा है. जिस कारण ग्रामीण हर समय भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं. पौड़ी जिले में इस साल गुलदार 11 बार हमले कर चुका है, जिसमें दो बच्चियों समेत 4 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं आदमखोर हो चुके गुलदारों को पकड़ना वन विभाग के लिए हमेशा चुनौती बना रहता है.

गढ़वाल वन संरक्षक नित्यानंद पांडे ने बताया कि इस बार गुलदार शहरों और आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक देखे जा रहे हैं. विभाग की ओर से गांव में रहने वाले युवाओं को सतर्कता बरतने के लिए जागरूक किया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि जब भी कोई गुलदार की घटना होती है तो विभाग मौके पर पिंजरा लगाकर उसे पकड़ने का प्रयास करता है या उसे ट्रेंकुलाइज किया जाता है. इसके बाद उसे पकड़कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि अगर गुलदार बार-बार आकर क्षेत्र में खौफ का माहौल या शिकार करता है तो आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर वाइल्ड लाइफ चीफ से अनुमति के बाद ही उसे मारने का निर्णय लिया जाता है.

पढे़ं- अत्याधुनिक सुविधाओं के अध्ययन के लिए यूरोप गया दल, मंत्री मदन कौशिक समेत कई अधिकारी हैं शामिल

लगातार बढ़ रहे गुलदार के आक्रमण की घटनाओं पर पौड़ी के प्रसिद्ध शूटर जॉय हुकिल ने बताया कि उत्तराखंड में गुलदार की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिस तरह से बाघ की गणना कर उनकी संख्या की जानकारी हुई है, उसी तरह गुलदार की गणना कर उनकी संख्या का आंकड़ा भी सामने आना चाहिए.

उन्होंने बताया कि बहुत कम समय में उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. उनके लिए जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं है, जिसके चलते आबादी वाले क्षेत्रों की तरफ आकर वे अपना भोजन तलाश रहे हैं. धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे जंगलों के कारण गुलदार का भोजन भी समाप्त होता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव आबादी वाले इलाकों में देखने को मिल रहा है. जॉय हुकिल ने बताया कि अपने भोजन की तलाश के चलते गुलदार इंसान को अपना भोजन बना रहे हैं. जिसमें महिलाएं और छोटे बच्चे उसकी प्राथमिकता पर रहते हैं.

Intro:जनपद पौड़ी में लगातार गुलदार के आक्रमण की घटनाएं देखने को मिल रही है जिसके विभिन्न कारण देखने को मिल रहे हैं लगातार जंगलों में गुलदार के भोजन समाप्त होते जा रहे हैं जिसके चलते गुलदार आबादी वाले क्षेत्रों में अपना भोजन तलाश रहे हैं और भोजन की तलाश में वह मनुष्य को अपना शिकार बना रहे हैं। इन घटनाओं में मासूम बच्चे और महिलाएं अधिक शिकार हो रही है जिस पर वन विभाग भी सभी लोगों को सतर्क रहने और घर के आस-पास उगी झाड़ियों को साफ रखने की हिदायत दे रहा है। विभाग की ओर से बताया गया कि लोगो की सतर्कता से ही गुलदार के आतंक से बचा जा सकता है और विभाग की ओर से भी गुलदार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।


Body:गढ़वाल वन संरक्षक नित्यानंद पांडे ने बताया कि इस बार गुलदार शहरों और आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक देखे जा रहे हैं विभाग की ओर से गांव में रहने वाले युवाओं को सतर्कता बरतने के लिए जागरूक किया जाता है। उन्होंने बताया कि अधिकतर घटनाएं लापरवाही के कारण होती है जब भी कोई गुलदार की घटना होती है तो विभाग मौके पर पिंजरा लगाकर उसे पकड़ने का प्रयास करता है या उसे ट्रेंकुलाइज किया जाता है और उसे पकड़कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाता है। यदि गुलदार बार-बार आकर क्षेत्र में खौफ का माहौल बनाता है और अधिक घटनाओं को अंजाम देता है तो सारी कार्यवाही को पूरा कर वाइल्डलाइफ चीफ से अनुमति लेने के बाद ही उसे मारने का निर्णय लिया जाता है।


Conclusion:लगातार बढ़ रहे गुलदार के आक्रमण की घटनाओं पर पौड़ी के प्रसिद्ध शूटर जॉय हुकिल  ने बताया कि उत्तराखंड में गुलदार की संख्या बहुत बढ़ती जा रही है और जिस तरह से बाघ की गणना कर उनकी संख्या की जानकरी हुई है उसी तरह गुलदार की गणना कर उनकी संख्या का आंकड़ा भी सामने आना चाहिए। उन्होंने बताया कि बहुत जल्द उत्तराखंड में गुलदार की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और उनके लिए जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं है जिसके चलते आबादी वाले क्षेत्र की तरफ आ कर अपना भोजन तलाश रहे हैं विभिन्न कारणों से जंगलों से गुलदार का भोजन समाप्त होता जा रहा है इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है कि वह अपने भोजन की तलाश के चलते मनुष्य को अपना भोजन बना रहा है जिसमें महिलाएं और छोटे बच्चे उसकी प्राथमिकता पर रहते हैं।
बाईट-नित्यानंद पाण्डेय(गढ़वाल वन संरक्षक)
बाईट-जॉय हुकिल
Last Updated : Oct 31, 2019, 5:28 PM IST
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