श्रीनगर: गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान गढ़वाल इकाई परिसर को गुगली ग्राम के नागराजासैंण में स्थापित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. इसके लिए सरकार ने सड़क निर्माण के लिए दो करोड़ 21 लाख 11 हजार का कर माफ करके निशुल्क जमीन देने के लिए हरी झंडी दे दी है. इसके बाद से निर्माणाधीन संस्थान को सड़क मार्ग से जोड़ा जा सकेगा. अब तक संस्थान 25 सालों से अस्थाई भवन में संचालित हो रहा था, लेकिन अब केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी जाने वाली 45 करोड़ की राशि से चौरास में वैज्ञानिकों के लिए 12 आवासीय भवन, हाईटेक लेबोरेटरी, जड़ी बूटी नर्सरी और संस्थान का भवन बनाया जाएगा, जिसका निर्माण पर्यावरण विभाग की सीसीयू निर्माण एजेंसी करेगी.
देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने बताया कि मामले में मुख्यमंत्री से अनुरोध भी किया गया था. जिस पर कैबिनेट बैठक में संस्थान के परिसर तक के लिए सड़क निर्माण के लिए जमीन निशुल्क दिए जाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि संस्थान के अस्थाई परिसर बनने से इस इलाके का विकास होगा. साथ ही पर्यावरण संबंधित रिसर्च भी आगे बढ़ेगी.
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संस्थान के वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. के चंद्रशेखर ने बताया कि संस्थान गढ़वाल इकाई परिसर को चौरास के नागराजासैंण में स्थापित करने के लिए 2010 में 4.3 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई थी. यह जमीन संस्थान के नाम हस्तांतरित होने पर 2019 में बिल्डिंग बनाने की स्वीकृति मिल गई थी. सड़क की पहुंच न होने और सरकार की ओर से भारी भरकम राशि निर्धारित किए जाने के कारण यह मामला लटका हुआ था. उन्होंने कहा कि अब 45 करोड़ की लागत से संस्थान के स्थायी भवन निर्माण का रास्ता साफ हो सकेगा. यहां वैज्ञानिकों के लिए भवन, ऑफिस, लैब सहित नर्सरी का निर्माण किया जाएगा.
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