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पौड़ी: स्वयं सहायता समूह ने जगाई स्वरोजगार की अलख, लोगों के लिए बना प्रेरणा स्रोत - Gauri Self Help Group President Anil Rawa

साल 2014 में इस समूह की शुरुआत हुई थी तब इससे महज गांव के पांच परिवार जुड़े थे. जिन्होंने खेती से शुरुआत की और आज सभी की मेहनत के चलते समूह मत्स्यपालन, पशुपालन और खेतों में दाल, सब्जी उगाने का काम कर रहा है.

एलईडी बल्ब की पौकेजिंग करते स्वयं सहायता समूह के सदस्य.
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Published : Aug 21, 2019, 9:53 AM IST

Updated : Aug 21, 2019, 10:02 AM IST

पौड़ी: नगर के गौरीकोट में स्थित एक स्वयं सहायता समूह पिछले 5 सालों से स्वरोजगार की अलख जगा रहा है. इस समूह ने साल 2014 से गांव के बंजर खेतों में खेती करने की शुरुआत की थी. जिनमें यह समूह सभी प्रकार की सब्जियां और दालों का उत्पादन करता आ रहा है. वहीं, अब समूह की ओर से एलईडी बल्ब बनाने का काम भी किया जा रहा है. शुरूआत में इस समूह से गांव के केवल पांच परिवार जुड़े थे. जबकि, अब इस समूह के साथ गांव के 16 परिवार जुड़ चुके हैं. जो स्वरोजगार अपना अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं.

लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहा गौरी स्वयं सहायता समूह.

समूह के अध्यक्ष अनिल रावत ने बताया कि साल 2014 में जब उन्होंने समूह की शुरुआत की थी तब उसने गांव के पांच परिवार जुड़े थे. जिनके साथ मिलकर उन्होंने खेती के क्षेत्र में मेहनत की और आज सभी की मेहनत के चलते समूह मत्स्यपालन, पशुपालन और खेतों में दाल, सब्जी उगाने का काम कर रहा है. अनिल रावत ने बताया कि उन्होंने अपने बटे को एलईडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग के लिए 2 महीने के लिए दिल्ली भेजा था.

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वहीं, अब उनका बेटा दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त कर पूरे समूह को एलईडी बल्ब बनाने के अलावा उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग करना भी सिखा रहा है. जिसके चलते क्षेत्र की बेरोजगार महिलाओं और पुरुषों को घर में ही रोजगार मिल रहा है.

पौड़ी: नगर के गौरीकोट में स्थित एक स्वयं सहायता समूह पिछले 5 सालों से स्वरोजगार की अलख जगा रहा है. इस समूह ने साल 2014 से गांव के बंजर खेतों में खेती करने की शुरुआत की थी. जिनमें यह समूह सभी प्रकार की सब्जियां और दालों का उत्पादन करता आ रहा है. वहीं, अब समूह की ओर से एलईडी बल्ब बनाने का काम भी किया जा रहा है. शुरूआत में इस समूह से गांव के केवल पांच परिवार जुड़े थे. जबकि, अब इस समूह के साथ गांव के 16 परिवार जुड़ चुके हैं. जो स्वरोजगार अपना अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं.

लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहा गौरी स्वयं सहायता समूह.

समूह के अध्यक्ष अनिल रावत ने बताया कि साल 2014 में जब उन्होंने समूह की शुरुआत की थी तब उसने गांव के पांच परिवार जुड़े थे. जिनके साथ मिलकर उन्होंने खेती के क्षेत्र में मेहनत की और आज सभी की मेहनत के चलते समूह मत्स्यपालन, पशुपालन और खेतों में दाल, सब्जी उगाने का काम कर रहा है. अनिल रावत ने बताया कि उन्होंने अपने बटे को एलईडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग के लिए 2 महीने के लिए दिल्ली भेजा था.

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वहीं, अब उनका बेटा दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त कर पूरे समूह को एलईडी बल्ब बनाने के अलावा उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग करना भी सिखा रहा है. जिसके चलते क्षेत्र की बेरोजगार महिलाओं और पुरुषों को घर में ही रोजगार मिल रहा है.

Intro:पौड़ी के गौरिकोट के स्थित गौरी स्वयं सहायता समूह की ओर से बंजर खेतों में मेहनत कर पिछले 5 सालों से लगातार कृषि के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और आज पूरे क्षेत्र को प्रेरणा दे रहे हैं साल 2014 में इस समूह की ओर से सारे बंजर खेतों में हल लगाकर उसमें खेती करने का जो शुरुआत की गई थी आज उसका परिणाम देखने को मिल रहा है समूह की ओर से सभी प्रकार की सब्जियां दाल, मत्स्यपालन आदि कार्य किये जाते हैं और अब समूह की ओर से एलईडी बल्ब बनाने का काम किया जा रहा है पहले इस समूह में पांच परिवार जुड़े थे लेकिन अब इस समूह के साथ 16 परिवार रह चुके हैं और उनकी मेहनत से इनके परिवार की आजीविका चल रही है।


Body:समूह के अध्यक्ष अनिल रावत ने कहा कि साल 2014 में जब उन्होंने समूह की शुरुआत की थी तब उसने मात्र पांच परिवार ही उनके साथ थे लेकिन धीमें धीमें समय के साथ वो खेती के क्षेत्र में मेहनत करते रहे और समूह के सभी लोगों की मदद से आज मत्स्यपालन,पशुपालन, खेतों में दाल सब्जी आदि उगाने का काम कर रहे हैं। जिस तरह से पहाड़ों में लगातार लोग कृषि छोड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ समूह खेती में तेजी से काम कर रहा है अनिल रावत बताते हैं कि उन्होंने अपने पुत्र को 2 महीने की ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा और अब उनका बेटा पूरे समूह को एलईडी बल्ब बनाना उसकी पैकिंग करना और उसकी मार्केटिंग करना सिखा रहा है जिससे कि क्षेत्र के बेरोजगार महिलाओं और पुरुषों को भी घर के समीप ही रोजगार मिल पाएगा।
बाईट-अनिल रावत(समूह के अध्यक्ष)
बाईट-अमित रावत
पीटीसी-सिद्धांत उनियाल


Conclusion:जहां एक ओर पहाड़ी क्षेत्रों में लोग अपने गांव अपनी खेती छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे हैं वहीं दूसरी ओर पौड़ी के गौरी कोट में स्थित गौरी स्वयं सहायता समूह ने पिछले 5 सालों से क्षेत्र के लोगों को जोड़कर अपने गांव में ही रहकर आजीविका के साधन उत्पन्न करें हैं पहले जहां इस समूह के साथ 8 परिवारों की आजीविका चलती थी और आज इस समूह के साथ 16 परिवार जुड़ चुके हैं।
Last Updated : Aug 21, 2019, 10:02 AM IST
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