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गढ़वाली पाठ्यक्रम के बाद प्रार्थना और समूहगान की हुई शुरुआत, लोकभाषा संरक्षित करने पर जोर

राजकीय आदर्श इंटर कालेज धुमाकोट में लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान की शुरुआत की गई है.

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Published : Jan 24, 2020, 4:35 PM IST

pauri news
गढ़वाली प्रार्थना

पौड़ीः लोक भाषा को संरक्षित करने की दिशा में पौड़ी जिले में कक्षा एक से पांचवीं तक के सरकारी स्कूलों में गढ़वाली पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में स्कूलों में बच्चे अन्य विषयों के अलावा गढ़वाली भाषा भी सीख रहे हैं. इसी कड़ी में गढ़वाली पाठ्यक्रम के साथ अब सरकारी स्कूलों में गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान भी शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत राजकीय आदर्श इंटर कालेज धुमाकोट से की गई है.

लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान शुरू.

पौड़ी जिले के राजकीय इंटर कालेज धुमाकोट समेत अन्य दो स्कूलों में लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान की शुरुआत की जाएगी. इसके लिए डायट चड़ीगांव की ओर से वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे. विद्यालय के प्रधानाचार्य दर्शन कुमार ने बताया कि फिलहाल वे अपने स्तर से जुटाए गए संसाधनों से वाद्ययंत्रों की व्यवस्था कर गढ़वाली भाषा में प्रार्थना और समूहगान प्रारंभ करवा दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय बाल पुरस्कार : बच्चों से बोले पीएम मोदी- मुझे आपसे प्रेरणा और उर्जा मिलती है

वहीं, इस वंदना और समूहगान की रचना के साथ ही संगीत निर्देशन हिंदी प्रवक्ता महेंद्र ध्यानी ने किया गया है. हारमोनियम पर गिरीश ध्यानी, ढोलक पर पूर्वांशी ध्यानी, हुड़की पर महेंद्र ध्यानी और थाली पर राहुल रावत संगीत कर रहे हैं. ऐसे में गढ़वाली पाठ्यक्रम के जरिए गढ़वाली भाषा को संरक्षित किया जा सकेगा और आने वाली पीढ़ी भी अपनी बोली भाषा से रूबरू हो सकेंगे.

पौड़ीः लोक भाषा को संरक्षित करने की दिशा में पौड़ी जिले में कक्षा एक से पांचवीं तक के सरकारी स्कूलों में गढ़वाली पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में स्कूलों में बच्चे अन्य विषयों के अलावा गढ़वाली भाषा भी सीख रहे हैं. इसी कड़ी में गढ़वाली पाठ्यक्रम के साथ अब सरकारी स्कूलों में गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान भी शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत राजकीय आदर्श इंटर कालेज धुमाकोट से की गई है.

लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान शुरू.

पौड़ी जिले के राजकीय इंटर कालेज धुमाकोट समेत अन्य दो स्कूलों में लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना और समूहगान की शुरुआत की जाएगी. इसके लिए डायट चड़ीगांव की ओर से वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे. विद्यालय के प्रधानाचार्य दर्शन कुमार ने बताया कि फिलहाल वे अपने स्तर से जुटाए गए संसाधनों से वाद्ययंत्रों की व्यवस्था कर गढ़वाली भाषा में प्रार्थना और समूहगान प्रारंभ करवा दिया गया है.

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वहीं, इस वंदना और समूहगान की रचना के साथ ही संगीत निर्देशन हिंदी प्रवक्ता महेंद्र ध्यानी ने किया गया है. हारमोनियम पर गिरीश ध्यानी, ढोलक पर पूर्वांशी ध्यानी, हुड़की पर महेंद्र ध्यानी और थाली पर राहुल रावत संगीत कर रहे हैं. ऐसे में गढ़वाली पाठ्यक्रम के जरिए गढ़वाली भाषा को संरक्षित किया जा सकेगा और आने वाली पीढ़ी भी अपनी बोली भाषा से रूबरू हो सकेंगे.

Intro:उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन और इससे पैदा हो रहे हालातों के बाद लोकभाषा भी लोक से दूर न हो इसके लिए जिलाधिकारी पौड़ी धीराज सिंह गर्ब्‍याल ने एक गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत कर एक अनूठी मिशाल पेश की जिसे पौड़ी जिले में कक्षा एक से पांचवीं तक के सरकारी स्कूलों में लागू किया गया है। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद यह पहला मौका होगा जब लोक भाषा को संरक्षित करने की दिशा में यह पाठ्यक्रम स्कूलों में लागू किया गया। अब स्कूलों में बच्चे अन्य विषयों के अलावा गढ़वाली भाषा भी सीख रहे हैं। इसी क्रम में अब गढ़वाली पाठ्यक्रम के साथ साथ सरकारी विद्यालयों में गढ़वाली प्रार्थना व समूहगान प्रारंभ हो गया है। राजकीय आदर्श इंटर कालेज धुमाकोट में लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना व समूहगान की शुरुआत हो गई है।


Body:जनपद पौड़ी में पौड़ी राजकीय इंटर कालेज धुमाकोट सहित दो स्कूलों में लोक वाद्ययंत्रों के साथ गढ़वाली प्रार्थना व समूहगान की शुरुआत की जाएगी । इसके लिए डायट चड़ीगांव की ओर से वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। विद्यालय के प्रधानाचार्य दर्शन कुमार ने बताया कि फिलहाल वह अपने स्तर से जुटाए गए संसाधनों से वाद्ययंत्रों की व्यवस्था करके गढ़वाली भाषा में प्रार्थना व समूहगान प्रारंभ करवा दिया गया है। वंदना व समूहगान की रचना के साथ ही संगीत निर्देशन हिंदी प्रवक्ता महेंद्र ध्यानी द्वारा किया गया है। हारमोनियम पर गिरीश ध्यानी, ढोलक पर पूर्वांशी ध्यानी, हुड़की पर महेंद्र ध्यानी व थाली पर राहुल रावत संगीत कर रहे हैं। बताया कि पहले हमारे जनपद में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी जिसे कहीं ना कहीं समाप्त हो रही गढ़वाली भाषा को बचाने के लिए या एक अनूठी पहल थी और अब गढ़वाली भाषा में प्रार्थना वह समूह गान की शुरुआत की गई है जो कि आने वाली पीढ़ी के लिए हमारी भाषा को सुरक्षित रखेगी।

Conclusion:
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